अस्तित्व बचाने को नेशनल हाईवे से जंग लड़ता पालघर का यह गांव
निंबावली के वारली आदिवासियों को दस साल पहले बरगला कर मुंबई-वड़ोदरा नेशनल एक्सप्रेस हाईवे बनाने के उद्देश्य से उनके ही खेतों और घरों से बेदख़ल कर दिया गया था. प्रोजेक्ट के तहत गांव को दो हिस्सों में फाड़ डाला गया और उनके लिए जो मुआवज़ा प्रस्तावित था वह भी बहुत कम था
ममता परेड (1998-2022) एक पत्रकार थीं और उन्होंने साल 2018 में पारी के साथ इंटर्नशिप की थी. उन्होंने पुणे के आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. वह आदिवासी समुदायों, ख़ासकर अपने वारली समुदाय के जीवन, आजीविका और संघर्षों के बारे में लिखती थीं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.