ओडिशा के बहुत से मज़दूर तेलंगाना के ईंट भट्टों पर काम करने जाते हैं, जहां ठेकेदार और भट्टा मालिक उनकी मजबूरियों का लाभ उठाकर उन प्रवासी मज़दूरों का आर्थिक शोषण करते हैं. नतीजा यह होता है कि महीनों तक अपना हाड़-मांस गलाने के बाद भी उन मज़दूरों के हिस्से में क़र्ज़ के सिवा कुछ नहीं आता
पुरुषोत्तम ठाकुर, साल 2015 के पारी फ़ेलो रह चुके हैं. वह एक पत्रकार व डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर हैं और फ़िलहाल अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के लिए काम करते हैं और सामाजिक बदलावों से जुड़ी स्टोरी लिखते हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.