लाश-पर-सर-रख-के-रोना-भी-अब-नसीब-नहीं

Osmanabad, Maharashtra

Jun 05, 2021

लाश पर सर रख के रोना भी अब नसीब नहीं

महामारी की वजह से हमने इस बीच एक और त्रासदी देखी. इंसान के शरीर से लेकर अन्य सामाजिक पहलुओं तक, अंतिम संस्कार ऐसे-ऐसे तरीक़ों से होते हुए दिखे जिनकी पहले हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अंतिम विदाई के वक़्त शोक की जगह अब खानापूर्ति ने ली है और सारा वक़्त संसाधन जुटाने की प्रक्रिया व प्रोटोकॉल का पालन करने में निकल जाता है. महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले से पारी की रिपोर्ट

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Devesh

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Author

Parth M.N.

पार्थ एम एन, साल 2017 के पारी फ़ेलो हैं और एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विविध न्यूज़ वेबसाइटों के लिए रिपोर्टिंग करते हैं. उन्हें क्रिकेट खेलना और घूमना पसंद है.

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Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.