अब तो यहां हैं ढेरों सालिहान, ख़्वाब देखना ज़ुर्रत उनकी
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी देमती देई सबर, जिन्होंने 1930 में ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के सालिहा गांव में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह का नेतृत्व किया था – उस क्षेत्र की आज की तमाम युवा देमतियों को श्रद्धांजलि
प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.
See more stories
Translator
Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।