“मोला अइसनेच सिक्स पैक एब्स मिलगे, मंय कभू कसरत नई करंय. अऊ शाहबाज़ के बाइसेप्स ला देखव!” जवान आदिल काम करेइय्या संगवारी डहर आरो करत हंसत कहिथे.

मोहम्मद आदिल अऊ शबाज़ अंसारी मेरठ के जिम अऊ फिटनेस के पुर्जा-समान बनाय के कारखाना मं काम करथें, अऊ वो मन दिन भर मं जिम जवेइय्या लोगन मन के बनिस्बत हफ्ता भर मं जियादा वजन उठाथें. भारी वजन उठाय ह कऊनो कसरत के सेती नो हे, फेर उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर मं मुस्लिम परिवार के जवान टूरा मन बर ये ह जीविका के महत्तम जरिया आय. असल मं, बुड़ती यूपी के ये जिला ह खेल के जम्मो समान बनाय के केंद्र आय.

मोहम्मद साकिब कहिथें, “अभी कुछु दिन पहिली, लइका मन अपन बाइसेप्स अऊ एब्स [पेट के मांसपेसी] ला नापे सेती फोटोशूट करत रहिन.” 30 बछर के कारोबारी साकिब सूरज कुंड रोड मं अपन परिवार के भाड़ा के जिम पुर्जा के शोरूम मं काउंटर के पाछू बइठे हवय. ये सड़क ह एक किमी लंबा हवय जेन ह मेरठ मं खेल के सामान के बड़े बजार आय.

वो ह आगू बताथे, “घर-गृहस्थी वाले माइलोगन मन के बऊरेइय्या सधारन डंबल ले लेके पेशेवर खिलाड़ी मन के बऊरेइय्या जटिल सेटअप तक, आज हर कऊनो जिम अऊ फिटनेस के सामान चाहथे.”

जइसने के हमन बात करत हवन, कतको इलेक्ट्रिक तीन चक्का के गाड़ी (इहाँ येला मिनी मेट्रो कहिथें) लोहा के छड़ अऊ पाइप के संगे संग जिम अऊ लोहा के सरिया ले बने सामान ले लदाय, भीड़-भड़क्का वाले सड़क मं आवत-जावत हवंय. साकिब शोरूम के कांच के फेरका ले सामान मन ला लावत-ले जावत, देख के बताथे, “जिम मशीन के पुर्जा कतको हिस्सा मं बनाय जाथे अऊ बाद मं वोला फिट करे जाथे.”

Left: Mohammad Saqib at their rented gym equipment showroom on Suraj Kund Road in Meerut city .
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Uzaif Rajput, a helper in the showroom, demonstrating how a row machine is used
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: मोहम्मद साकिब मेरठ शहर के सूरज कुंड रोड ऊपर भाड़ा के अपन जिम सामान के शोरूम मं. जउनि: शोरूम मं एक झिन सहायक उज़ैफ़ राजपूत, दिखावत हवय के रो मशीन ला कइसने बऊरे जाथे

मेरठ ह लोहा के काम बर नवा नो हे. साकिब ह पारी ला बताइस, “ये शहर अपन कैंची कारखाना सेती जगजाहिर हवय.” साल 2018 मं, मेरठ के कैंची उद्योग, जेन ह करीबन तीन सदी जुन्ना आय, वो ह भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग सेती अपन जगा बना लीस.

वइसे, मेरठ मं जिम सामान बनाय के इतिहास बनेच जुन्ना हवय, जेकर इतिहास 1990 के सड़क के सुरु ले हवय. साकिब कहिथे, “पंजाबी कारोबारी मन अऊ जिला मं खेल के सामान बनाय के कारखाना मन बढ़िया ढ़ंग ले इहाँ के कंपनी मन के अगुवई करे रहिन. हुनर वाले लोहार पहिलीच ले इहाँ रहिन अऊ जिम के सामान बनाय बर नवा बनाय लोहा के पाइप, छड़ अऊ चादर जइसने कच्चा माल घलो शहर के लोहा मंडी [थोक बजार] मं सुभीता ले मिलत रहिस.”

अधिकतर लोहार अऊ लोहा ढलाई करेइय्या मजूर मुस्लिम आंय अऊ कम आमदनी वाले परिवार ले हवंय. साकिब कहिथे, “परिवार के सबले बड़े टूरा बनेच कम उमर मं सीख जाथे.” वो ह कहिथे, “सैफ़ी/लोहार (अन्य पिछड़ा वर्ग) उपजाति के लोगन मन ला ये कारोबार मं सबले जियादा हुनर वाले माने जाथे.” साकिब के परिवार अंसारी समाज ले हवय, जेन ह बुनकर मन के  एक ठन मुस्लिम उपजाति आय, जेन ला राज मं ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध करे गे हवय.

साकिब कहिथे, कतको कारखाना इस्लामाबाद, जाकिर हुसैन कॉलोनी, लिसाड़ी गेट अऊ जैदी फार्म जइसने मुस्लिम बासिंदा वाले इलाका मं हवय. मेरठ जिला मं मुस्लिम आबादी करीबन 34 फीसदी हवय- जेन ह राज मं सातवाँ सबले जियादा हवय (जनगणना 2011).

इहाँ के मुसलमान लोहा मजूर मन के कद सिरिफ मेरठ तक ले नई ये. भारत के मुस्लिम समाज के समाजिक,आर्थिक अऊ शैक्षिक हालत ऊपर 2006 के रिपोर्ट ( सच्चर समिति के रिपोर्ट ) के मुताबिक धातु ले बनाय जिनिस मन तऊन तीन विनिर्माण क्षेत्र मन ले हवय जेन ह मुस्लिम मन के अनुपात बनिस्बत जियादा हवय.

Asim and Saqib in their factory at Tatina Sani. Not just Meerut city, but this entire district in western UP is a hub for sports goods’ production
PHOTO • Shruti Sharma
Asim and Saqib in their factory at Tatina Sani. Not just Meerut city, but this entire district in western UP is a hub for sports goods’ production
PHOTO • Shruti Sharma

आसिम अऊ साकिब तातिना सानी मं अपन फैक्ट्री मं. सिरिफ मेरठ शहरेच नई, फेर बुड़ती यूपी के ये पूरा जिला खेल के सामान बनाय के केंद्र आय

साकिब अऊ ओकर भाई मोहम्मद नाजिम अऊ मोहम्मद आसिम, दूनों के उमर करीबन तीस बछर के रहिस, वो मन शहर के लोहा कारखाना मं मजूर के रूप मं काम करे सुरु करे रहिन. साल 2000 के दसक के सुरु मं जब ओकर ददा के थोक कपड़ा के कारोबार ला भारी नुकसान होईस, वो बखत ये मन जवान रहिन, येकरे सेती वो मन काम करे सुरु करिन.

आसिम ह अहमद नगर इलाका के अपन घर मं डंबल प्लेट बनाय सुरु करिस, फेर नाजिम ऑटो पार्ट्स बनाय के बेवसाय मं काम करत रहिस. साकिब ह लोहा बनाय के कारखाना मं कारीगर फखरुद्दीन अली सैफी के सहायक के रूप मं काम करिस. साकिब कहिथे, “वो ह मोला सिखाइस के लोहा ला काटे, मोड़े, वेल्डिंग करे अऊ वो मन ला जोड़ के जिम के सामान, झूला अऊ जाली गेट बनाय जइसने कतको किसिम के ढांचा कइसने बनाय जाथे.”

अब, दूनों भाई तातिना सानी गांव मं अपन फिटनेस अऊ जिम सामन बनाय के  फैक्ट्री चलाथें, जऊन ह शहर मं ओकर मनके शोरूम ले करीबन 3 कोस (9 किमी) दूरिहा एक ठन नान कन बस्ती मं हवय. मेरठ ह लौह कलाकृति बनाय के केंद्र घलो आय – कलपुर्जा, कैंची अऊ लोहा के फर्नीचर जिला ले बहिर भेजे जवेइय्या माई जिनिस मन ले हवय ((जनगणना 2011).

साकिब कहिथे, “मेरठ मं अइसने कतको हुनर वाले लोहार हवंय जेन मन मोर ले कहूँ जियादा जानकार हवंय. फरक सिरिफ अतका हवय के मंय मजूर ले मालिक बन गेंव, अऊ अधिकतर नई बने सकिन.”

ये मुकाम हासिल करे मं ओकर भाई मन के बचत के पइसा ले कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) मं मास्टर्स करे के सेती होय सकिस. साकिब कहिथे, “मोर भाई मन पहिली त झझकत रहिन, फेर वो मन ला ये घलो भरोसा रहिस के मंय अपन एमसीए मं जऊ न घलो गियान हासिल करे सके हवं, वो ह हमन ला जिम अऊ फिटनेस के सामान बनाय के उदिम मं अपन खुद के कारोबार ठाढ़ करे मं मदद मिलही.”

*****

Left: Metal pieces are cut, welded, buffed, finished, painted, powder-coated and packed in smaller parts which are later assembled and fitted together.
PHOTO • Shruti Sharma
Right : A band saw cutting machine used to slice solid iron cylindrical lengths into smaller weight plates
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: लोहा के टुकड़ा ला काटे जाथे, वेल्डिंग करे जाथे, बफ करे जाथे, फिनिशिंग करे जाथे, पेंट करे जाथे, पाउडर कोट करे जाथे अऊ छोटे छोटे हिस्सा मं भरे जाथे जऊन ला बाद मं जमा करके एके संग फिट करे जाथे. जउनि: बैंड आरा काटे के मशीन जेकर ले ठोस लोहा के बेलन अकार के लंबाई ला छोटे वजन प्लेट मन मं काटे सेती बऊरे जाथे

The factory workers dressed in colourful t-shirts operate electric machines that radiate sparks when brought in contact with metal
PHOTO • Shruti Sharma

रंगीन टी-शर्ट पहिरे कारखाना के कर्मचारी इलेक्ट्रिक मशीन मन ला चलाथें, धातु के संपर्क मं आय ले चिंगारी निकरथे

“जिम के पुर्जा सेती, लोहा के टुकड़ा ला काटे जाथे, वेल्डिंग करे जाथे, बफ करे जाथे, फिनिशिंग करे जाथे, पेंट करे जाथे, पाउडर कोट करे जाथे अऊ भरे जाथे. छोटे हिस्सा मन ला बाद मं जमा करे जाथे अऊ एके संग फिट करे जाथे.” जब हमन कारखाना मं किंदरत रहेन साकिब ह बताथे. वो ह कहिथे, “आम लोगन मन ये नई समझे सकंय के कऊन हिस्सा ला बनाय जावत हे काबर के वो मन सिरिफ एसी जगा मं लगे अऊ फैंसी मशीन ला देखे हवंय.”

वो ह जेन जिम ला बतावत हवय, वो ह वो फेक्टरी ले बनेच दूरिहा मं हवय जऊन मं हमन हवन. तीन ठन भिथि अऊ ऊपर टीना के शेड के संग एक ठन ढांचा मं बने हवय, तातिना सानी मं फैक्ट्री ला काम के मुताबिक तीन हिस्सा-बनाय के जगा, पेंटिंग के जगा अऊ पेकिंग के जगा मं बांटे गे हवय. खुल्ला जगा ह हवा आय जाय सेती हवय. घाम के महिना सेती ये ह जरूरी आय काबर के तब तापमान ह 40 डिग्री रहिथे अऊ इहाँ तक ले 45 डिग्री ले ऊपर घलो चले जाथे.

जइसनेच हमन दुकान मं किंदरथन, हमन ला ये बात के खास ख्याल रखे ला परथे के हमन अपन गोड़ ला कहां रखत हवन.

15 फीट लंबा वाले लोहा के छड़ अऊ पाइप, 400 किलो ले जियादा वजन वाले ठोस लोहा के बेलन अकार के लंबा,वजनी प्लेट मन ला काटे बर काम मं लाय घन अऊ सपाट लोहा के चादर, बनाय के कतको काम सेती बिजली ले चलेइय्या बड़े मशीन अऊ जिम के पुर्जा सब्बो भूईंय्या मं हवंय. संकरा जगा, बिन चिन्हारी वाले पैडगरी आय, फेर थोकन चूक ले भारी कटे के अऊ इहाँ तक ले गोड़ मं कऊनो वजनी जिनिस के गिरे ले हड्डी टूटे के खतरा घलो रहिथे.

रखाय भारी वजनी भुरुवा,स्लेटी अऊ करिया रंग के सामन के बीच मं, काम अऊ चमक सिरिफ मजूर मन ले आवत हे. रंगीन टी-शर्ट पहिरे, वो मन बिजली के मशीन चलावत हवंय जऊन ह धातु के संपर्क मं आय ले चिंगारी निकरथे.

Asif pushes the iron pipe along the empty floor on his left to place it on the cutting machine; he cuts (right) the 15 feet long iron pipe that will go into making the 8 station multi-gym
PHOTO • Shruti Sharma
Asif pushes the iron pipe along the empty floor on his left to place it on the cutting machine; he cuts (right) the 15 feet long iron pipe that will go into making the 8 station multi-gym
PHOTO • Shruti Sharma

आसिफ लोहा के पाइप ला काटे के मशीन मं रखे बर अपन डेरी डहर के खाली जगा डहर पेलथे; वो ह 15 फीट लंबा लोहा के पाइप ला (जउनि) काटथे जेन ला 8 स्टेशन मल्टी-जिम बनाय मं बऊरे जाही

Left: Mohammad Naushad, the lathe machine technician at the factory, is in-charge of cutting and shaping the cut cylindrical iron and circular metal sheet pieces into varying weights.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: At Naushad's station, several disc-shaped iron pieces stacked on top of one another based on their weight
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: कारखाने मं लेथ मशीन मेकेनिक मोहम्मद नौशाद, कटाय लोहा अऊ गोल धातु के शीट ला अलग-अलग वजन के टुकड़ा मं काटे अऊ बनाय के काम ला देखथे. जउनि: नौशाद के काम के जगा मं डिस्क के आकार के लोहा के कतको टुकड़ा अपन वजन मुताबिक एक के ऊपर एक रखाय रहिस

मोहम्मद आसिफ तातिना सानी ले इहाँ के अकेल्ला वर्कर आय; दीगर लोगन मन मेरठ शहर अऊ ओकर तीर-तखार के इलाका ले आथें. “मंय इहाँ अढ़ाई महिना ले काम करत हवं, फेर य मोर पहिली नऊकरी नो हे. येकर पहिली मंय एक ठन दीगर जिम मशीन फैक्ट्री मं काम करत रहेंव,” 18 बछर के आसिफ कहिथे जऊन ह लोहा का पाइप काटे मं माहिर हवय. 15 फीट लंबा पाइप ला बगरे ढेरी ले बहिर निकारत, वोला एके-एक करके पाइप-कटिंग मशीन मं रखे के पहिली अपन डेरी डहर खाली जगा मं पेल देथे. वो ह इंच टेप ले तऊन हिस्सा के चिन्हा देथे जेन ला जिम के सामान बनाय बर लंबा अऊ डिज़ाइन के मुताबिक काटे जाही.

आसिफ बतावत जाथे, “मोर ददा ह दूसर के ऑटो चलाथे, ओकर कमई पूरत नई रहिस येकरे सेती मोला जतक जल्दी होय सकिस काम सुरु करे परिस.” वोला महिना मं 6,500 रूपिया तनखा मिलथे.

फैक्ट्री के दीगर जगा मं मोहम्मद नौशाद बैंड सॉ-कटिंग मशीन मं ठोस लोहा के बेलन अकार के टुकड़ा ला काटत हवंय. 32 बछर के नौशाद लेथ मशीन मेकेनिक घलो आय अऊ साल 2006 ला आसिम के संग काम करत हवय. नौशाद कतको डिस्क के आकार के लोहा के टुकड़ा डहर आरो करत कहिथे, ये सब्बो ला उठाय सेती कतको किसिम के जिम के पुर्जा संग जोड़े जाही. इहाँ वो ह ओकर वजन के मुताबिक एक के ऊपर एक रखे जाथे. नौशाद महिना मं 16,000 रूपिया कमाथे.

नौशाद के काम के जगा के डेरी डहर 42 बछर के मोहम्मद आसिफ सैफी अऊ 27 बछर के अमीर अंसारी बइठे हवंय, जेन मन आठ स्टेशन वाले मल्टी-जिम लगावत हवंय. ये ला कुपवाड़ा (जम्मू और कश्मीर) मं सेना के एक ठन केंप मं भेजे जाही.

कंपनी के ग्राहक मन मं श्रीनगर अऊ कटरा (जम्मू-कश्मीर), अंबाला (हरियाणा), बीकानेर (राजस्थान) अऊ शिलांग (मेघालय) मं भारतीय सेना के संस्थान शामिल हवय अऊ “निजी जिम सेटअप के सूची मणिपुर ले लेके केरल जइसने राज तक ले हवय. हमन नेपाल अऊ भूटान ला घलो भेजथन,'' साकिब कहिथे.

Left: Asif Saifi finalising the distance between two ends of the multi-gym based on the cable crossover exercise.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: He uses an arc welder to work on the base of the multi-gym
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: आसिफ सैफी केबल क्रॉसओवर कसरत के आधार ले मल्टी-जिम के दू ठन मुड़ी के बीच के दूरिहा ला आखिरी आकार देवत हवय. जउनि:  वो ह मल्टी-जिम के बेस ऊपर काम करे बर आर्क वेल्डर ले काम करथे

Amir uses a hand operated drilling machine (left) to make a hole into a plate that will be welded onto the multi-gym. Using an arc welder (right), he joins two metal pieces
PHOTO • Shruti Sharma
Amir uses a hand operated drilling machine (left) to make a hole into a plate that will be welded onto the multi-gym. Using an arc welder (right), he joins two metal pieces
PHOTO • Shruti Sharma

आमिर प्लेट मं छेदा करे सेती हाथ ले चलेइय्या ड्रिलिंग मशीन (डेरी) ले काम करथे जऊन ला मल्टी-जिम ऊपर वेल्ड करे जाही. आर्क वेल्डर (जउनि) ले वो ह धातु के दू ठन टुकड़ा ला जोड़थे

दूनों आर्क वेल्डिंग मं माहिर हवंय अऊ छोटे हिस्सा मन ला बनाय के संग-संग बड़े कलपुर्जा ला जोड़े के काम घलो करथें. ऑर्डर अऊ मशीन के हिसाब ले वो मन महिना मं करीबन 50-60,000 रूपिया कमाथें.

आमिर बताथे, “आर्क वेल्डिंग मशीन के आगू एक ठन पातर इलेक्ट्रोड होथे जऊन ह मोठ लोहा मं जाके वोला टघला देथे.” वो ह बतावत जाथे, “धातु के दू ठन टुकड़ा ला जोड़े के ये काम के बखत, इलेक्ट्रोड ला थिर हाथ ले धरे काम करे ला परथे, जेन ला सीखे अऊ महारत हासिल करे ह बड़े हुनर बन जाथे.”

“आमिर अऊ आसिफ ठेका मं काम करथें,” साकिब वो मन के तनखा के बारे मं बताथे. वो ह बताथे के, “कम हुनर वाले काम के बनिस्बत जऊन काम मं सबले जियादा हुनर के जरूरत होते वोला ठेका मं कराय जाथे. हुनर वाले लोगन मन के मांग जियादा हवय अऊ वो मन बढ़िया तनखा बर मोलभाव करे सकथें.”

अचानक, दुकान मं चमक कम परगे. बिजली चले गीस; फैक्ट्री के जनरेटर चालू होय तक ले कुछेक पल सेती काम रुक जाथे. जनरेटर के संगे संग बिजली के मशीन मन के आवाज मं अपन बात कहे बर लेबर मन जोर ले नरियायत हवंय.

अगला काम के जगा मं, 21 बछर के इबाद सलमानी, मेटल इनर्ट गैस (एमआईजी) वेल्डर के संग जिम के पुर्जा के हिस्सा के जोड़ ला मजबूत करत हवय. इबाद कहिथे, “गर तंय येला नई जान सके के पातर अऊ मोठ टुकड़ा ला कतक ताप मं वेल्ड करे जाही त लोहा टघल जाही.” वो ह महिना मं 10,000 रूपिया कमाथे.

धातु के टुकड़ा के काम करे सेती तरी मं झुकत, इबाद ये काम मं निकरेइय्या चिंगारी ले अपन आंखी अऊ हाथ ला बचाय सेती एक हाथ ला आगू मं ढाल जइसने रखथे. साकिब कहिथे, “हमर करा सुरच्छा के सब्बो समान हवंय. वर्कर अपन जरूरत के मुताबिक वोला बऊरथें के का सुरच्छित, काय असुरच्छित, काय सुविधा के अऊ काकर ले असुविधा होही.”

Left: Ibad Salmani  uses a hand shield while strengthening the joints of gym equipment parts with a Metal Inert Gas (MIG) welder.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Babu Khan, 60, is the oldest karigar at the factory and performs the task of buffing, the final technical process
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: इबाद सलमानी मेटल इनर्ट गैस (एमआईजी) वेल्डर के संग जिम पुर्जा के हिस्सा के जोड़ ला मजबूत बनाय बखत एक हाथ ला ढाल जइसने रखथे. जउनि: 60 बछर के बाबू खान कारखाना के सबले जुन्ना कारीगर आंय अऊ सबले आखिरी के काम, बफ़िंग के काम ला करथे

“हमर ऊंगली मन जर जाथें; लोहा के पाइप ह हमर गोड़ मं गिर जाथे, कटे-लगे त समान्य बात आय,” आसिफ सैफी कहिथे, अऊ वो ह बेपरवा ढंग ले कहिथे, “हमन ला बचपना ले येकर आदत पर गे हवय. ये काम छोड़ दूसर कऊनो उपाय नई ये.”

60 बछर के सबले सियान कारीगर बाबू खान अपन देह अऊ गोड़ ला चिंगारी ले बचाय सेती अपन बांहां ला सूती कपड़ा ले तोप के रखथे अऊ कनिहा के चरों डहर एक ठन बड़े कपड़ा पहिरथे. वो ह कहिथे, “जब मंय कम उमर के रहेंव त एक ठन दीगर जिम कारखाना मं लोहा के छड़ के वेल्डिंग के बूता करत रहेंव, फेर अब मंय बफ़िंग के काम करथों.”

साकिब बताथे, "बफ़िंग आखिरी काम आय जेन ह काटे अऊ वेल्डिंग के काम के बखत धातु मं रगड़ के चिन्हा ला खतम कर देथे. बाबू खान ला 10,000 रूपिया महिना तनखा मिलथे.

सतह ला चिकना करे के बाद, 45 बछर के शाकिर अंसारी ये पुर्जा के हिस्सा मन के जोड़ ला ढंके सेती बॉडी फिलर पुट्टी लगाय के काम संभाल लेथे अऊ वो ला रेगमल (रेतमल कागज) ले चिकना करथे. शाकिर, साकिब के बहनोई आय अऊ छे बछर ले इहाँ कमा करत हवय. वो ह ठेका मं काम करथे अऊ महिना मं 50,000 रूपिया तक ले कमई कर लेथे. वो ह कहिथे, “मोर डीजल वाले ऑटो सेती लोहा के नोजल बनाय के अपन कारखाना रहिस. फेर गैस वाले ऑटो (सीएनजी) के बजार मं आय के बाद मोर काम चौपट होगे.”

जब शाकिर पुर्जा मन मं प्राइमर अऊ पेंट लगाय के काम खतम कर लेथे, त येला मशीन ले पाउडर चुपराय जाथे, “जऊन ह येला टिकाऊ बनाथे अऊ जंग नई लगे देवय,” साकिब बताथे.

Left: Shakir Ansari applies body filler putty to cover gaps on the surface at the joints.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Sameer Abbasi (pink t-shirt) and Mohsin Qureshi pack individual parts of gym equipment
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: शाकिर अंसारी जोड़ ला ढंके सेती बॉडी फिलर पुट्टी लगाथे. जउनि: समीर अब्बासी (गुलाबी टी-शर्ट) अऊ मोहसिन कुरेशी जिम के अलग-अलग पुर्जा ला पैक करथें

बनाय सब्बो नवा सामान मन ला गेट के नजिक के एक ठन जगा मं अलग ले पैक करे जाथे जिहां ले वोला ले जाय सेती ट्रक मं लोड करे जाथे. पैक करेइय्या अऊ फिटर मोहम्मद आदिल, समीर अब्बासी, मोहसिन कुरेशी अऊ शाहबाज़ अंसारी के टीम के उमर 17 ले 18 बछर हवय अऊ हरेक ला 6,500 रूपिया महिना मिलथे.

सेना के जिम सेती कुपवाड़ा जवेइय्या ट्रक आ गे हवय अऊ वो मन ला येला लोड सुरु करे ला परही.

समीर कहिथे, “जिहां घलो मिले ऑर्डर ट्रक ले जाथे, हमन पुर्जा के फिटिंग करे बर रेल ले जाथन.” वो ह कहिथे, “ये काम सेतीच हमन पहाड़, समंदर अऊ रेगिस्तान ला देखे सके हवन.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Shruti Sharma

Shruti Sharma is a MMF-PARI fellow (2022-23). She is working towards a PhD on the social history of sports goods manufacturing in India, at the Centre for Studies in Social Sciences, Calcutta.

Other stories by Shruti Sharma
Editor : Sarbajaya Bhattacharya

Sarbajaya Bhattacharya is a Senior Assistant Editor at PARI. She is an experienced Bangla translator. Based in Kolkata, she is interested in the history of the city and travel literature.

Other stories by Sarbajaya Bhattacharya
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

Other stories by Nirmal Kumar Sahu