बिना-रुके-104-किलोमीटर-पैदल-चलना

Palghar, Maharashtra

May 03, 2020

बिना रुके 104 किलोमीटर पैदल चलना

पालघर और ठाणे में ईंट भट्टे पर काम करने वाले मज़दूर, जिनमें से ज़्यादातर आदिवासी खेतिहर मज़दूर हैं, कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से बिना किसी कमाई के मानसून तक अपने-अपने घर लौटने को मजबूर हैं

Author

Jyoti

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Jyoti

ज्योति, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया की सीनियर रिपोर्टर हैं; वह पहले ‘मी मराठी’ और ‘महाराष्ट्र1’ जैसे न्यूज़ चैनलों के साथ काम कर चुकी हैं.

Translator

Neha Kulshreshtha

नेहा कुलश्रेष्ठ, जर्मनी के गॉटिंगन विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स) में पीएचडी कर रही हैं. उनके शोध का विषय है भारतीय सांकेतिक भाषा, जो भारत के बधिर समुदाय की भाषा है. उन्होंने साल 2016-2017 में पीपल्स लिंग्विस्टिक्स सर्वे ऑफ़ इंडिया के द्वारा निकाली गई किताबों की शृंखला में से एक, भारत की सांकेतिक भाषा(एं) का अंग्रेज़ी से हिंदी में सह-अनुवाद भी किया है.