पारी की कहानियों का विशाल संग्रह देश भर की कक्षाओं में 'हमारे समय की एक चलती-फिरती पाठ्यपुस्तक' की तरह नज़र आती है. हमारे इस काम में छात्र भी अपना योगदान देना चाहते हैं और इसलिए वे हमारे साथ इंटर्नशिप करते हैं, जिसके दौरान वे साक्षात्कार लेते हैं, तस्वीरें लेते हैं, दस्तावेज़ीकरण करते हैं और ग्रामीण मुद्दों पर आधारित हमारे संग्रह को समृद्ध बनाने में योगदान देते हैं
हम ग्रामीण भारत और हाशिए के समुदायों पर आधारित कहानियों को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाने की दिशा में काम करते हैं. हम उन युवाओं के साथ मिलकर काम करते हैं जो अपने आसपास के मुद्दों पर रपट लिखना और उन्हें दर्ज करना चाहते हैं. हम उन्हें पत्रकारिता की भाषा में कहानी कहने के लिए प्रशिक्षित करते हैं और राह दिखाते हैं. हम इसके लिए छोटे पाठ्यक्रमों, सत्रों और कार्यशालाओं का सहारा लेते हैं, साथ ही साथ ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करते हैं जिनसे छात्रों को आम अवाम के रोज़मर्रा के जीवन और संघर्षों के बारे में बेहतर समझ मिल सके.
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Devesh
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.