महामारी के दो वर्षों तक स्कूल न जाने के कारण, ठाणे ज़िले के आदिवासी बच्चे अब दोबारा अपनी कक्षाओं में लौट नहीं पा रहे हैं, और उनके भीतर से स्कूल जाने की इच्छा भी ख़त्म होती जा रही है
ममता परेड (1998-2022) एक पत्रकार थीं और उन्होंने साल 2018 में पारी के साथ इंटर्नशिप की थी. उन्होंने पुणे के आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. वह आदिवासी समुदायों, ख़ासकर अपने वारली समुदाय के जीवन, आजीविका और संघर्षों के बारे में लिखती थीं.
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Editor
Smruti Koppikar
स्मृति कोप्पिकर एक स्वतंत्र पत्रकार और स्तंभकार हैं, साथ ही मीडिया के क्षेत्र में शैक्षणिक कार्य करती हैं.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.