इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष के आर्थिक, पर्यावरणीय, और मनोवैज्ञानिक निहितार्थ रहे हैं. और, जैसा कि आप तमिलनाडु के कृष्णागिरी ज़िले में देख सकते हैं कि इसका सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा किसान उठा रहे हैं, ख़ासकर रागी की खेती करने वाले किसान सबसे ज़्यादा परेशान हैं
अपर्णा कार्तिकेयन एक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, और पारी की सीनियर फ़ेलो हैं. उनकी नॉन-फिक्शन श्रेणी की किताब 'नाइन रुपीज़ एन आवर', तमिलनाडु में लुप्त होती आजीविकाओं का दस्तावेज़ है. उन्होंने बच्चों के लिए पांच किताबें लिखी हैं. अपर्णा, चेन्नई में परिवार और अपने कुत्तों के साथ रहती हैं.
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Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.