'अपनी ही ज़मीन पाने के इंतज़ार में मैंने पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी'
गुजरात के सुरेंद्रनगर ज़िले में भूमिहीन दलितों के पास ज़मीन है, लेकिन सिर्फ़ काग़ज़ों पर. प्रशासनिक उदासीनता और जातिगत भेदभाव राज्य के बहुत से ऐसे लोगों को आवंटित संपत्ति पर मालिकाना हक़ पाने से रोकता है
पार्थ एम एन, साल 2017 के पारी फ़ेलो हैं और एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विविध न्यूज़ वेबसाइटों के लिए रिपोर्टिंग करते हैं. उन्हें क्रिकेट खेलना और घूमना पसंद है.
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Editor
Vinutha Mallya
विनुता माल्या पेशे से पत्रकार और संपादक हैं. वह पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया की एडिटोरियल चीफ़ रह चुकी हैं.
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Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.