छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के गोंड आदिवासी और पेशे से बांसुरी बनाने वाले, मनीराम मंडावी उस समय को याद करते हैं, जब जंगल ढेर सारे जानवरों, पेड़ों, और उस बांस से भरे हुए थे जिससे वह एक ख़ास तरह की ‘घुमाने वाली बांसुरी’ बनाते हैं
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।