अभी-मीलों-चलना-है-इससे-पहले-कि-सोने-या-खाने-को-मिले

Palghar, Maharashtra

Apr 07, 2020

अभी मीलों चलना है, इससे पहले कि सोने या खाने को मिले

कोविड-19 लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र के पालघर जिले में ईंट भट्ठे पर काम करने वाले प्रवासी आदिवासियों के पास बहुत कम पैसा और खाना बचा है – और लौटने को लेकर गांव से अल्टीमेटम भी मिल रहा है, ऐसे में उनके सामने केवल अनिश्चितता बची है

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Author

Mamta Pared

ममता परेड (1998-2022) एक पत्रकार थीं और उन्होंने साल 2018 में पारी के साथ इंटर्नशिप की थी. उन्होंने पुणे के आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. वह आदिवासी समुदायों, ख़ासकर अपने वारली समुदाय के जीवन, आजीविका और संघर्षों के बारे में लिखती थीं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।