सांप्रदायिकता की फिरकी में फंसे मेरठ के चमड़ा कारीगर
अगर आपने भारत में चमड़े की गेंद से क्रिकेट खेला है, तो संभव है कि वह चमड़ा मेरठ के शोभापुर के श्रमिकों द्वारा बनाया गया था. इन कुशल कारीगरों के हाथों कच्चे चमड़े को कई प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है. सरकारी मदद के अभाव और सांप्रदायिक तनाव के चलते इस उद्योग पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा है
श्रुति शर्मा, एमएमएफ़-पारी फ़ेलो (2022-23) हैं. वह कोलकाता के सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र से भारत में खेलकूद के सामान के विनिर्माण के सामाजिक इतिहास पर पीएचडी कर रही हैं.
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Editor
Riya Behl
रिया बहल, मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं और जेंडर व शिक्षा के मसले पर लिखती हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया (पारी) के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम कर चुकी हैं और पारी की कहानियों को स्कूली पाठ्क्रम का हिस्सा बनाने के लिए, छात्रों और शिक्षकों के साथ काम करती हैं.
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Photo Editor
Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
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Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.