अनिल नारकंडे बियाह वाली जगह के सजावे में हर बेर निहर जबरदस्त मेहनत कईले बाड़ें. लेकिन ए बेरी उनका ना पता रहे कि कहानी में अइसन मोड़ आई!

भंडारा के अलेसुर गांव के 36 बरिस के किसान अनिल बियाह में सजावट आ संगीत के जिम्मेदारी निभावेलन. बगल के गांव में बिहे खातिर उ एगो बढ़हन पीयर शामियाना बनवलें आ बियाह वाला स्थल के ढेर क प्लास्टिक के फूलन से सजवलें. मेहमान लोगन खातिर कुर्सी आ दूल्हा दुल्हिन खातिर गढ़ा रंग के खास बियहुती सोफा भेजलें, बियाह वाला जगह के चमकावे खातिर बिजली बत्ती के व्यवस्था आ संगीत खातिर डीजे के इंतजाम कईलें.

दूल्हा के इंटा माटी गारा से बनल मामूली घर के बियाह खातिर एकदम नया रूप दिहल गईल रहे- दुल्हिन सतपुड़ा के पहाड़ी पार कर के मध्य प्रदेश के सिवनी से आवे वाली रहे.

बियाह वाला सांझ कुल मामला उल्टा चल गईल, अनिल कहेलन जिनकर उम्मीद रहे कि गर्मी में होखे वाला बियाहन में उनकरी धंधा के बढ़िया उछाल मिली. बाकिर काम खातिर दूसरी राज्य में गईल दूल्हा बियाह के एक दिन पहिले भाग गईल.

“उ अपनी माता पिता के कॉल कर के कहलस कि ई बियाह अगर ना टूटल त उ जहर खा लिही,” अनिल बतावेलन, “ओके केहू दूसर पसंद रहे.”

जबले बियाह कैंसिल कईल जाईत तबले दुल्हिन आ ओकर पार्टी पहुंच गईल रहे. लईका के माता पिता आ गांव खातिर एगो खुशी के मौका बड़का शर्मिंदगी में बदल गईल.

दूल्हा के निराश पिता अनिल से कहलें कि उ उनकर पईसा ना दे पइहें.

PHOTO • Jaideep Hardikar
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भंडारा के तुमसार तहसील के अलेसुर गांव में स्थानीय निवासी अनिल नारकंडे द्वारा सजावल गईल बियाह के स्थल. एगो अनोखा मोड़ आईल जब बियाह के समय दूल्हा भाग गईल आ बियाह के कुल रीती रिवाज रोक दिहल गईल. दूल्हा के पिता अनिल के फीस ना दे पवलें. दायां: किसानन के लगे कवनो स्थायी आमदनी के स्रोत नईखे एसे अनिल निहर कई गो किसान आजीविका चलावे खातिर छोट मोट व्यवसाय शुरू कईले बा लोग. सजावट के आपन व्यवसाय जमावे में अनिल पिछला कुछ साल में करीब 12 लाख रुपिया के खर्चा कईले बाड़ें

“हमरा पईसा मांगे के करेजा ना रहे,” भंडारा के अलेसुर गांव में अपनी घर में बईठल अनिल कहेलन. ए गांव में ज्यादातर लोग छोट किसान आ खेतन में काम करे वाला मजदूर बा. “उ लोग भूमिहीन धीवर (मछुआरा जाति) हवें; दूल्हा के पिता अपनहीं रिश्तेदारन से पईसा उधार लिहले रहलें,” उ बतावेलन. अनिल उनसे खाली अपनी मजदूरन के पईसा देवे के कहलें आ बाकी फीस भुला देवे के फैसला कईलें.

ए अजीब घटना से 15000 रुपिया के नुकसान भईल, अनिल बतावेलन. उ हमनी के सजावट के सामानन वाला आपन गोदाम देखवलें जेमे बांस के लट्ठा, स्टेज वाला फ्रेम, बड़का स्पीकर आ डीजे के सामान, रंगीन पंडाल के कपड़ा, दूल्हा दुल्हिन खातिर खास सोफा भरल बा. अपनी सीमेंट के घर के संघे उ एगो बड़ हाल बनववले बाड़ें.

अलेसुर गांव सतपुड़ा रेंज के तलहटी में तुमसर तहसील के वन क्षेत्र में स्थित बा. एगो फसल वाला ई क्षेत्र में किसान अपनी छोट जोत में धान उगावेला लोग आ फसल कटाई के बाद काम के खोज में दूसरी जगह चल जाला लोग. रोजगार पैदा करे वाला कवनो बड़ उद्योग या अन्य सेवा ना होखे के कारण ए क्षेत्र में आदिवासी आ पिछड़ा वर्ग के आबादी के बड़ हिस्सा अपनी आजीविका खातिर गर्मियन में जंगल पर निर्भर रहेला. आ मनरेगा के काम के मामला में तुमसर के रिकॉर्ड खराब रहल बा.

एसे अनिल जईसन बहुत लोग आपन आजीविका चलावे खातिर छोट काम धंधा करेला लोग जवन स्थिर या घटत कृषि आय से प्रभावित भईल बा.

अनिल बतावेलन कि ग्रामीण इलाकन में डीजे आ सजावट के काम तेज हो गईल बा बाकिर अइसन कठिन समय में व्यवसाय कईल आसान नईखे. “ग्रामीणन के आर्थिक स्थिति बहुत खराब बा.”

अनिल हमेशा से भाजपा के मतदाता रहलें हं – उनके गवली समुदाय के भाजपा नेता लोगन से बढ़िया सम्बन्ध रहल ह बाकिर उनके गांव के लोगन के राजनितिक रुझान में बदलाव लउकता (भंडारा-गोंदिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आ चुनाव के पहिला चरण में 19 अप्रैल के वोट डालल गईल रहे). “लोकानां काम नाहीं; त्रस्त आहेत (लोगन के लगे काम नईखे, सब चिन्तित बा),” उ कहेलन. बात इ बा कि मौजूदा भाजपा सांसद सुनील मेंढे अपनी पांच बरिस के कार्यकाल में एक्को बेर लोगन से मिले ना अईलें आ पारी के कुछ लोग बतवलें कि उनकरा खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बन गईल बा.

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अनिल के घर के गोदाम में सामान – दूल्हा दुल्हिन खातिर सोफा , डीजे के सेट , स्पीकर , शामियाना के कपड़ा आ फ्रेम संघे अन्य सामान

अनिल बतावेलन कि एइजा के महिला लोग बड़ खेतन पर रोज काम करे जाली. अगर आप सबेरे आईब त मोटर वाहन पर ओ लोगन के काम पर जात आ सांझी के काम से लौटत देखब. “युवा आदमी लोग दूसरी राज्यन में कारखाना, सड़क या नहर निर्माण इत्यादि बड़ कामन खातिर जायेला,” उ बतावेलन.

अनिल कहेलन कि अगर उनकर स्वास्थ्य बढ़िया रहित त उहो काम खातिर बाहर गईल रहतें. अनिल के दू गो लईका बाड़ें सन जेमें से एगो के डाउन सिंड्रोम हवे. “दसवीं में फेल भईला के बाद हम नागपुर गईल रहनी आ वेटर के काम कईनी.” बाकिर एकरी बाद उ घरे लौटलें, लोन ले के महिला मजदूरन के ले आवे ले जाए खातिर एगो टेम्पो कीनलें. जब ए काम में फायदा कम हो गईल त ई बोझिल काम छोड़ के उ पांच साल पहिले सजावट के धंधा शुरू कईलें. उ कहेलन कि अइसन कार्यक्रमन खातिर ज्यादातर काम उधारी पर होखेला. “लोग हमार सेवा लेला आ भुगतान बाद में करे के कहेला,” अनिल कहेलन.

अगर मृत्यु के बाद होखे वाला संस्कार खातिर पंडाल लगावेनी त हम अपनी क्लाइंट लोगन से पैसा ना लेवेनी,” उ बतावेलन. आ बियाह खातिर हम 15 से 20 हजार ले लेवेनी काहें कि लोग ओतने दे सके में सक्षम बा.

अनिल अपनी व्यवसाय में करीब 12 लाख रुपिया ले लगवले बाड़ें. अपनी सात एकड़ के जमीन के बदले उनकरी ऊपर बैंक के एगो लोन भी चलता जेके उ किश्त में चुका रहल बाड़ें.

“हमार खेत आ दूध के धंधा में भी कवनो बेहतर आमदनी नईखे होत, उ कहेलन. “हम बिछायत (सजावट) में किस्मत अजमावत बानी बाकिर ए धंधा में अउरी लोग भी आवे लागल बा.”

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एगो और समस्या बा जेकरी वजह से लोगन के गुस्सा बढ़ल जाता: गांव से पलायन कर के गईल युवा मजदूरन के काम के जगह पर दुर्घटना में मृत्यु. ज्यादातर मामलन में कवनो जांच या मदद नईखे मिलत.

उदाहरण खातिर पारी जवनी दू घरन के अप्रैल के शुरुआत में दौरा कईले रहे ओमे से एगो के मामला लिहीं: भूमिहीन गोवारी (अनुसूचित जनजाति) समुदाय के 27 बरिस के अविवाहित विजेश कोवाले के आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर जिला में सोन्नेगोवनीपल्ले गांव में एगो प्रमुख बांध के भूमिगत नहर स्थल पर काम करत के 30 मई 2023 के मृत्यु हो गईल.

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भंडारा के अलेसुर में रमेश कोवाले आ उनकर मेहरारू जनाबाई अब्बो अपनी बेटा के आकस्मिक मृत्यु के शोक मनावत बाड़ें जे हर साल काम खातिर आन्ध्र प्रदेश चल जात रहल ह. कोवाले परिवार ए साल अपनी बेटा के मृत्यु के पहिला बरसी मनाई. उ लोग अपनी बड़का बेटा राजेश के बियाह के भी तैयारी करता जे ट्रक ड्राईवर हवे. परिवार के लोग अब अपनी बेटन के निर्माण के चाहे दूसर काम करे खातिर बाहर दूसरी राज्य में जाए देवे के तैयार नईखे

“हमनी के ओकर मृत शरीर एइजा ले आवे आ ओकर अंतिम संस्कार करे में 1.5 लाख रुपिया खर्चा करे के पड़ल,” ओकर पिता रमेश कोवाले कहेलन. पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट के अनुसार उनकरी बेटा के मुअला के स्पष्ट कारण बतावल गईल बा: “बिजली से मृत्यु.”

प्राथमिकी (एफआईआर) में बतावल गईल बा कि विजेश नशा के हालत में साईट पर एगो करंट वाला तार के छू दिहलें. इलाका के अस्पताल में उनके भर्ती कईल गईल जहां उनकर मौत हो गईल.

“ओकर कंपनी वादा कईला के बाद भी कवनो तरह के मुआवजा नईखे देले,” कोवाले बतावेलन. “पिछली साल रिश्तेदारन से जवन कर्जा लिहले रहनी उ अभी ले चुकावत बानीं.” विजेश के बड़ भाई राजेश जिनकर बियाह होखे वाला बा, ट्रक ड्राईवर हवें. उनकर छोट भाई सतीश स्थानीय खेतन में काम करेलन.

“एम्बुलेंस में ओकर शरीर सड़क मार्ग से ले आवे में हमनी के दू दिन लागल,” रमेश कहेलन.

अनिल बतावेलन कि पिछला साल चार से पांच ग्रामीण युवा दूर दराज के काम वाला जगह पर दुर्घटना में मर गईल बाने. बाकिर इ एगो अलगे मामला बा.

चिखली गांव में सुखदेव उइके के मन से अपनी जवान आ एकलौता बेटा अतुल के मौत के दुःख निकलल नईखन.

“ओकरे समूह के लोग ओकर हत्या कर दिहलें या दुर्घटना रहे, हमरा नईखे मालूम,” उइके कहेलन जे छोट किसान हवें आ गांव में मजदूरी भी करेलन. “हमनी के ओकर माटी भी देखे के ना मिलल काहें कि आंध्र प्रदेश पुलिस हमनी के बतवले बिना ओकर अंतिम संस्कार कर दिहलस.”

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अतुल उकिये के आन्ध्र प्रदेश के राजामुंडरी में मई 2023 में मृत्यु हो गईल जहां उ काम करे गईल रहलें. उनकर पिता सुखदेव, माता आ बहिन शालू मडावी अभी भी जवाब के इंतजार में बा लोग. आम चुनाव में मतदान ओ लोगन के दिमाग में दूर दूर ले नईखे

अतुल ए क्षेत्र के कुछ प्रवासी लोगन के संघे दिसम्बर 2022 में आन्ध्र प्रदेश के राजामुंडरी में धान के खेतन में बतौर थ्रेसर ओपरेटर काम करे गईलें. उ अपने माता पिता के 22 मई 2023 के कॉल कर के बतवलें कि उ लोग अब घरे वापस आवता.

“ऊ ओकर आखिरी कॉल रहे,” ओइके याद करेलन. ओकरी बाद अतुल के फोन स्विच ऑफ़ हो गईल. उनकर बहिन शालू मडावी कहेली उ कब्बो घरे ना लौटल. “हमनी के ओकरी मुअला के एक हफ्ता बाद पता चलल जब हमनी के सवाल करे शुरू कईनी जा आ ओ जगह पर गईनी जा.”

परिवार के कुछ विडिओ क्लिप देखावल गईल जेसे मामला अउरी उलझ गईल. क्लिप में लउकल कि अतुल एगो वाइन बार के लगे बगल में सड़क पर लेटल बा. “लोगन के बुझाईल कि उ नशा में बा बाकिर जरुर ओके मारल गईल रहे,” उनकर पिता कहेलन. पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में ओकरी सिर के पिछला हिस्सा पर गहरा घाव बतावल गईल बा. “पुलिस हमनी के देखवलस कि ओकर अंतिम संस्कार कहां भईल रहे,” पारी के प्राथमिकी आ पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट देखावत के उइके के बेचैनी साफ झलकत बा. “ई एगो रहस्य बा कि हमरी बेटा के संघे का भईल रहे.” ओकरी संघे जे लोग गईल रहे उ उकरी मौत के बारे में एकदम चुप बा. उ पारी के बतवलें कि ओमे से ज्यादातर लोग सीजन में काम खातिर गांव से बहरा बा.

“प्रवासी श्रमिकन के ए तरह के आकस्मिक मृत्यु बहुत आम बा बाकिर एमे हमनी के बहुत कुछ कईल ना जा सकेला,” चिखली के सरपंच सुलोचना मेहर कहेली जे भंडारा पुलिस के संघे मामला पर नजर रखे के कोशिश कईली बाकिर कुछु हाथे ना लागल.

उइके आ उनकरा परिवार खातिर आम चुनाव में मतदान दिहला से ढेर जरूरी बा अतुल के मौत के सच्चाई पता लगावल. “ई लोग कवनो काम के नईखे,” सुखदेव कहेलन आ जोर देलन कि सांसद आ विधायक लोगन के हर तरह से जमीनी स्तर पर सम्पर्क खतम हो गईल बा.

अलेसुर में अनिल के कहनाम बा कि उ कोवाले आ उइके - दूनो पीड़ित परिवारन के जानेलन आ दूनो घरन में मृत्यु के बाद होखे वाला वाला अनुष्ठानन में फ्री में मंडप लगवले रहलें. “आमदनी ढेर भले नईखे बाकिर हम अपनी खेत आ व्यवसाय संघे ठीक बानी,” उ कहेलन. “कम से कम, हम जियत त बानी.”

अनुवाद : विमल चन्द्र पाण्डेय

Jaideep Hardikar

Jaideep Hardikar is a Nagpur-based journalist and writer, and a PARI core team member.

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Editor : Sarbajaya Bhattacharya

Sarbajaya Bhattacharya is a Senior Assistant Editor at PARI. She is an experienced Bangla translator. Based in Kolkata, she is interested in the history of the city and travel literature.

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Translator : Vimal Chandra Pandey

Vimal Chandra is a journalist, film maker, writer and translator based in Mumbai. An activist associated with the Right to Information Movement, Vimal is a regular contributor of a Bhojpuri column ‘Mati ki Paati’ in the Hindi daily, Navbharat Times, Mumbai.

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