गोबर ढोने व क़र्ज़ चुकाने में खप रही इन दलित औरतों की ज़िंदगी
क़र्ज़े और सामाजिक अवमानना के दुष्चक्र में फंसी हवेलियां गांव की दलित औरतें, जाट सिखों के घरों की पशुशालाओं की सफ़ाई के अलावा गोबर उठाने का काम करती हैं. ये औरतें अपनी आमदनी का एक हिस्सा क़र्ज़ में ली गई रक़म को चुकाने में गंवा देती हैं
संस्कृति तलवार, नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं और साल 2023 की पारी एमएमएफ़ फेलो हैं.
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Editor
Kavitha Iyer
कविता अय्यर, पिछले 20 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं. उन्होंने 'लैंडस्केप्स ऑफ़ लॉस: द स्टोरी ऑफ़ ऐन इंडियन' नामक किताब भी लिखी है, जो 'हार्पर कॉलिन्स' पब्लिकेशन से साल 2021 में प्रकाशित हुई है.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.