उत्तरी मुंबई में 3,200 एकड़ का आरे का इलाक़ा कभी 27 आदिवासी बस्तियों का घर हुआ करता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, कई परियोजनाओं का इस क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा हो गया, जिसमें एक दूध प्रसंस्करण केंद्र और एक फिल्म सिटी शामिल हैं। निकट भविष्य में मुंबई मेट्रो के कार शेड द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जाना है — जिसके लिए हाल ही में 2,600 से अधिक पेड़ों को काट दिया गया और क़ानूनी लड़ाइयां लड़ी गईं। इस सब के दौरान, कई आदिवासी घरों को भी ध्वस्त कर दिया गया है। उनके खेतों को हड़प लिया गया है और उनकी रोज़ी रोटी भी ख़त्म हो चुकी है। कईयों ने विरोध किया, मार्च किया और याचिकाएं दायर कीं। और जैसा कि उनमें से एक आदिवासी इस पॉडकास्ट में कहता भी है: ‘मेट्रो की मांग के लिए एक भी मोर्चा नहीं निकाला गया है’
आकांक्षा, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर रिपोर्टर और फ़ोटोग्राफ़र कार्यरत हैं. एजुकेशन टीम की कॉन्टेंट एडिटर के रूप में, वह ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को उनकी आसपास की दुनिया का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए प्रशिक्षित करती हैं.