सिंघु पर लाखों की संख्या में जुटे किसानों ने अपने ऐतिहासिक आंदोलन की वर्षगांठ को प्रभावशाली ढंग से याद किया. उन्होंने कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने पर चर्चा की, एकमुश्त जीत की ख़ुशी मनाई, और आने वाली लड़ाइयों की बात की. बीते बरस की बेबसी बयान करतीं उनकी आंखें भीग-भीग जाती थीं