क्रांतिकारियों का पेट भरकर आज़ादी के आंदोलन को पोसने वाली भवानी महतो
भवानी महतो, जिनकी उम्र 101 साल से लेकर 104 वर्ष के बीच है, आज़ादी के आंदोलन में अपनी किसी भी भूमिका या भागीदारी को दृढ़ता से अस्वीकार कर देती हैं. जब हम पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले में स्थित उनके घर जाकर उनकी पूरी कहानी जानने की कोशिश करते हैं, तो हमें इसके विपरीत निष्कर्ष मिलते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के लिए उनके बलिदान की कहानी सामने आती है
पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.