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Dahod, Gujarat

Sep 13, 2023

शहर दुरदुरइलस, गांवो ना अपनइलस

एगो कवि आपन दुविधा पंचमहाली भीली में जाहिर करत बाड़न. कवि सोचत बाड़न जवन शहर पलायन करे के मजबूर कइलक, ओकर हाशिया पर रह के घुटन में जियत रहे के चाहीं कि आपन गांव लउट जाए के चाहीं?

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Labani Jangi

Translator

Swarn Kanta

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Author

Vajesinh Pargi

गुजरात के दाहोद में रहे वाला कवि वजेसिंह पारगी गुजराती आउर पंचमहाली भीली में लिखेनी. “जाकल ना मोती” आ “अगियानुन अजवालुन” नाम के उनकर दु गो कविता संग्रह प्रकाशित भइल बा. उहां के एक दशक से जादे से ‘नवजीवन प्रेस’ खातिर प्रूफ-रीडर के काम कर रहल बानी.

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Labani Jangi

लाबनी जंगी पश्चिम बंगाल के नदिया जिला के रहे वाली बारी, आ 2020 से पारी के फेलो हई. ऊ एगो नीमन पेंटरो बारी, एह खातिर लाबनी कवनो औपचारिक पढ़ाई नइखी कइले. उहां के कोलकाता के ‘सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज’ में मजदूरन के पलायन पर पीएचडी लिख रहल बानी.

Translator

Swarn Kanta

स्वर्णकांता एगो पत्रकार, एडिटर, टेक ब्लॉगर, कंटेन्ट राइटर, ट्रांसलेटर, लिंग्विस्ट आ एक्टिविस्ट बारी.