किलवेनमणि-राख़-में-तब्दील-हो-गई-ज़िंदगी

Nagapattinam, Tamil Nadu

Jun 03, 2021

किलवेनमणि : राख़ में तब्दील हो गई ज़िंदगी

साल था 1968, तमिलनाडु की इस बस्ती में 25 दिसंबर के दिन, ज़मींदारों ने 44 दलित मज़दूरों की हत्या कर दी थी. यह कविता ऐसे वक़्त में इस भीषण त्रासदी को याद करती है जब उसे दर्ज करने वाली मैथिली शिवरामन अब हमारे बीच नहीं हैं

Poem and Text

Sayani Rakshit

Translator

Devesh

Painting

Labani Jangi

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Poem and Text

Sayani Rakshit

सायोनी रक्षित, नई दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं.

Painting

Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

Translator

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.