अगर-उनको-खाना-नहीं-मिलेगा-तो-हम-अपना-पेट-कैसे-भरेंगे

Sangli, Maharashtra

Jun 28, 2022

‘अगर उनको खाना नहीं मिलेगा, तो हम अपना पेट कैसे भरेंगे?’

सांगली ज़िले में ईंट भट्ठों पर काम करने के लिए पलायन करने वाले कैकाडी समुदाय के चरवाहों को अपने गधों और अन्य मवेशियों की देखभाल के लिए संघर्ष करना पड़ता है. महाराष्ट्र में जानवरों की चोरी की घटनाओं में हो रही वृद्धि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Photographs

Ritayan Mukherjee

रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.

Text

Medha Kale

मेधा काले पुणे में रहती हैं और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर काम करती रही हैं. वह पारी के लिए मराठी एडिटर के तौर पर काम कर रही हैं.

Photo Editor

Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

Editor

Vinutha Mallya

विनुता माल्या पेशे से पत्रकार और संपादक हैं. वह पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया की एडिटोरियल चीफ़ रह चुकी हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.