सिंह ला अभू घलो वो ट्रैवल एजेंट ला लेके खराब सपना आथे जऊन ह पंजाब के ओकर पिंड (गाँव) के रहेइय्या आय.

एजेंट ला पइसा देय बर सिंह (बदले नांव) ह घर के एकड़ जमीन ला बेंच दीस. पइसा लेके, एजेंट जतिंदर ह वादा करिस के वोला एक नंबर (कानून मुताबिक कागजात) देय जाही जेकर ले सर्बिया के रद्दा ले पुर्तगाल सुरच्छित हबर जाही.

बनेच जल्दीच सिंह ला गम होगे के वोला जतिंदर ह धोखा देय हवय अऊ अंतरराष्ट्रीय सरहद पार तस्करी करके लाय गेय हवय. सदमा अऊ हतास होय सेती वो ह अपन गाँव घर के लोगन मन ला अपन दुरगति ला बताय नइ सकत रहिस.

जाय के बखत, घन कतको जंगल-नरूवा पार करत,अऊ यूरोप के पहाड़ मन ला चढ़त, वो अऊ आन प्रवासी मन खंचवा  मं भरे बरसात के पानी पीयत बांचे रहिन, सिरिफ ब्रेड खायेंव, जेकर ले वो मन ला चिढ़ होगे रहिस.

“मेरे फादर साब हार्ट पेशेंट हैं.इना टेंसन ओ ले नहीं सकते, नाले, घर मं जा नहीं सकता क्योंकि मैं सारा कुछ दांव लाके आयासी ( मोर ददा दिल के मरीज आय. वो अतक टेंसन झेले नइ सकय, मैं घर लहूंटे नइ सकत सकत रहेंव, काबर के मंय इहाँ आय सेती अपन जम्मो पूंजी लगा देय रहेंव).” 25 बछर के सिंह पुर्तगाल मं दू खोली के भाड़ा के घर मं पंजाबी मं कहिथे, जिहां वो ह आन पांच झिन संग रहिथे.

बीते कुछेक बछर मं पुर्तगाल भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान अऊ श्रीलंका जइसने दक्षिण एशिया के देस के मजूर मन के जाय के पसंद के जगा के रूप मं उभरे हवय.

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सिंह ह अपन घर के एक एकड़ खेत ला बेंच के ‘कानूनी कागजात’ बिसोइस, जेकर ले सर्बिया के रद्दा ले पुर्तगाल सुरच्छित हबर जाय

सिंह कभू फौजी बने ला चाहत रहिस, फेर एक दू बेर फेल हो जाय के बाद, वो ह अपन देस ले बहिर जाय के मंसूबा बना लिस अऊ पुर्तगाल ला चुनिस, काबर के उहाँ जाय के नीति असान रहिस. ओकर गाँव के दीगर लोगन मन ला सुन के , जेकर मन के बारे मं माने जावत रहिस के वो मन यूरोप के ये देस मं आसानी ले पहुँच गे रहिन,येकर असर ओकर उपर परे रहिस. अऊ एक दिन, जब कोनो ह जतिंदर के बारे मं बताइस, जेन ह उहिच गाँव के बासिंदा रहिस अऊ ओकर मदद करे के वादा करिस.

“सिंह कहिथे, जतिंदर ह मोला कहिस, ‘मंय 12 लाख रूपिया (करीबन 13,000 यूरो) लिहूँ अऊ तोला कानूनन तरीका ला पुर्तगाल भेज दिहूँ.’ मंय रकम देय बर खंध गेंय अऊ ये बात के जोर देवंय के हमन ला कानून के रद्दा अपनाय ला चाही.”

वइसे, पइसा देय बखत, एजेंट ह ओकर ले बैंक के जगा “दूसर तरीका” अपनाय के बिनती करिस. जब सिंह ह विरोध करिस, त जतिंदर ह जोर देवत कहिस के वो वइसने करे जइसने वोला बताय गे रहिस. जाय के उछाह मं, सिंह ह ओकर बात मां लिस अऊ पंजाब के जालन्धर मं एक ठन पेट्रोल पंप मं 4 लाख रूपिया (4,383 यूरो) के पहिली क़िस्त अऊ बाद मं एक ठन दुकान मं 1 लाख रूपिया (1,095 यूरो) दे दीस.

सिंह कुंवार (अक्टूबर) 2021 मं दिल्ली सेती रवाना होइस अऊ वोला बेलग्रेड अऊ ओकर बाद पुर्तगाल जाय ला रहिस. ये ओकर पहिली बिमान रहिस, फेर एयरलाइन ह वो मन ला लेगे ले मना कर दीस काबर के कोविड-19 के रोक लगे सेती भारत ह सर्बिया सेती बिमान नइ उड़ावत रहिस- ये बात ला ओकर एजेंट ह छिपाय रहिस. वो ला दुबई के रद्दा ले जाय ला परिस जिहां ले वो ह बेलग्रेड गीस.

सिंह कहिथे, जेन ह अपन पासपोर्ट ला दे दे रहिस. “बेलग्रेड हवाई अड्डा मं हमन ला लेय अवेइय्या एजेंट ह हमर पासपोर्ट ला जब्त कर लीस अऊ कहिस के सर्बिया के पुलिस बने नो हे अऊ वो मन ला भारत के लोगन मन नइ भावंय. हमन डेर्राय रहेन.”

सिंह जाय बर गैर कानूनी काम ला समझे बर अक्सर “दो नंबर” के बात कहिथे, जइसने के सर्बिया के रजधानी बेलग्रेड ले ग्रीस के थिवा तक जाय के. ओकर संग डोंकर (मइनखे तस्कर) ह सिंह ला भरोसा दीस के वो ह ग्रीस के रद्दा ले पुर्तगाल हबर जाही.

थिवा हबरे के बाद एजेंट ह अपन वादा ला टोर दीस अऊ कहिस के वो ह वादा मुताबिक वोला पुर्तगाल नइ ले जाय सकय.

सिंह सुरता करथे, “जतिंदर ह मोला कहिस, ‘मोला तोर ले सात लाख रूपिया मिले हवय. मोर काम पूरा होगे हवय. मंय तोला ग्रीस ले बहिर नइ ले जाय सकंव’.” सुरता करत सिंह रोय लगिस अऊ जी ह कलप गे.

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नवा पीढ़ी के कतको लोगन मन ला एजेंट मन सुग्घर ढंग ले ले जाय के करार करे जाथे, जऊन मन वो मन ला डोंकर मन करा भेज देथें

फागुन (मार्च) 2022 मं, ग्रीस हबरे के दू महिना बाद, सिंह ह सर्बिया के तस्कर ले अपन पासपोर्ट लेगे के कोसिस करिस. गोंदली के खेत मं बूता करेइय्या ओकर संगवारी मन वोला देस छोड़े के सलाह दीन काबर के ओकर इहाँ कऊनो भविष्य नइ रहिस अऊ धरे जाय के मतलब इहाँ ले निकारे जाय रइतिस.

येकरे सेती, पंजाब के ये जवान टूरा ह एक पईंत अऊ तस्करी सेती अपन जान खतरा मं डार दीस. “मंय ग्रीस छोड़े बर मन ले तियार होगे रहेंव. मोला लगिस के मोला आखिरी बेर अपन जान ला बिपत मं डारे ला परही.”

वो ह ग्रीस मं एक ठन नवा एजेंट के पहिचान करिस जेन ह वोला 800 यूरो मं सर्बिया ले जाय के वादा करिस. ये पइसा गोंदली के खेत मन मं तीन महिना बूता करके कमाय रहिस.

ये पईंत, जाय के पहिली, सिंह ह खुदेच कुछु खोजबीन करिस अऊ गीस ले सर्बिया लहूँटे के रद्दा ला चुनिस, जिहां ले वो ह हंगरी, आस्ट्रिया अऊ ओकर बाद पुर्तगाल जाय के योजना बनावत रहिस. वोला बताय गे रहिस के ये ह कठिन रद्दा आय काबर के ग्रीस ले सर्बिया जावत, “गर तंय धरे जाथस, त तोला सिरिफ चड्डी पहिरा के तुर्की भेज दे जाही,” वो ह कहिथे.

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जेठ (जून) 2022 म सिंह ह छै दिन अऊ रात रेंगत जाय के बाद सर्बिया लहुंट गे. सर्बिया के रजधानी बेलग्रेड मं, वो ह कुछेक शरणार्थी बस्ती मन ला खोजिस - सर्बिया-रोमानिया सरहद के तीर किकिंडा कैंप अऊ सर्बिया-हंगरी सरहद के तीर सुबोटिका कैंप. ओकर कहना आय के ये कैंप तस्कर मन के ठीहा आय, जिहां ले मइनखे तस्करी के लुभावना धंधा चलाथें.

सिंह ह कहिथे, “उहाँ [किकिंडा कैंप मं] हर दूसर मइनखे तस्कर आय. वो मन तुमन ला कइहीं, ‘मंय तोला उहाँ पहुंचा दिहूँ, फेर ये मं अतक खरचा आही.’” सिंह ह कहिथे के वोला ऑस्ट्रिया पहुंचाय मं मदद करे बर एक झिन तस्कर मिल गे.

किकिंडा कैंप मं तस्कर (भारत के) ह ओकर ले जालंधर मं “गारंटी रखे” बर कहिस. सिंह बताथे, “गारंटी” तब होथे जब कऊनो दलाल दूनों पक्ष –प्रवासी अऊ तस्कर – बर नगदी रखथे अऊ मइनखे के मन के जगा हबरे के बाद वोला देय जाथे.

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सिंह अपन कहिनी बतावत बर तियार रहिस काबर के वो ह चाहत हवय के पंजाब के नवा पीढ़ी के लइका मन गैरकानूनी ढंग ले जाय के खतरा मन ला जानेंव

सिंह ह अपन परिवार के एक झिन के जरिया ले 3 लाख रूपिया (3,302 यूरो) के गारंटी के जुगाड़ करिस अऊ तस्कर के बताय मुताबिक वो ह हंगरी के सरहद मं चले गीस. उहाँ अफगानिस्तान के कुछेक डोंकर मन ओकर अगुवानी करिन. आधा रतिहा मं, वो ह दू ठन 12 फुट ऊंच कांटेदार बड़ा ला पार करिस. ओकर संग आये डोंकर मन ले एक झिन ह चार घंटा तक ले जंगल मं घुमाइस ओकर बाद वोला बार्डर पुलिस ह हिरासत मं ले लीस.

सिंह सुरता करथे, “वो मन [हंगरी पुलिस] हमन ला माड़ी के भार बइठे ला कहिस अऊ हमर राष्ट्रीयता पूछिस. वो मन डोंकर के भारी पिटाई करिन. ओकर बाद, हमन ला सर्बिया भेज देय गीस.”

तस्कर ह सिंह ला सुबोटिका कैंप के सुझाव दीस, जिहां एक झिन नवा डोंकर वोला अगोरत रहय. दूसर दिन मंझनिया करीबन 2 बजे वो ह हंगरी के सरहद मं लहूँट गीस, जिहां 22 झिन लोगन मन पहिलीच ले सरहद पार करे ला अगोरत रहिन, फेर आखिर मं सिंह समेत सात झिन सरहद पार करे सकिन.

ओकर बाद डोंकर के संग जंगल के तीन घंटा के जवई सुरु होइस. “संझा करीबन 5 बजे हमन एक ठन बड़े अकन सूक्खा खंचवा करा हबरेन. डोंकर ह हमन ला उहाँ सुते अऊ अपन आप ला सुक्खा पाना ले तोपे ला कहिस.” कुछेक घंटा बीते, वो मन फिर ले रेंगे ला धरिन. आखिर मं, वो मन ला एक ठन वैन गाड़ी मं भरे गीस अऊ आस्ट्रिया के सरहद तीर उतार देय गीस अऊ कहे गीस, “पवनचक्की डहर चले जाव अऊ तुमन आस्ट्रिया हबर जाहू.”

सिंह अऊ दीगर प्रवासी मन रात भर रेंगत चलत रहेंव, वो मन ला ठीक ले पता नइ रहिस के वो मन कहाँ हवंय अऊ वो मन करा न तो खाय के रहिस न पीये बर पानी. दूसर बिहनिया वो मन ला आस्ट्रिया सेना के चौकी दिखिस. जइसनेच सिंह ह आस्ट्रिया के फौजी मन ला देखिस, वो ह आत्मसमर्पन करे बर दऊड़ परिस, काबर के “ये देस ह सरन लेवेइय्या मन के स्वागत करथे अऊ डोंकर मन घलो मानथें,” वो ह कहिथे.

सिंह कहिथे, “वो मन कोविड-19 सेती हमर जाँच करिन अऊ हमन ला आस्ट्रिया के  सरन लेवेइय्या शिविर मं ले गीन, जिहां वो मन हमर बयान लीन अऊ हमर हाथ के छापा लीन. ओकर बाद, हमन छै महिना बर सरनार्थी कार्ड जारी करे गीस.”

पंजाब ले आय ये प्रवासी ह छै महिना तक ले अखबार बेंचे के काम करिस अऊ करीबन 1,000 यूरो बचा लीस. जइसनेच ओकर प्रवास सिरोइस, वोला कैंप के अफसर ह जाय बर कहि दिस.

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पुर्तगाल हबर के सिंह पंजाब मं अपन दाई ला फोन करथें अऊ वो मन के मेसेज के जुवाब देथें

ओकर बाद मंय स्पेन ले वैलेंसिया सेती बिमान के टिकिट कटायेंव (काबर के शेंगेन इलाका मं बिमान मन मं सायदे कभू जाँच करे जावत जाथे), अऊ उहाँ ले बार्सिलोना बर ट्रेन के टिकिट कटायेंव जिहां मंय मोर झिन संगवारी के घर मं रात गुजारेंव. मोर संगवारी ह मोर बर पुर्तगाल सेती बस के टिकिट कटा दीस काबर के मोर करा कऊनो कागजात नइ रहिस, न मोर पासपोर्ट रहिस. ये बखत, वो ह अपन पासपोर्ट ला ग्रीस मं एक झिन संगवारी करा संभाल के रखे सेती छोड़ देय रहिस काबर के वो नइ  चाहत रहिस के धरा जाय ले वोला भारत भेज देय जाय.

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15 फरवरी, 2023 मं सिंह आखिर बस ले पुर्तगाल हबर गीस – जेन ह ओकर सपना के जगा रहिस. इहाँ हबरे मं वोला 500 दिन ले जियादा के बखत लाग गे.

पुर्तगाल मं भारत के दूतावास ह मानिस के कतको प्रवासी मन करा “कानूनन रहे के कागजात नइ ये, सरकारी आंकड़ा नइ रहिस.” ये घलो कहे गे हवय के पुर्तगाल मं आय के नियम मं ढील सेती हाल के बछर मं भारत के लोगन मन मं (खास करके पंजाब अऊ हरियाणा ले) भारी बढ़त होय हवय.

सिंह कहिथे, “यहाँ डाक्यूमेंट बन जाता है,आदमी पक्का हो जाता है, फिर अपनी फेमली बुला सकता है, अपनी वाइफ बुला सकता है [ गर इहाँ कागजात बने जाथे, मइनखे ला सब्बो दिन रहे सकथे, अपन परिवार धन अपन घरवाली ला बलाय सकथे.”

बिदेसी अऊ सीमा सेवा (एसईएफ) के आंकड़ा मुताबिक, साल 2022 मं 35,000 ले जियादा भारतीय मन ला पुर्तगाल मं स्थायी रहे के दर्जा देय गीस. उहिच बछर, करीबन 229 भारतीय मन सरन मांगिन.

नवा पीढ़ी के सिंह जइसने कतको जाय बर उतइल हवंय काबर के वो मन ला अपन देस मं कऊनो भविष्य नजर नइ आवय. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 कहिथे, “उचित ढंग ले भारी बढ़े के बाद घलो, उत्पादक रोजगार के मऊका ह समान ढंग ले बढ़े नइ ये.”

अपन प्रवास के बारे मं सिंह ले गोठ-बात के वीडियो देखव

बिन खाये पीये सिंह रतिहा भर रेंगत चलत रहय. बिहनिया वो ह आस्ट्रिया सेना के एक ठन चौकी देखिस... अऊ आत्मसमर्पन करे बर दऊड़ परिस, काबर के ‘ये देस ह सरन लेवेइय्या मन के स्वागत करथे’

पुर्तगाल मं यूरोप मं सबले कम समान्य बनाय के बखत हवय, इहाँ के नागरिक बने बर कानूनन पांच बछर रहे जरूरी आय. भारत के गाँव-देहात के लोगन मन जेन मन अक्सर खेती अऊ सड़क इमारत बनाय के जइसने काम करथें, वो मन येकरे बर इहाँ आथें. प्रोफेसर भास्वती सरकार कहिथें के खास करके पंजाब के मरद लोगन मन. वो ह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी मं यूरोपीय अध्ययन केंद्र मं जीन मोनेट चेयर हवंय. वो ह कहिथे, “बढ़िया ढंग ले जिनगी गुजारत गोवा अऊ गुजराती समाज के छोड़, कतको पंजाबी निर्माण अऊ खेत मं रोपा लगाय के कम हुनर वाले काम करथें.”

पुर्तगाल मं रहे के परमिट, जेन ला टेम्परेरी रेसिडेंस कार्ड (टीआरसी) के रूप मं घलो जाने जाथे, के बड़े फायदा ये आय के ये ह तोला बिन वीजा के 100 ले जियादा शेंगेन देश मं जाय के इजाजत देथे. वइसे, चीज मन बदलत जावत हवंय – 3 जून 2024 मं पुर्तगाल के सेंटर राइट डेमोक्रेटिक अलायंस (एडी) के लुइस मोंटेनेग्रो ह बिन बलाय प्रवासी मन बर आय के नियम ला कड़ा बनाय के आर्डर देय हवय.

ये नवा कानून के मुताबिक, पुर्तगाल मं बसे बर कऊनो घलो बिदेसी बासिंदा ला अब इहाँ आय के पहिली वर्क परमिट सेती अरजी लगाय ला परही. येकर ले भारत, खास करके पंजाब अऊ हरियाणा ले अवेइय्या प्रवासी मन उपर खराब असर परे के अंदेसा हवय.

दीगर यूरोपीय देस घलो प्रवासन ला लेके नियम कड़ा करत हवंय. फेर प्रोफेसर सरकार के कहना आय के अइसने नियम भारी मन रखेइय्या अनियमित प्रवासी मन ला रोके नइ सकय. वो ह आगू कहिथे, “काम-बूता बनाय. मूल देस मं हिफाजत  अऊ आसरा देय ह मददगार होही.”

पुर्तगाल के एआईएमए (एकीकरण, प्रवासन अऊ शरण एजेंसी) करा 4,10,000 मामला पेंडिंग हवय. अप्रवासी समाज के लंबा बखत ले चले आवत मांग ला पूरा करे बर अप्रवासी दस्तावेज अऊ वीजा ला एक बछर अऊ मतलब जून, 2025 तक बढ़ा दे गे हवय.

साल 2021 मं, भारत अऊ पुर्तगाल ह क़ानूनन भारतीय मजूर मन ला भेजे अऊ लेगे ला सरकारी बनाय बर एक ठन करार मं दस्खत करे हवंय. भारत सरकार ह इटली, जर्मनी, आस्ट्रिया, फ्रांस, फिनलैंड जइसने यूरोप के कतको देस के संग प्रवास अऊ येला बनाय रखे के करार मं दसखत करे हवंय, फेर जमीनी स्तर मं जिहां लोगन मन फइसला लेवत हवंय, उहाँ शिक्षा धन जानकारी बनेच कम हवय.

जब ये पत्रकार मं पक्ष लेगे बर भारत अऊ पुर्तगाल दूनों सरकार ले संपर्क के कोसिस करिन, त कतको बेर के पूछताछ के बाद घलो दूनों कोनो जुवाब नइ दीन.

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नवा पीढ़ी के सिंह जइसने कतको टूरा जाय बर उतइल हवंय काबर के वो मन ला भारत मं नऊकरी मिलत नइ ये

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जब सिंह अपन सपना के ‘ठीहा’तक हबर गे त पहिली बात जेन रहिस वो ये रहिस के पुर्तगाल मं घलो नऊकरी कम रहिस, जेन ह रहे के परमिट हासिल करे ले अऊ घलो कठिन होगे रहिस. यूरोप जाय के योजना बनावत बखत वोला येकर बारे मं कुछु घलो जानकारी नइ रहिस.

वो ह पारी ला बताथे, “जब मंय पहिली बेर पुर्तगाल आयेंव त मोला भारी बने लगिस. बाद मं, मोला गम होइस के नऊकरी के मऊका बनेच कम रहिस अऊ काम मिले के संभावना नहीं के बरोबर रहिस काबर के इहाँ एशिया के बनेच अकन लोगन मन रहिथें. येकरे सेती नऊकरी बनेच कम हवंय.”

सिंह ह इहाँ के अप्रवासी विरोधी भावना डहर घलो आरो करथे. “वो मन अप्रवासी मन ला पसंद नइ करंय, ओकर बाद घलो हमन ले खेती अऊ काम के जगा मं भारी मिहनत कराय जाथे.” वो ह कहिथे, “भारत के लोगन मन सबले कठिन बूता करथें, जऊन ला सरकार “3 डी जाब- गंदा, खतरा ले भरे, अपमान वाले, जेन ला इहाँ के लोगन मन करे ला नइ चाहंय.” अपन अथिर क़ानूनी हालत सेती, वो मन कानूनन तय मजूरी ले बनेच काम मं करे ला तियार हवंय.

नऊकरी खोजत सिंह ह कतको दीगर बार डहर घलो धियान दीस. स्टील फेक्टरी के सब्बो पांच शाखा के जानकारी बोर्ड पुर्तगाली मं लिखाय हवंय, ओकर बाद पंजाबी मं. सिंह कहिथे, इहाँ तक ले करार के कागजात घलो पंजाबी अनुवाद के संग मिलथे. येकर बाद घलो, गर हमन सीधा ओकर मन ले मिलथन, त वो मन के जुवाब होथे, ‘कऊनो काम नइ ये.’

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पुर्तगाल मं प्रवासी विरोधी भावना के बाद घलो, सिंह कहिथे के वो ह किस्मत वाला आय के वोला इहाँ एक झिन दया-मया करेइय्या अऊ मदद करेइय्या मकान मालिक मिले हवय

बिन कागजात के प्रवासी के रूप मं, वोला एक ठन सड़क-इमारत बनाय के जगा मं काम बूता मिले मं सात महिना लाग गे.

सिंह कहिथे, “कंपनी मन करार के कागजात के छोड़ करमचारी मन ले पहिलीच ले इस्तीफा मं दसखत लेगे लेथें. भलेच वो मन ला 920 यूरो महिना के न्यूनतम तनखा देवत होंय, फेर करमचारी मन ला कभू पता नइ होवय के वो मन ला नऊकरी ले कब निकार देय जाही.” वो ह इहाँ रहे के वीजा सेती अरजी दे हवय अऊ आस हवय के वोला कानूनन मिला जाही.

नवंबर 2023 मं सिंह कहिथे, “बस हुन तन सपना आह की, घर बन जाए, सिस्टर दा व्याह हो जे, ते फेरीथे अपन डाक्यूमेंट बनाके फेमिली नू वी बुलालैये [ मोर सपना अब पंजाब मं एक घर बनाय, अपन बहिनी के बिहाव करे अऊ कानूनन कागजात बनाय हवय जेकर ले मंय अपन परिवार ला इहाँ लाय सकंव].”

सिंह ह साल 2024 ले पइसा भेजे सुरू कर दे हवय अऊ फिलहाल वो अपन दाई-ददा ले गोठियावत रहिथे, जेन मन अपन घर बनावत हवंय. पुर्तगाल मं ओकर काम ह घर के नक्सा ला बदल दे हवय.

पुर्तगाल ले करण धीमान के अतिरिक्त रिपोर्टिंग

ये जांच भारत अऊ पुर्तगाल के बीच आधुनिक दासता अनुदान अनावरण कार्यक्रम के तहत पत्रकारिता कोष के सहयोग ले करे गे रहिस.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Pari Saikia

Pari Saikia is an independent journalist and documents human trafficking from Southeast Asia and Europe. She is a Journalismfund Europe fellow for 2023, 2022, and 2021.

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Sona Singh is an independent journalist and researcher from India. She is a Journalismfund Europe fellow for 2022 and 2021.

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Karan Dhiman is a video journalist and social documentarian from Himachal Pradesh, India. He is interested in documenting social issues, environment and communities.

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Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Sarbajaya Bhattacharya is a Senior Assistant Editor at PARI. She is an experienced Bangla translator. Based in Kolkata, she is interested in the history of the city and travel literature.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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