अगर-हम-शराब-न-बनाएं-तो-भूख-से-मर-जाएं

Jehanabad, Bihar

Jun 07, 2022

‘अगर हम शराब न बनाएं, तो भूख से मर जाएं’

ग़रीबी, सामाजिक लांछनों, और नौकरी के अवसरों की भारी कमी के कारण, बिहार में शराब बनाने और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद भी मुसहर समुदाय को महुआ के फूलों से शराब बनाने पर मजबूर होना पड़ रहा है

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Author

Umesh Kumar Ray

उमेश कुमार राय साल 2022 के पारी फेलो हैं. वह बिहार स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं और हाशिए के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं.

Editor

S. Senthalir

एस. सेंतलिर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर सहायक संपादक कार्यरत हैं, और साल 2020 में पारी फ़ेलो रह चुकी हैं. वह लैंगिक, जातीय और श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लिखती रही हैं. इसके अलावा, सेंतलिर यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर में शेवनिंग साउथ एशिया जर्नलिज्म प्रोग्राम के तहत साल 2023 की फ़ेलो हैं.

Translator

Amit Kumar Jha

अमित कुमार झा एक अनुवादक हैं, और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है.