“गर पान [पत्ता] बांच जातिस त येकर ले मोला [साल 2023 मं] कम से कम 2 लाख के आमदनी होय रतिस,” ढेउरी गाँव के 29 बछर के किसान कहिथे, जेकर अवाज मं दुख अऊ उदासी झलकत हवय. बिहार के नवादा जिला मं भारी घाम परे सेती करुणा देवी के जून 2023 के फसल बरबाद होगे. ओकर बेरजा (पान के बारी), जेह कभू हरियर रहय, अपन मड़वा मं मगही के चमकत हरियर पान ले भरे रहय, सुक्खा पर गे. वोला दूसर के बारी मं बनिहारी करे ला परिस.

नवादा तऊन दरजनों जिला मं रहिस जेन ह कतको दिन ले भारी घाम झेले ला परिस. वो बछर परे घाम ला बतावत वो ह कहिथे, “लगता है कि आसमान से आग बरस रहा है अऊ हम लोग जल जायेंगे. दोपहर को तो गाँव एकदम सुनसान हो जाता था जैसे कर्फ्यू लग गया हो [ अइसने लगत रहिस जइसने अकास ले आगि बरसत होय अऊ हमन जर जाबो. मंझनिया मं गाँव पूरा सुन्ना पर जावय जइसने कर्फ्यू लगे होय],” जिला के वारिसलीगंज मौसम केंद्र मं अधिकतम तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड करे गीस. अऊ ओकर बाद 18 जून 2023 मं द हिंदू मं छपे एक ठन रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार अऊ उत्तर प्रदेश मं 100 ले जियादा लोगन मन के परान चले गे.

भारी घाम के बाद घलो, करुणा देवी कहिथे, “हमन बरेजा (बारी) जाबो.”ये परिवार ह कऊनो जोखम उठाय ला नई चाहत रहिस के काबर के वो मन छै कट्टा [एक एकड़ के करीबन दसवां भाग] मं लगे मगही पान के मड़वा सेती 1 लाख के करजा लेगे रहिस.

Betel leaf farmers, Karuna Devi and Sunil Chaurasia in their bareja . Their son holding a few gourds grown alongside the betel vines, and the only crop (for their own use) that survived
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पान किसान, करुणा देवी अऊ सुनील चौरसिया अपन बरेजा मं करीबन 10 डिसमिल मं पान के खेती करत हवंय. ओकर बेटा के हाथ मं पान के संग लगाय गे लौकी, घर के खाय सेती सिरिफ इहीच आय जेन ला पान के नार के संग लगाय गे हवय

Newada district experienced intense heat in the summer of 2023, and many betel leaf farmers like Sunil (left) were badly hit. Karuna Devi (right) also does daily wage work in other farmers' betel fields for which she earns Rs. 200 a day
PHOTO • Shreya Katyayini
Newada district experienced intense heat in the summer of 2023, and many betel leaf farmers like Sunil (left) were badly hit. Karuna Devi (right) also does daily wage work in other farmers' betel fields for which she earns Rs. 200 a day
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नवादा जिला मं साल 2023 के धूपकल्ला मं भारी घाम परिस अऊ सुनील (डेरी) जइसने पान के खेती करेइय्या कतको किसान मन उपर भारी असर परे हवय. करुणा देवी (जउनि) दीगर किसान मन के पान के खेत मं बनिहारी घलो करथे, रोजी मं 200 रूपिया कमाथे

बिहार मं पान पत्ता के बारी ला बगीचा धन बरेठा कहे जाथे. मड़बा ह कोंवर नार ला भारी घाम अऊ जड़कल्ला के भारी सीत हवा ले बचाथे. येला बांस के बल्ली, ताड़ अऊ नरियर के पाना, नरियर के जटा, पैरा अऊ अरहर के काड़ी ले बनाय जाथे. बरेजा के भीतरी माटी लंबा अऊ गहिर बरहा बनाय जाथे. नार अइसने लगाय जाथे के जरी मं पानी न जमे अऊ रुख ह झन सरे.

कोंवर नार भारी मऊसम ला झेले नई सकंय.

बीते बछर, भारी घाम ले निपटे सेती, करुणा देवी के घरवाला सुरता करते के कइसने “हमन दिन मं सिरिफ दू तीन बेर पानी पलोवत रहेन काबर के जियादा पलोय ला खरचा बढ़त जावत रहिस. फेर मऊसम अतक तिपत रहय के वो ह बांच नई सकिस. 40 बछर के सुनील चौरसिया कहिथे, “रुख मन सूखे लगिन अऊ जल्देच बरेजा ह बरबाद हो गीस.” ओकर पान के खेती बरबाद हो गे. संसो करत करूणा कहिथे, “मोला नई पता के करजा कइसने चुकता करे जाही.”

ये इलाका के अध्ययन करेइय्या वैज्ञानिक मन के कहना आय के मगध इलाका मं मऊसम ह बदलत हवय. पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रधान पार्थ सारथी कहिथें, “हमन देखत हवन के जेन मऊसम ह समान तरीका ले होवत रहिस अब वो ह भारी गड़बड़ा गे हवय. तापमान ह अचानक ले बढ़ जाथे अऊ कभू-कभू एक धन दू दिन तक ले भारी बरसात होथे.”

साल 2020 मं साइंस डायरेक्ट जर्नल मं छपे ‘दक्खिन बिहार, भारत मं पर्यावरण परिवर्तन अऊ भूजल परिवर्तनशीलता ' नांव ले एक ठन शोध पत्र मं कहे गे हवय के 1958-2019 के बखत मं अऊसत तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़गे हवय. येकर मुताबिक 1990 के दसक के बाद ले बारिसकल्ला मं बरसात घलो आस ले जियादा हवय.

Magahi paan needs fertile clay loam soil found in the Magadh region in Bihar. Water logging can be fatal to the crop, so paan farmers usually select land with proper drainage to cultivate it
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Magahi paan needs fertile clay loam soil found in the Magadh region in Bihar. Water logging can be fatal to the crop, so paan farmers usually select land with proper drainage to cultivate it
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मगही पान सेती बिहार के मगध इलाका के  धनहा दूमट माटी के जरूरत होथे. पानी भरे ह फसल सेती खराब हो सकथे, येकरे सेती किसान अक्सर येकर खेती पानी के निकासी वाले माटी मं करथें

A betel-leaf garden is called bareja in Bihar. This hut-like structure protects the delicate vines from the scorching sun in summers and harsh winds in winters. It is typically fenced with sticks of bamboo, and palm and coconut fronds, coir, paddy straws, and arhar stalks. Inside the bareja , the soil is ploughed into long and deep furrows. Stems are planted in such a way that water does not collect near the root and rot the vine
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A betel-leaf garden is called bareja in Bihar. This hut-like structure protects the delicate vines from the scorching sun in summers and harsh winds in winters. It is typically fenced with sticks of bamboo, and palm and coconut fronds, coir, paddy straws, and arhar stalks. Inside the bareja , the soil is ploughed into long and deep furrows. Stems are planted in such a way that water does not collect near the root and rot the vine
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बिहार मं पान पत्ता के बारी ला बगीचा धन बरेठा कहे जाथे. मड़बा ह कोंवर नार ला भारी घाम अऊ जड़कल्ला के भारी सीत हवा ले बचाथे. येला बांस के बल्ली, ताड़ अऊ नरियर के पाना, नरियर के जटा, पैरा अऊ अरहर के काड़ी ले बनाय जाथे. बरेजा के भीतरी माटी लंबा अऊ गहिर बरहा बनाय जाथे. नार अइसने लगाय जाथे के जरी मं पानी न जमे अऊ रुख ह झन सरे

ढेउरी गांव के एक झिन आन किसान अजय प्रसाद चौरसिया कहिथे, “मगही पान का खेती जुआ जैसा है[ मगही पान के खेती जुआ खेले जइसने आय].” वो ह कतको मगही किसान मन ला लेके बोलत रहिस जेन मन अब कोनहा मं रहिथें. “हमन भारी मिहनत करथन, फेर येकर कऊनो गारंटी नई ये के पान के रुख ह बांचही.”

पारंपरिक रूप ले पान के खेती चौरसिया मन करथें जेन मन बिहार मं भारी पिछड़े वर्ग (ईबीसी) ले आथें. बिहार सरकार के हाल मं कराय जाति सर्वेक्षण के मुताबिक राज मं छै लाख ले जियादा चौरसिया हवंय.

धेउरी गांव नवादा के हिसुआ ब्लॉक मं बसे हवय; येकर 1,549 (जनगणना2011 ) के आबादी में आधा ले जियादा खेती करथें. सरलग कतको बछर ले ये इलाका मं खराब मऊसम पान के फसल उपर कहर ढारत हवय.

Betel leaf farmer Ajay Chaurasia says, ' Magahi betel leaf cultivation is as uncertain as gambling...we work very hard, but there is no guarantee that betel plants will survive'
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पान किसान अजय चौरसिया कहिथे, ‘ मगही पान के खेती जुआ खेले जइसने आय... हमन भारी मिहनत करथन, फेर येकर कऊनो गारंटी नई ये के पान के रुख ह बांचही’

रंजीत चौरसिया कहिथे, “साल 2023 के लू के पहिली साल 2022 मं भारी पानी बरसे रहिस. “लगता था जैसे प्रलय आने वाला हो. अँधेरा छा जाता था और लगातार बरस रहा होता था. हम लोग भीगभीगकर खेत में रहते थे. बारिश में भिगने से तो हमको बुखार भी आ गया [अइसने लागत रहय जइसने परलय अवेइय्या हे. दिन मं अंधियार छा जावय अऊ सरलग पानी बरसत रहय. फीले सेती मोला त जर धर ले रहिस.”

55 बछर के ये सियान के कहना आय के ओकर बाद वोला जर धर लीस अऊ भारी नुकसान उठाय ला परिस. वो ह कहिथे, “मोर गाँव के अधिकतर पान कमेइय्या किसान मन ला वो बछर नुकसान होईस. मंय पांच कट्टा (करीबन 0.062 एकड़) मं पान के खेती करे रहेंव. पानी भरे सेती पान के नार सूखागे. ओडिशा मं चक्रवात आसानी सेती तीन चार दिन तक ले भारी बरसात होय रहिस.

रंजीत, जेन ह इहाँ के मगही पान उत्पादक कल्याण समिति के अध्यक्ष घलो आंय, कहिथें, “तिपत झांझ ह माटी ला सूखा देथे, जेकर ले येकर बाढ़ रुक जाथे अऊ जब अचानक ले बरसात होथे त रुख मं सूख जाथें.”

वो ह कहिथे, “नवा रुख रहिस.ओकर जतन नवा जन्मे लइका कस करे जाय ला रहिस. फेर करे नई सकेन, ओकर पान के नार ह सूखा गे. मोला येला कतको बेर पानी देय ला परय. कभू-कभू दिन मं10 बेर.”

Uncertainty of weather and subsequent crop losses, has forced many farmers of Dheuri village to give up betel cultivation. 'Till 10 years ago, more than 150 farmers used to cultivate betel leaf in 10 hectares, but now their number has reduced to less than 100 and currently it is being grown in 7-8 hectares,' says Ranjit Chaurasia
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मऊसम के थिर नई होय अऊ ओकर बाद होय नुकसान ह ढेउरी गाँव के कतको किसान मन ला पान के खेती छोड़े ला मजबूर कर दे हवय. रंजीत चौरसिया कहिथें, 10 बछर पहिली तक ले 150 ले जियादा किसान 10 हेक्टेयर मं पान के खेती करत रहिन, फेर अब येकर मन के आंकड़ा 100 ले घलो कम होगे हवय अऊ ये बखर 7-8 हेक्टेयर मं येकर खेती करे जावत हवय

संगी अऊ परोसी मगही किसान अजय के कहना आय के खराब मऊसम सेती वोला पांच बछर मं दू बेर नुकसान उठाय ला परिस. साल 2019 मं, 45 बछर के सियान ह चार कट्टा (एकड़ के दसवां भाग) मं पान लगाय रहिस. भारी जाड़ ले वो ह बरबाद होगे रहिस; अक्टूबर 2021 मं, गुलाब चक्रवात के भारी बरसात ह पान पत्ता ला पूरा बरबाद कर दीस. वो ह सुरता करथे, “दूनों बछर मोला करीबन 2 लाख रूपिया के नुकसान होईस.”

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अजय चौरसिया पान के नार ला छितरे अऊ गिरे ला बचाय सेती बांस धन सरकंडा (खदर) ले बाँधत हवंय. दिल के आकार के हरियर पान के पत्ता नार मं लटके हवंय; वो ह कुछेक दिन मं टोरे लइक हो जाही.

हरियर मड़वा मं तापमान बहिर के बनिस्बत ठंडा हवय. अजय के कहना आय के भारी घाम, जाड़ अऊ पानी पान के रुख बर सबले बड़े खतरा आंय. भारी घाम मं गर तापमान ह 40 डिग्री पार कर जाथे त वोला हाथ ले पानी छिंचे ला चाही. वो ह करीबन पांच लीटर पानी वाले माटी के एक ठन मटका ला खांध मं धरथे अऊ पानी ला अपन हाँथ ले छिंचथे, नार के बीचों बीच चलत, पानी छींचत जाथे. वो ह बताथे, “गर मऊसम भारी तिपत रइथे त हमन ला कतको पईंत छिंचे ला परथे. फेर वोला बरसात अऊ जाड़ ले बचाय के कऊनो तरीका नई ये.”

साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया मं स्कूल ऑफ अर्थ , बायोलॉजिकल एंड एनवायरन्मेंट साइंस के डीन सारथी कहिथें, “वइसे ये बात के कऊनो अध्ययन नई होय हवय के जलवायु परिवर्तन ह बदलत मऊसम मं कतक योगदान दे हवय, फेर बदलत मऊसम ह जलवायु परिवर्तन के असर के आरो देथे.”

अजय करा आठ कट्टा जमीन हवय फेर वो ह बगरे हवय, येकरे सेती वो ह 5,000 सलाना के भाव ले तीन कट्टा के प्लाट लीज मं ले हवय अऊ लीज के जमीन मं मगही पान के खेती करे बर करीबन 75,000 रूपिया खरचा करे हवय. वो ह इहाँ के स्वंय सहायता समूह ले 40,000 रूपिया करजा लेगिस, जेन ला हर महिना मं 6,000 रूपिया अवेइय्या आठ महिना मं देके चुकता करे ला हवय. सितंबर 2023 मं हमन ले गोठियावत कहिथे, “अब तक ले दू किस्त मं सिरिफ 12,000 रूपिया जमा करे हवं.”

Ajay is sprinkling water on betel plants. He places an earthen pot on his shoulder and puts his palm on the mouth of the pot. As he walks in the furrows the water drips onto the vines
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अजय पान के रुख मं पानी छींचत हवय.वो अपन खांध मं माटी के मटका रखे हवय अऊ अपन हथेली ला मटका के मुंह मं रथे. जइसनेच वो ह बरहा मं चले ला धरथे पानी ह नार मन मं टपकत जाथे वइसे

Although Ajay's wife, Ganga Devi has her own bareja , losses have forced her to also seek wage work outside
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अजय के घरवाली गंगा देवी करा अपन बरेजा हवय फेर वोला नुकसान होय सेती बनिहारी करे बर मजबूर होय ला परिस

अजय के घरवाली 40 बछर के गंगा देवी कभू-कभू खेत मं ओकर हाथ बटाथे, अऊ दीगर किसान मन के बनिहारी घलो करथे. अपन बनिहारी के बूता ला बतावत कहिथे, ये ह मिहनत के बूता आय फेर हमन ला रोजी मं 200 रूपिया मिलथे. ओकर मन के चार झिन लइका-  नौ बछर के बेटी अऊ 14,13 अऊ 6 बछर के बेटा धेउरी के सरकारी स्कूल मं पढ़थें.

कतको खराब मऊसम सेती फसल के होय नुकसान ह पान किसान मन ला दीगर किसान मन के पान के खेती मं बनिहारी करे ला मजबूर कर दे हवय काबर के वो मन ये खेती करे मं माहिर हवंय.

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मगही पान के पत्ता के नांव मगध ले मिले हवय, जिहां येकर खेती खासकरके करे जाथे. बिहार के मगध इलाका के दक्खिन बिहार के गया, औरंगाबाद, नवादा अऊ नालंदा जिला सामिल हवंय. “कऊनो नईं जानंय के मगही रुख के पहिली कलम इहाँ कइसने आइस, फेर ये ह पुस्त दर पुस्त चलत आवत हवय. हमन सुने हवन के पहिली रुख मलेशिया ले आय रहिस,” किसान रंजीत चौरसिया कहिथे, जेकर पत्ता मं भारी रुचि हवय अऊ वो ह मगही पान के पत्ता सेती भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग सेती अरजी देय रहिस.

मगही के पत्ता नानकन लइका के हथेली के आकार के होथे – 8 ले 15 सेमी लाम अऊ 6,6 ले 12 सेमी चाकर. महकत अऊ छूये मं कोंवर, पत्ता मं कऊनो रेशा (फाइबर) नई होवय येकरे सेती ये ह मुंह मं जल्दी घुर जाथे. ये ह येकर गजब गुन आय जेन ह वोला दीगर किसिम के पत्ता ले अलग रखथे.  येकर उमर जियादा दिन तक ले रहिथे. टोरे के बाद येला 3-4 महिना तक ले रखे जा सकथे.

Ajay Chaurasia is tying the plant with a stick so that it does not bend with the weight of leaves. Magahi betel leaves are fragrant and soft to the touch. There is almost no fibre in the leaf so it dissolves very easily in the mouth – a singularly outstanding quality that makes it superior to other species of betel leaf
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Ajay Chaurasia is tying the plant with a stick so that it does not bend with the weight of leaves. Magahi betel leaves are fragrant and soft to the touch. There is almost no fibre in the leaf so it dissolves very easily in the mouth – a singularly outstanding quality that makes it superior to other species of betel leaf
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अजय चौरसिया नार ला जकना मं बांधत हवय जेकर ले पत्ता के वजन ले वो ह ओरमे झन. मगही पान के पत्ता   महकत अऊ छूये मं कोंवर होथे. पत्ता मं कऊनो रेशा (फाइबर) नई होवय येकरे सेती ये ह मुंह मं जल्दी घुर जाथे. ये ह येकर गजब गुन आय जेन ह वोला दीगर किसिम के पत्ता ले अलग रखथे

रंजीत कहिथे, “तोला येला ओद्दा कपड़ा मं लपेट के ठंडा जगा मं रखे ला परही अऊ रोज के देखत रहे ला परही के कऊनो पत्ता सरत त नई ये. गर अइसने होवत हे त तोला वोला तुरते हेरे ला परही नई त वो ह दीगर पत्ता ला बगर जाही.” हमन वोला अपन पक्का घर के भूंइय्या मं बइठे पान के बीरा बांधत देखत हन.

वो ह 200 पत्ता ला एक के उपर एक रखथे अऊ ढेंठा ला हंसिया ले काटथे. ओकर बाद वो ह पत्ता मन ला धागा मं बांध के बांस के टुकना मं राख देथे.

पान के रुख ला कलम करके लगाय जाथे काबर के ये ह नई फूलय-फरय. रंजीत चौरसिया कहिथे, “जब कऊनो संगी किसान के फसल खराब हो जाथे त दीगर किसान मन ओकर खेत ला फिर ले खड़ा करे अपन फसल ला देथें. हमन येकर बर कभू एक-दूसर ले पइसा नई लेवन.”

नार मड़वा मं लगाय जाथे अऊ एक कट्टा (करीबन 0.031 एकड़) मं मड़वा बनाय मं करीबन 30,000 के खरचा आथे, दू कट्टा सेती 45,000 रूपिया तक ले लाग जाथे. माटी मं लाम अऊ गहिर बरहा बनाय जाथे अऊ नार ला उपर के माटी मं लगाय जाथे जेकर ले जरी मं पानी झन जावय काबर के जरी मं पानी जमा होय ले रुख हा सर जाथे.

Ranjit Chaurasia’s mother (left) is segregating betel leaves. A single rotting leaf can damage the rest when kept together in storage for 3-4 months. 'You have to wrap them in wet cloths and keep them in a cool place, and check daily if any leaves are rotting and immediately remove them or it will spread to other leaves,' says Ranjit (right)
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Ranjit Chaurasia’s mother (left) is segregating betel leaves. A single rotting leaf can damage the rest when kept together in storage for 3-4 months. 'You have to wrap them in wet cloths and keep them in a cool place, and check daily if any leaves are rotting and immediately remove them or it will spread to other leaves,' says Ranjit (right)
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रंजीत चौरसिया के दाई (डेरी) पान ला अलग करत हवय. 3-4 महिना तक ले रकहे बखत एक घलो सरे पत्ता दीगर ला नुकसान कर सकथे. रंजीत (जउनि) कहिथे, ‘तोला येला ओद्दा कपड़ा मं लपेट के ठंडा जगा मं रखे ला परही अऊ रोज के देखत रहे ला परही के कऊनो पत्ता सरत त नई ये. गर अइसने होवत हे त तोला वोला तुरते हेरे ला परही नई त वो ह दीगर पत्ता ला बगर जाही’

In its one year life, a Magahi betel plant produces at least 50 leaves. A leaf is sold for a rupee or two in local markets as well as in the wholesale mandi of Banaras in Uttar Pradesh. It is a cash crop, but the Bihar government considers it as horticulture, hence farmers do not get benefits of agricultural schemes
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In its one year life, a Magahi betel plant produces at least 50 leaves. A leaf is sold for a rupee or two in local markets as well as in the wholesale mandi of Banaras in Uttar Pradesh. It is a cash crop, but the Bihar government considers it as horticulture, hence farmers do not get benefits of agricultural schemes
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अपन बछर भर के जिनगी मं मगही पान के एक ठन नार कम से कम 50 पत्ता देथे. इहाँ के बजार के संग संग उत्तर प्रदेश के बनारस के थोक मंडी मं घलो एक पत्ता एक धन दू रूपिया मं बेंचाथे. ये ह नगदी फसल आय, फेर बिहार सरकार ह येला बागवानी मानथे, येकर सेती किसान मन ला खेती के कतको योजना के लाभ नई मिले

मगही पान के एक ठन नार अपन बछर भर के जिनगी मं कम से कम 50 पत्ता देथे. इहाँ के बजार के संग संग उत्तर प्रदेश के बनारस के थोक मंडी- जेन ह देस के सेबल बड़े पान पत्ता के मंडी आय- मं एक पत्ता एक धन दू रूपिया मं बेंचाथे.

मगही पान के पत्ता ला साल 2017 मं जीआई मिले रहिस. जीआई मगध के भौगोलिक इलाका के 439 हेक्टेयर मं खास ढंग ले उगेइय्या पत्ता सेती आय. अऊ किसान मन जीआई पाके उछाह मं रहिन अऊ राहत मसूस करत रहिन.

वइसे, जइसने-जइसने बखत बीतत गे, किसान मन के कहना आय के वो मन ला कऊनो फायदा नई होईस. रंजीत चौरसिया हमन ला बताथें, “हमन ला आस रहिस के सरकार मगही के परचार करही जेकर ले जियादा मांग होही अऊ हमन ला बढ़िया दाम मिलही, फेर अइसने कुछु नई होइस.”  वो ह कहिथे. “दुख तो ये है कि जीआई टैग मिलने के बावजूद सरकार कुछ नहीं कर रही है पान किसानों के लिए. इसको तो एग्रीकल्चर भी नहीं मानती है सरकार [दुख त ये बात के आय के जीआई टैग मिले के बाद घलो सरकार कुछु नई करत हवय पान किसान मन बर. सरकार पान ला खेती नई मानत हवय].”

“बिहार सरकार ह पान ला बागवानी के तहत रखे हवय, येकरे सेती किसान मन ला फसल बीमा जइसने खेती के कतको योजना के फायदा नई मिलत हवय.” एक हेक्टेयर (करीबन 79 कट्टा) के नुकसान मं 10,000 रूपिया के मुआवजा ला लेके रंजीत चौरसिया कहिथे, “जब खराब मऊसम सेती हमर फसल बरबाद हो जाथे त हमन ला एकेच लाभ मुआवजा मिलथे, फेर मुआवजा के रकम सुन हंसी कराय के आय. हिसाब करके देखे जाय त एक कट्टा के हिसाब ले हरेक किसान ला कट्टा पाछू करीबन 126 रूपिया मिलथे.” वो ह कहिथे के किसान मन ला कतको बेर कृषि दफ्तर के चक्कर लगाय ला परथे येकरे सेती अक्सर वो मन मुआवजा के दावा नई करे सकंय.

*****

Left: Karuna Devi and her husband Sunil Chaurasia at their home. Karuna Devi had taken a loan of Rs. 1 lakh to cultivate Magahi betel leaves, in the hope that she would repay it from the harvest. She mortgaged some of her jewellery as well.
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Right: Ajay and his wife Ganga Devi at their house in Dheuri village. The family lost a crop in 2019 to severe cold, and in October 2021 to heavy rains caused by Cyclone Gulab. 'I incurred a loss of around Rs . 2 lakh in both the years combined,' he says
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डेरी: करुणा देवी अऊ ओकर घरवाला सुनील चौरसिया अपन घर मं. करुणा देवी ह मगही पान के खेती करे बर एक लाख रूपिया करजा लेय रहिस. वोला आस रहिस के वो ह फसल होय के बाद येला चुकता कर दिही. वो ह अपन कुछु जेवर घलो गिरवी रखे रहिस. जउनि: अजय अऊ ओकर घरवाली गंगा देवी ढेउरी गांव मं अपन घर मं. साल 2019 मं भारी जाड़ के सेती अऊ अक्टूबर 2021 मं गुलाब चक्रवात  सेती होय भारी बरसात ले ओकर फसल बरबाद होगे रहिस. वो ह कहिथे, मोला दूनों बछर ला मिलाके करीबन दू लाख के नुकसान उठाय ला परिस

साल 2023 मं भारी घाम के सेती अपन फसल बरबाद होय के बाद सुनील अऊ ओकर घरवाली अब दूसर किसान मन के बरेजा (मड़वा) मं बूता करथें, वो ह कहिथें, “घर चलाने के लिए मज़दूरी करना पड़ता है. पान के खेत में काम करना आसान है , क्योंकि हम शुरू से ये कर रहे हैं , इसलिए पान के खेत में ही मज़दूरी करते हैं. [घर चलाय सेती बनिहारी करे ला परथे. पान के खेत मं बूता करे आसान आय काबर के सुरु ले हमन येला करत हवन येकरे सेती पान के खेत मं बनिहारी करथन].”

8-10 घंटा बूता करके सुनील ह रोजी मं 300 रूपिया अऊ ओकर घरवाली करुणा देवी ह 200 रूपिया कमाथे. ये कमई ले छै परानी के परिवार के घर चलाय मं मदद मिल जाथे. परिवार मं 3 बछर के बेटी अऊ एक पांच अऊ सात बछर के तीन झिन बेटा हवंय.

साल 2020 मं कोविड-19 के लॉकडाउन मं घलो नुकसान होईस. वो ह सुरता करथे, “लॉकडाउन बखत बजार ले लेके आय-जाय के साधन तक ले सब्बो कुछु बंद रहिस. मोर घर मं 500 ढोली [200 पान पत्ता के बंडल] पान रखाय रहिस. मंय वोला बेचे नईं सकंय अऊ वो ह सर गे.”

करुणा देवी कहिथे, “मंय अक्सर वोला कहिथों के पत्ता [पान के पत्ता] के खेती ला छोड़ दन. वइसे, सुनील ह ओकर ये चिंता ला नई मानय. ये हमन ला पुरखा ले मिले हवय. हमन येला कइसने छोड़े सकबो अऊ छोड़ के घलो हमन काय करबो?”

ये कहिनी बिहार के एक ठन मजदूर नेता , जेकर जिनगी राज के कोनहा मं परे लोगन मन के हक के सेती लड़त गुजरिस , ओकर सुरता मं दे गेय फेलोशिप के तहत लिखे गे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Umesh Kumar Ray

Umesh Kumar Ray is a PARI Fellow (2022). A freelance journalist, he is based in Bihar and covers marginalised communities.

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Shreya Katyayini

Shreya Katyayini is a filmmaker and Senior Video Editor at the People's Archive of Rural India. She also illustrates for PARI.

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Photographs : Shreya Katyayini

Shreya Katyayini is a filmmaker and Senior Video Editor at the People's Archive of Rural India. She also illustrates for PARI.

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Editor : Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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