यह पक्षियों को संबोधित लोकगीतों की शृंखला का गीत है, और इसमें उनके ज़रिए अपने महबूब को याद किया गया है. गीत में हमारी मुलाक़ात गुलाबी चोंच वाले तोते से होती है, जो आम तौर पर इस क्षेत्र में पाया जाता है और आम, जामुन और खिरनी या रायण जैसे फल खाता है. गाने में अलग-अलग तरह के आभूषणों का भी ज़िक्र मिलता है, जो विवाहित महिलाएं पहनती हैं. महिला तोते के बहाने अपने प्रेमी से आभूषण लाने का अनुरोध करती है, जिसमें प्यार का संदेश छिपा है और विवाह का निमंत्रण है.

भद्रेसर गांव के जुमा वाघेर द्वारा प्रस्तुत यह गीत अक्सर कच्छ की शादियों में गाया जाता है.

भद्रेसर के जुमा वाघेर की आवाज़ में यह लोकगीत सुनें

કચ્છી

કારે ઊનારે સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત
આમૂં જાંભૂં ને રેણ મિઠી, સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત.
પગ પિરમાણે સૂડલા પખી કડલા ઘડાય (૨)
કાંભી એ તે હીરલા જડાઈયાં સૂડલા પખી કચ્છડો બારે માસ
કારે ઊનારે સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત
હથ પિરમાણે સૂડલા પખી મુઠીયો ઘડાય
બંગલીએ તેં હીરલા જડાઈયાં, સૂડલા પખી કચ્છડો બારે માસ
કારે ઊનારે સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત
ડોક પિરમાણે સૂડલા પખી હારલો ઘડાય
હાંસડી તે હીરલા જડાઈયાં સૂડલા પખી કચ્છડો બારે માસ
કારે ઊનારે સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત
નક પિરમાણે સૂડલા પખી નથડી ઘડાય
ડામણી તે હીરલા જડાઈયાં સૂડલા પખી કચ્છડો બારે માસ
કારે ઊનારે સૂડલા પખી ઘેલી ગૂજરાત
આમૂં જાભૂં ને રેણ મિઠી સૂડલા પખી કચ્છડો બારે માસ.

हिन्दी

बेरहम गर्मी के दिन
हरे तोते हरें गुजरात का मन.
पूरा मौसम दावत उड़ाएं,
आम, जामुन, मीठे खिरनी खाएं,
रंगीले कच्छ के हरे तोते.
मेरे पैरों में कड़ा पहनाओ
हीरे जड़ी कांभी दिलाओ,
रंगीले कच्छ के हरे तोते.
बेरहम गर्मी के दिन
हरे तोते हरें गुजरात का मन.
उंगलियों में मुठियो पहनाओ
हीरे की बंगड़ी से मेरा हाथ सजाओ,
रंगीले कच्छ के हरे तोते
बेरहम गर्मी के दिन
हरे तोते हरें गुजरात का मन.
मेरा गला सजाओ, हारलो बनवाओ,
हीरे की हांसड़ी दिलवाओ,
रंगीले कच्छ के हरे तोते.
बेरहम गर्मी के दिन
हरे तोते हरें गुजरात का मन.
मेरी नाक में नथनी पहनाओ
माथे पर हीरे की दामणी ओढ़ाओ,
रंगीले कच्छ के हरे तोते
बेरहम गर्मी के दिन
हरे तोते हरें गुजरात का मन.
पूरा मौसम दावत उड़ाएं,
आम, जामुन, मीठे खिरनी खाएं,
रंगीले कच्छ के हरे तोते.

PHOTO • Priyanka Borar

गीत का प्रकार : लोकगीत

श्रेणी : विवाह के गीत

गीत : 11

शीर्षक : कारे ऊनारे सुडला पखी घेली गुजरात

गायक : जुमा वाघेर, भद्रेसर गांव, मुंद्रा तालुका.

इस्तेमाल किए गए वाद्ययंत्र : ड्रम, हारमोनियम, बैंजो

रिकॉर्डिंग का साल : 2012, केएमवीएस स्टूडियो

सामुदायिक रेडियो स्टेशन, सुरवाणी ने ऐसे 341 लोकगीतों को रिकॉर्ड किया है, जो कच्छ महिला विकास संगठन (केएमवीएस) के माध्यम से पारी के पास आया है. ऐसे और गीत सुनने के लिए इस पेज पर जाएं: रण के गीत: कच्छी लोक संगीत की विरासत

प्रीति सोनी, केएमवीएस की सचिव अरुणा ढोलकिया और केएमवीएस के परियोजना समन्वयक अमद समेजा को उनके सहयोग के लिए विशेष आभार, तथा भारतीबेन गोर का उनके क़ीमती योगदान के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया.

अनुवाद: देवेश

Text : Pratishtha Pandya

Pratishtha Pandya is a Senior Editor at PARI where she leads PARI's creative writing section. She is also a member of the PARIBhasha team and translates and edits stories in Gujarati. Pratishtha is a published poet working in Gujarati and English.

Other stories by Pratishtha Pandya
Illustration : Priyanka Borar

Priyanka Borar is a new media artist experimenting with technology to discover new forms of meaning and expression. She likes to design experiences for learning and play. As much as she enjoys juggling with interactive media she feels at home with the traditional pen and paper.

Other stories by Priyanka Borar
Translator : Devesh

Devesh is a poet, journalist, filmmaker and translator. He is the Translations Editor, Hindi, at the People’s Archive of Rural India.

Other stories by Devesh