चरागाहों की बाड़ेबंदी के चलते मुश्किलों से घिरे बकरवाल चरवाहे
प्रत्येक वर्ष इस चरवाहा समुदाय को कश्मीर में चरागाहों की तलाश में हिमालय के ऊंचे इलाक़ों में जाना होता है. पर्यटन के चलते और अन्य कारणों से सैनिक बलों द्वारा चरागाहों की बाड़ेबंदी, और आधारभूत सुविधाओं की निरंतर कमी से बकरवाल समुदाय का जीवन ख़तरे में है
रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.
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Author
Ovee Thorat
ओवी थोराट एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं, और घुमंतू जीवन व राजनीतिक पारिस्थितिकी में गहरी दिलचस्पी रखती हैं.
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Editor
Priti David
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Photo Editor
Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.