कूवलापुरम-का-अनोखा-गेस्टहाउस

Madurai, Tamil Nadu

Feb 22, 2020

'रूढ़ियों के साए में बेबस है कूवलापुरम की औरतों की ज़िंदगी'

मदुरई ज़िले के कूवलापुरम और चार अन्य गांवों में माहवारी के दौरान औरतों को आइसोलेट करते हुए ‘गेस्टहाउस’ में रहने के लिए भेज दिया जाता है. दैवीय प्रकोप की आशंका और इंसानों के आक्रामक व्यवहार से डर की वजह से यहां कोई भी इस भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का साहस नहीं जुटा पाता

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Author

Kavitha Muralidharan

कविता मुरलीधरन, चेन्नई की एक स्वतंत्र पत्रकार और अनुवादक हैं. वह 'इंडिया टुडे' (तमिल) की संपादक रह चुकी हैं, और उससे भी पहले वह 'द हिंदू' (तमिल) के रिपोर्टिंग सेक्शन की प्रमुख थीं. वह पारी के लिए बतौर वॉलंटियर काम करती हैं.

Illustration

Priyanka Borar

प्रियंका बोरार न्यू मीडिया की कलाकार हैं, जो अर्थ और अभिव्यक्ति के नए रूपों की खोज करने के लिए तकनीक के साथ प्रयोग कर रही हैं. वह सीखने और खेलने के लिए, अनुभवों को डिज़ाइन करती हैं. साथ ही, इंटरैक्टिव मीडिया के साथ अपना हाथ आज़माती हैं, और क़लम तथा कागज़ के पारंपरिक माध्यम के साथ भी सहज महसूस करती हैं व अपनी कला दिखाती हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।

Editor

P. Sainath

पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

Series Editor

Sharmila Joshi

शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.