“एह किसे होर नु जीता रहे ने, साडे अग्गे कोई होर कुड़ी नहीं सी [वो मन कऊनो आन ला जितावत रहिन, हमर आगू अऊ कोनो टूरी नइ रहिस].” एथलीट जसपाल, रामदीप अऊ ओकर संगवारी मन मिलके अपन कोच ले सिकायत करत हवंय. अमृतसर जिला के दर्जनों जवान दऊड़ेइय्या मन 67 कोस (200 किमी) दूरिहा ले चंडीगढ़ मं मैराथन मं हिस्सा ले हबरे हवंय अऊ वो मन मं भारी उछाह देखे ला मिलत हवय.

ये सब वो बखत होवत हवय जब मंच ले पांच किमी के दऊड़ मं दूसरा इनाम जीतेइय्या के रूप मं जसपाल कौर के नांव के घोसना करे जावत रहिस. वो मन जानत हवंय के जसपाल विजेता आय, उपविजेता नो हे, काबर के वो ह फिनिशिंग लाइन तक गे रहिस. फेर विजेता के 5,000 रूपिया का नगद ईनाम के घोसना कऊनो दीगर के नांव मं करे जावत रहिस.

जसपाल ह मंच मं जाय अऊ दूसरा इनाम ला लेगे ले इंकार कर दीस, येकर जगा वो अऊ ओकर कोच मंच ले बहिर एक झिन दीगर मइनखे करा जाथें, अऊ आयोजक मन के फइसला ला लेके सवाल करथें, अपन बात ला रखथें अऊ ये अनियाव ला निपटाय बर मदद मांगथें. आखिर मं कोच के कहे सेती जसपाल ह दूसरा इनाम ला मान लेथे, एक ठन बड़े फोम बोर्ड चेक जेन मं 3,100 रूपिया के रकम लिखे रहिस.

महिना भर बाद अप्रैल 2023 मं वो ह अचरज मं पर जाथे, जब जसपाल ला पता चलिस के ओकर खाता मं 5,000 रूपिया जमा करे गे हवय. जसपाल ला कुछु घलो बताय नइ गे रहिस अऊ इहाँ के कऊनो अख़बार मं घलो कुछु छपे नइ रहिस. रूनिज़ेन टाइमिंग सिस्टम के नतीजा वेबसाइट मं, ओकर नांव 23.7 मिनट के गनटाइम (रेस के बखत) के संग 5 किमी के दऊड़ के लीडरबोर्ड मं विजेता के रूप मं घलो दिखत हवय. ये बछर के इनाम बांटे के फोटू मन मं वो नइ ये. फेर जसपाल करा अभू घलो कतको पदक के संग-संग बड़े चेक घलो हवंय.

साल 2024 मं टूरी मन के संग अगला मैराथन मं जाय बखत, ये रिपोर्टर ला आयोजक मन ले पता चलिस के वो मन वीडिओ के जाँच करे के बाद वो साल के आखिर मं जसपाल के प्रतियोगी ला दऊड़ बर अयोग्य घोसित कर दे रहिन. वो मन ला गम होइस के विरोध करेइय्या नोनी मन सही रहिन. रेस बिब के संग धोखाधड़ी होय रहिस. येकर ले जसपाल ला मिले नगद इनाम के असलियत घलो साफ होगे.

जसपाल बर नगद इनाम महत्तम हवय. गर वो ह पइसा बचाही त वो ह फिर ले कालेज पढ़े जाय सकथे. दू बछर पहिली, जसपाल एक ठन निजी यूनिवर्सिटी मं ऑनलाइन बीए (कला) लेगे रहिस.वो ह कहिथे, “फेर मंय पहिली सेमेस्टर ले आगू के पढ़ई करे नइ सके हंव. मोला परीक्षा मं बइठे हरेक सेमेस्टर मं करीबन 15,000 रूपिया के फ़ीस भरे ला परथे. पहिली सेमेस्टर के फ़ीस ला पटाय बर नगद ईनाम [गाँव के जनप्रतिनिधि अऊ रास्ट्रीय स्तर मं जीते स्कूल के देय ] के पइसा काम मं आइस. फेर ओकर बाद मंय दूसरा सेमेस्टर पढ़े नइ सकेंव काबर के मोर करा पइसा नइ रहिस.”

22 बछर के जसपाल अपन परिवार के पहली पीढ़ी के कॉलेज पढ़ेइय्या नोनी आय अऊ अपन गांव के मज़हबी सिख समाज के बनेच कम माइलोगन मन ले हवय, ये मन ला पंजाब मं सबले वंचित अनुसूचित जाति समाज के रूप मं वर्गीकृत करे गे हवय. जसपाल के 47 बछर के सियान दाई बलजिंदर कौर ह 5वीं क्लास तक ले पढ़े हवय अऊ 50 बछर के ओकर ददा बलकार सिंह कभू स्कूल नइ गीस. 24 बछर के ओकर भैया अमृतपाल सिंह अपन गाँव कोहली के आसपास घर बनाय के काम मं अपन ददा के मदद करे बर 12 वीं पढ़े के बाद पढ़े छोड़ दे रहिस. ओकर छोटे भाई 17 बछर के आकाशदीप सिंह ह 12वीं क्लास पास कर ले हवय.

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जसपाल (डेरी) अपन ये नोहर संपत्ति ला लोहा के अलमारी मं संभाल के रखे हवय. अपन परिवार के संग  (जउनि)

परिवार के आमदनी जेन मं अब ओकर भऊजी अऊ ओकर लइका घलो हवंय, दूनों मरद लोगन मन ला मिलेइय्या काम बूता के ऊपर रहिथे, जेन ह अक्सर मनमाना होथे. जब वो मन करा काम बूता होते त बढ़िया लगथे अऊ वो मन महिना मन 9 ले 10 हजार तक ले कमा लेथें.

जसपाल ला मिलेइय्या इनाम के पइसा अक्सर ओकर खरचा जइसने एंट्री फीस, आय-जाय के खरचा अऊ अपन पढ़ई मं हो जाथे. “जब हमन दऊड़े सेती पंजीयन कराथन त हमन टी-शर्ट मिलथे फेर शॉर्ट्स, ट्रैकसूट पैंट अऊ जूता बिसोय बर हमन ला अपन दाई-ददा ले पइसा मांगे ला परथे,” वो ह कहिथे जब मैदान मं अभियास बर खेल के कपड़ा पहिरत रहिस.

हमन चरों डहर जवान एथलीट मन ला देखत हवन, कुछेक तियारी करत हवंय, दीगर मन धीरे-धीरे चक्कर लगावत हवंय अऊ कुछु मन रोज के अभियास सेती अपन कोच राजिंदर सिंह तीर संकलाय हवंय. ये सब्बो अलग-अलग गाँव ले आथें. जसपाल 400 अऊ 800 मीटर अऊ 5 किमी के दऊड़ मं हिस्सा लेवत हवय अऊ बीते सात बछर मं कतको इनाम अऊ पदक जीते हवय. जसपाल अपन गाँव मं कतको लोगन मन बर प्रेरणा बन गे हवय. ओकर पदक, प्रमाणपत्र अऊ नगद ईनाम ह गरीब परिवार के कतको लोगन मन के लइका मन ला सीखे सेती आगू ले जाय बर उछाह भरे हवय.

फेर जसपाल ह अब तक ले जेन घलो जीते हवय वो ह परिवार के मदद करे बर भरपूर नइ ये. फरवरी 2024 ले, जसपाल ह अमृतसर के तीर एक ठन गोशाला मं 8,000 रूपिया महिना मं हिसाब किताब संभाले के काम करत हवय. वो ह कहिथे, “मंय अपन परिवार के आमदनी मं मदद देय बर ये नऊकरी करेंव. फेर अब मोला पढ़े लिखे बर घलो बखत नइ मिलय.”

वो ह जानत हवय के घर के जिम्मेवारी के संग, नवा नऊकरी ले मिलेइय्या तनखा अभू घलो सेमेस्टर के फीस ले कम हवय जेकर वोला जरूरत हवय.

मार्च 2024 मं वो ह एक पईंत अऊ चंडीगढ़ मं 10 किलोमीटर के दऊड़ मं हिस्सा लेगे के फइसला करिस. ये बखत वो ह सेकेंड रनर-अप आइस अऊ 11,000 के नगद इनाम जीतिस.

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वो ह करीबन 70 एथलीट मन के मंडली के ‘स्टार’ आय, जऊन ला  60 बछर के रजिंदर सिंह छीना, हरसे छीना गांव मं मुफत मं सिखावत हवंय. 1500 मीटर दऊड़ मं खुद अंतरराष्ट्रीय एथलीट, वो ह 10 बछर ले जियादा बखत ले कोनहा मं परे समाज के नवा पीढ़ी के लइका मन ला सिखावत हवंय.

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जसपाल (डेरी) अऊ मनप्रीत (ज नि) पंजाब के अमृतसर के हरसे छीना गांव मं सीखे के मैदान मं

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कोच रजिंदर सिंह छीना अपन एथलीट टीम के संग (डेरी).कोच अपन आयुर्वेदिक दवई के दुकान मं जिहां वो ह दिन मं कुछेक घंटा मरीज मन के इलाज करथे

पंजाब के गाँव देहात मन मं नवा पीढ़ी के लइका मन मं भारी नशा-पानी ला लेके चंडीगढ़ मं एक झिन बड़े अफसर के ताना ह ये एथलीट ला साल 2003 मं नान-नान लइका मन ला सिखाय बर प्रेरित करिस. कॉमरेड ह अमृतसर के हरसे चिन्ना गांव मं अच्छर सिंह छीना सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्मार्ट स्कूल के खेल के मैदान के जिकर करत कहिथे, “मंय लइका मन ला सबले पहिली ये मैदान मं लाय रहेंव.” वो लइका मन जऊन मन स्कूल नइ जावत रहिन- मजूर, कोनहा मं परे समाज के लोगन मन के लइका. मंय वो मन ला स्कूल मं भरती करायेंव, सिखायेंव अऊ ये ह धीरे-धीरे बढ़त चले गीस.

रजिंदर कहिथे, “सरकारी स्कूल मन मं, अब कोनहा मं परे समाज के लोगन मन के कतको लइका हवंय. जेन मन मिहनती अऊ मजबूत हवंय. मंय ये सोच के टीम बनाय ला सुरु करेंव के कम से कम राज स्तर तक त जाय ला चाही. मोर करा गुरुद्वारा मं सेवा करे के बखत नइ रहिस. मोर बिचार आय के गर हो सके त लइका मन के पढ़ई-लिखई मं मदद करे ला चाही.”

छीना गरब ले कहिथे, “मोर करा 70 एथलीट हवंय जऊन मन ला सिखावत हवं. मोर कुछेक एथलीट मन भारी बढ़िया प्रदर्सन करे हवंय अऊ बढ़िया नऊकरी पाय हवंय. कुछेक मं प्रो कबड्डी लीग मं हवंय. वो ह कहिथे, “हमन ला ककरो ले मदद नइ मिलय, लोगन मन आथें, लइका मन के मान करथें, मदद के वादा करथें फेर आखिर मं कुछु नइ होवय. हमन अपन बलबूता मं जऊन करे सकथन, वोला करथन.”

ओकर तीर बीएएमएस के डिग्री हवय अऊ वो ह अमृतसर के तीर राम तीरथ मं अपन दवा खाना चलाथे. ओकर कहना आय के येकर ले होवेइय्या आमदनी ओकर घर अऊ मैदान के खरचा ला उठाय बर भरपूर हवय. मंय हर महिना खेल के समान बिसोय मं 7 ले 8 हजार रूपिया खरचा करथों.” ओकर लइका मन, जेन मन ले तीन झिन बड़े होगे हवंय अऊ काम करत हवंय, वो मन घलो बखत-बखत मं मदद करथें.

“मंय नइ चाहंव के कोनो लइका नशा पानी करे. मंय चाहथों के वो मन मैदान मं आवंय जेकर ले कुछु बने सकंय.”

पंजाब के नवा पीढ़ी के महिला एथलीट मन के कोच रजिंदर सिंह अऊ ओकर टीम अपन अब तक के काम के बारे मं बताथें

वीडियो देखव: 'पंजाब के गाँव-देहात मं जूझत महिला एथलीट’

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वइसने, जवान नोनी जसपाल बर रोज के ग्राउंड अवई-जवई भारी कठिन हवय. ओकर गाँव कोहाली करीबन 3 कोस दूरिहा हवय. मोला ये अवई -जवई ले भारी जूझे ला परथे. गाँव ह ग्राउंड ले बनेच दूरिहा हवय, जसपाल अपन गाँव के बहिर के इलाका मं ईंटा के बने दू खोली के अपन घर के आगू बइठे कहिथे. जसपाल कहिथे, मोला हरेक रद्दा ले ग्राउंड तक रेंगे मं 45 मिनट लागथे. वो ह कहिथे, “मंय हरेक बिहनिया 3.30 बजे उठ जाथों. अऊ बिहनिया 4.30 बजे तक ले ग्राउंड हबर जाथों. मोर दाई-ददा मोला चेत धरे रहे बर कहिथें, फेर मोला कभू घलो असुरच्छित नइ लगिस. लकठा में एक ठन अखाड़ा हवय जिहां टूरा मन पहलवानी करत रहिथें. वो मन के सेती सड़क कभू सुन्ना नइ परय. हमन दू घंटा अभियास करथन अऊ बिहनिया करीबन 7.30 बजे तक ले घर लहूंट के आ जाथों.”

दू बछर पहिली वो ह अपन ददा के बिसोय जुन्ना फटफटी ला चलाय ला सिखिस. वो बखत ले, वोला किस्मत ले कभू-कभार फटफटी ले ग्राउंड जाय के मऊका मिल जाथे, तब वोला सिरिफ 10 मिनट लागथे. फेर कतको बखत, किस्मत के ये बखत जसपाल ला अभियास छोड़ के तुरते घर लहूँटे ला परथे, काबर के घर के मरद लोगन मन ला फटफटी के जरूरत रहिथे. वो ह अइसने करके कतको अभियास ला छोड़ के आ गे हवय.

कोच कहिथे, “अभू घलो कुछेक गाँव अइसने हवंय जिहां कोनो सरकारी धन निजी बस नइ चलय. नवा पीढ़ी के एथलीट मन ला ग्राउंड तक आय मं जूझे ला परथे अऊ ये मन के कतको ला येकरे सेती अपन पढ़ई ले घलो जूझे ला परथे.” लकठा मं कऊनो कालेज नइ होय सेती घलो ये गाँव के कतको नोनी मन ला 12 वीं पास करे के बाद घलो पढ़े ला छोड़ देथें. जसपाल के तीर के बस टेसन गाँव के दूसर डहर हवय. वो ह बताथे के जऊन बखत ग्राउंड मं हबरे ला होथे, वो बखत उहाँ जवेइय्या बस घलो मिले एक ठन समस्या आय.

इहीच गाँव के एक झिन आन जवान एथलीट रमनदीप कौर घलो अभियास मं भाग लेय बर दिन मं दू बेर 3 कोस (10 किमी) रेंगत जाथे. वो ह बताथे, “कभू-कभू, मंय करीबन दू कोस रेंगत जाथों अऊ ओकर बाद चैनपुर गांव के एक झिन दीगर टूरी कोमलप्रीत के साथ स्कूटी मं ग्राउंड जाथों. अभियास करे के बाद मंय दू कोस रेंगत लहुंटथों.”

“डर तन लगदा इकले औंदे-जांदे, पर किसे कोल टाइम नहीं नाल जान औं लेई [ मंय अकेल्ला आवत-जावत डेर्राथों, खास करके अंधियार मं, फेर परिवार के ककरो करा मोर संग जाय के बखत नइ ये],” रमनदीप कहिथे. अभियास अऊ ओकर बाद 7 कोस के रेंगई के ओकर उपर भारी असर परथे. वो ह कहिथे, “मंय हर बखत थके रहिथों.”

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डेरी: जसपाल ह दू बछर पहिली फटफटी चलाय सीख गे रहिस अऊ कभू कभार फटफटी धरके वोला अभियास मं जाय के मऊका मिला जाथे. जउनि: रमनदीप कौर (करिया टी-शर्ट) अपन पारिवार के घर मं अपन दाई अऊ बहिनी मन के संग, कतको बछर ले हासिल करे ट्रॉफी मन के साथ

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रमनदीप ह अपन इनाम के पइसा ले दऊड़े बर जूता बिसोईस

येला छोड़, ओकर काम दऊड़े के अभियास के संग नइ सिरोवय, 21 बछर के ये नोनी ला घर मं घलो मदद करे ला परथे, घर के गाय – भंइस के देखरेख करे ला घलो परथे. घर के ठीक आगू मं 3-4 फीट चाकर ईंटा के, सड़क पार एक ठन नान कन जगा हवय जिहां वो मन अपन मवेसी मन ला रखथें.

रमनदीप घलो मजहबी सिख समाज ले हवय. ओकर दस परानी के परिवार ह दू झिन भाई के कमई ले चलथे, जेन मन मजूरी करथें. वो ह कहिथे, “वो मन अधिकतर बढ़ईगीरी करथें धन जेन घलो कुछु काम मिल जाय करथें. जब वो मन ला काम बूता मिल जाथे त रोजी मं करीबन 350 रूपिया कमा लेथें.”

साल 2022 मं 12वीं क्लास पास करे के बाद जब ओकर ददा ह गुजर गे त वो ह पढ़े ला छोड़ दिस.“हमन ये खरचा उठाय नइ सकत रहेन,” वो ह गाँव के दूसर छोर मं. धसके भिथि वाले अपन दू खोली के घर मं दुखी मन ले कहिथे. रमनदीप कहिथे, “मोर दाई ह मोर बर खेल के कपड़ा बिसोय हवय, वोला 1,500 रूपिया के विधवा पेंशन मिलथे.”

“कैश प्राइस जित्त के सूज लावे सी 3100 दे, हुन टूट गए, फेर कोई रेस जित्तुंगी ते सूज लाउंगी [ मंय ये जूता वो बखत बिसोय रहेंव जब एक ठन दऊड़ मं 3100 रूपिया के नगद इनाम जीते रहेंव, ये ह अब फट गे हे, मंय जब जब रेस जितहूँ, जूता बिसोहूँ]” वो ह अपन टूटे-फूटे जूता डहर आरो करत कहिथे, जऊन ला वो ह बऊरत हवय. जूता होय ,धन न होय, वो ह ये बखत जिहां हवय, उहाँ ले बढ़िया जगा जाय बर वो ह दऊड़ लगावत हवय.

रमनदीप कहिथे, “मंय पुलिस मं भर्ती होय बर दऊड़त हवं.”

अऊ अइसनेच चैनपुर के 15 बछर के कोमलप्रीत कौर, कोहाली गाँव ले 15 बछर के गुरकिरपाल सिंह, राणेवाली गाँव ले 20 बछर के मनप्रीत कौर अऊ सैंसरा कलां गाँव ले 20 बछर के ममता घलो सामिल हवंय. ये सब्बो कोच छीना ले सिखत हवंय. नवा पीढ़ी के ये हरेक एथलीट मन बर, बदले हुए सामाजिक हालत के छोड़ सरकारी नऊकरी के मतलब पूरा परिवार बर पइसा-कौड़ी के सुरच्छा आय. फेर ये नऊकरी मन ला हासिल करे अक ठन अऊ बाधा दऊड़ पार करे आय.

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ग्राउंड मं अभियास के बखत कोमलप्रीत अऊ मनप्रीत

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डेरी: जवान एथलीट गुरकिरपाल सिंह, अपन जीते इनाम ला दिखावत हवय. जउनि: कोच छीना नवा पीढ़ी के एथलीट मन ला सिखावत

खिलाड़ी मन बर विशेष तीन फीसदी कोटा योजना सेती राज्य अऊ रास्ट्रीय स्तर मं चैंपियनशिप ट्रॉफी जीते के जरूरत परथे, जेकर बर कतको किसिम के संसाधन  के जरूरत परथे. जेन ह नइ होय सेती नोनी मन भारी मिहनत करथें अऊ राज भर मं होवेइय्या कतको मैराथन मं 5 अऊ 10  किमी के दऊड़ लगाथें. ओकर मन के जीते इनाम अऊ पदक वो मन ला पुलिस मं भर्ती होय मं शारीरिक फिटनेस जाँच मं मदद करथे जेकर आस रखे हवंय.

ये नऊकरी मं मजहबी सिख मन बर आरक्षण घलो हवय. साल 2024 राज्य भर्ती अभियान मं उम्मीदवार मन बर पंजाब पुलिस मं सिपाही सेती निकरे कुल 1,746 पद ले 180 ये एससी समाज बर आरक्षित हवय. अऊ 180 ले 72 सीट ओकरे समाज के माईलोगन मन बर आरक्षित हवय.

2022 इंडिया जस्टिस रिपोर्ट , जऊन ह अपने प्रमुख न्याय वितरण तंत्र, मतलब पुलिस, न्यायपालिका, जेल अऊ कानूनी सहायता बर क्षमता निर्माण मं हरेक राज के प्रगति के आकलन अऊ रैंकिंग करथे. येकर ले पता चलथे के  पंजाब साल 2019 अऊ 2022 के बीच आठ रैंक गिरके चौथा ले 12वां जगा मं आ गे हवय. आगू कहे गे हवय के “चाहे वो जात होय धन लिंग, हर जगा समावेशन मं कमी हवय अऊ सुधार धीरे चलत हवय. बछरों बछर ले भारी बहस के बाद घलो, जब अलग-अलग राज एक धन दीगर श्रेणी ला पूरा कर सकथें, कऊनो घलो राज सब्बो सब सिस्टम मं जम्मो तीनों कोटा ला पूरा नइ करंय. न त माइलोगन मन कहूँ घलो बराबरी के तीर मं हवंय. पुलिस मं महिला कर्मी मन के हिस्सेदारी 3.3 फीसदी ले 11.8 फीसदी तक हबरे मं जनवरी 2007 ले जनवरी 2022 तक पंद्रह बछर लाग गे. साल 2022 मं पंजाब मं माइलोगन मन के आंकड़ा 9.9 फीसदी हवय.

जसपाल अऊ रमनदीप दूनों बीते बछर ले पंजाब पुलिस मं सिपाही के पद सेती अरजी देवत हवंय. साल 2023 मं वो दूनों पंजाबी मं लिखित परीक्षा दे रहिन फेर पास नइ होइ सकिन. रमनदीप कहिथे, “मंय घर मं लिखित परीक्षा के तैय्यारी करथों.”

भर्ती अभियान सेती साल 2024 के विज्ञापन मं तीन चरण के चयन प्रक्रिया मं पहिली बखत कंप्यूटर आधारित परीक्षा के जिकर करे गे हवय. अनुसूचित जाति अऊ पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार मन करा शारीरिक स्क्रीनिंग टेस्ट अऊ शारीरिक माप परीक्षण के दूसर दौर बर कम से कम 35 फीसदी नंबर होय जरूरी आय. शारीरिक परीक्षण मं दऊड़, लंबी कूद, ऊंची कूद, वजन अऊ ऊंचाई सामिल हवय.

PHOTO • Courtesy: NMIMS, Chandigarh
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एनएमआईएमएस, चंडीगढ़ डहर ले आयोजित मैराथन मं रमनदीप (डेरी) अऊ जसपाल (जउनि)

रमनदीप के दाई अपन बेटी के प्रदर्सन ला लेके चिंता करत हवय, काबर के वो ह जियादा नइ खावय, वो ह कहिथे. वो ह पोषण ऊपर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के गाइडबुक के बारे मं बनेच कम जानथे. जेन ह जवान एथलीट मन के पोसन अऊ ताकत ला पूरा करे बर साग-सब्जी, फल, बीन्स, फल्ली, अनाज, कम वसा वाले मटन, मछरी अऊ गोरस ले बने खाय के कतको जिनिस के सिफारिस करथे. वो येकर खरचा नइ उठाय सकय. महिना मं एक बेर मटन आथे. “डाइट नही मिलदी, बस रोटी जा जो वी घरे मिल जांदा [हमन ला बने आहार नइ मिलय, रोटी धन कुछु अऊ जेन ह घर मं खाय बर बनाय जाथे],” रमनदीप कहिथे. जसपाल कहिथे, “हमन ला घर मं जेन घलो बनाय जाथे धन फुलोय चना खाथन.”

दूनों नोनी मन ले कऊनो ला घलो ये साल के विज्ञापन मं लिखाय कम्प्यूटर आधारित परीक्षा के बारे मं पता नइ ये. जसपाल अपन पहिली के अनुभव ला सुरता करत कहिथे, “बीते बछर ये ह पंजाबी मं लिखित परीक्षा रहिस, कम्प्यूटर आधारित नइ. हमर करा कम्प्यूटर के सुविधा नइ ये.” बीते बछर जसपाल ह लिखित परीक्षा पास करे मं मदद लेगे बर दू महिना तक ले कोचिंग मं 3 हजार रूपिया खरचा करे रहिस.

ये बछर के सर्कुलर के मुताबिक पहिली दौर मं पंजाबी भाखा ऊपर क्वालीफाइंग पेपर के संगे संग एक ठन अऊ पेपर घलो होही. ये ह सामान्य ज्ञान, मात्रात्मक योग्यता अऊ संख्यात्मक कौशल, मानसिक क्षमता अऊ तार्किक तर्क, अंगरेजी भाखा के जानकारी, पंजाबी भाखा के जानकारी अऊ डिजिटल साक्षरता अऊ जागरूकता ऊपर उम्मीदवार मन ला परखे जाही.

जसपाल कहिथे, “फिजिकल टेस्ट रिटन टेस्ट क्लियर होन तों बाद लैंदे ने, रिटन टेस्ट ही क्लियर नहीं सी होवा इस करके फिजिकल टेस्ट तक पोहुंचे ही नही [ लिखित परीक्षा पास करे के बाद शारीरिक परीक्षा आयोजित करे जाथे, जब तंय लिखित परीक्षा पास नइ करे सकबे, शारीरिक परीक्षा देय के सवालेच नइ ये]?”

रमनदीप कहिथे, “मोर करा बीते बछर के कताब मन हवंय. ये बछर घलो मंय [पुलिस मं भर्ती होय] आवेदन करे हवं. देखो काय होथे.” ओकर अवाज मं संदेहा अऊ आस बरोबर भरे रहिस.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Arshdeep Arshi

Arshdeep Arshi is an independent journalist and translator based in Chandigarh and has worked with News18 Punjab and Hindustan Times. She has an M Phil in English literature from Punjabi University, Patiala.

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Editor : Pratishtha Pandya

Pratishtha Pandya is a Senior Editor at PARI where she leads PARI's creative writing section. She is also a member of the PARIBhasha team and translates and edits stories in Gujarati. Pratishtha is a published poet working in Gujarati and English.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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