कमला ह जब चऊथ पईत गरभ ले होईस त ऊमन ओला नई रखे के फइसला करिन, गरभ गिराय बर ओ मन अपन बस्ती ले 10 कोस दूरिहा बेनूर के सरकारी अस्पताल (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) जाय के फइसला नई करे रहिन. अभू तक ले वो ह घर ले जियादा ले जियादा हप्ता मं लगैय्या हाट तक ले गे रहिस.वो ह कहिथे, “मंय त ये जगा ला जानत घलो नई रहेंय, बाद मं मोर घरवाला एकर पता लगाय रहिस.”

कमला ह कुछेक बरस पहिली 30 बछर के अऊ 35 बछर के ओकर घरवाला रवि (नांव बदले गे हे), दूनों गोंड आदिवासी समाज के आंय. सबले पहिली ओमन उहाँ के एक झिन ‘डॉक्टर’ करा गीन जेकर दवाखाना ह ओ मन के बस्ती से लगे रहिस. वो ह कहिथे, “एक संगवारी हा एकर बारे मं बताय रहिस.” कमला अपन घर ले लगे थोकन जमीन मं साग भाजी कमाथे, जेन ला हाट मं बेचथे, रवि ह इहाँ के मंडी मं हमाली करथे अऊ अपन दू भाई मन संग मिलके 3 एकड़ मं गहुँ अऊ मक्का के खेती करथे. वो हा जेन दवाखाना के बात करत हे तेन ला हाईवे ले असानी ले देखे जा सकत हवय. दवाखाना ह अपन तरफ ले ‘अस्पताल’ होय के दावा करथे फेर एकर मुहटा मं ‘डॉक्टर’ के नाम वाला तख्ती तक ले नई लगे हे फेर ओकर दीवार मं लगे बेनर मं ओकर नांव के पहिली डॉक्टर लिखाय हवे.

कमला ह कहिथे, ये ‘डॉक्टर’ ह तीन दिन खाय बर 5 ठीन गोली दिस अऊ एकर बर 500 रुपिया लिस अऊ तुरते दूसर मरीज ला नांव लेके बला लिस. ये गोली के बारे मं और एकर ले होय नुकसान ला लेके कुच्छु नई कहिस, सबले बड़े बात ये कि कतक दिन मं कइसे गरभ गिर जाही, एकर कोनो किसिम के जानकारी नई दे गे रहिस.

दवाई खाय के कुछेक घंटा बितय कमला के खून जाय ला धरिस. वो हा बताथे, “मंय कुछेक दिन अगोरें फेर खून जाय हा नई रुकिस,त हमन जेन डॉक्टर ह दवाई दे रहिस तेकर करा फेर गेन. वो हा हमन ला सरकारी अस्पताल जाके सफ़ई करवाय ला कहिस.” इहाँ सफई के मतलब गरभ के ‘सफ़ाई’ आय.

बेनूर के सरकारी अस्पताल (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) के बहिर जाड़ के हल्का घाम मं एक ठन बेंच मं बइठे कमला गरभपात कराय के पहली होवैय्या जाँच बर अपन पारी ला जोहत रहिस. ये मं कम से कम आधा घंटा लगही फेर एकर सुरु अऊ खतम होय के बाद ओला 3 ले 4 घंटा अराम जरूरी आय. एकर बर एक दिन पहिली खून अऊ पिसाब के जरूरी जाँच कर ले गे रहिस.

छत्तीसगढ़ के नरायनपुर जिला के ये सबले बड़े सरकारी अस्पताल (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) ला 2019 के आखिरी मं नवीनीकृत करे गे रहिस. ये मं विशेष जचकी कमरा हवय जेकर दीवार मन मं हँसत महतारी अऊ तंदुरुस्त लइका मन के के फोटो लगे हवय. ये अस्पताल मं 10 बिस्तरा के एक ठन वार्ड, तीन बिस्तरा के जचकी कमरा, ऑटोक्लेव मशीन, गरभ के समे ला पूरा कर चुके अऊ जचकी बर आय माई लोगन मन बर रहे के बेवस्था के संग बारी घलो हवय.ये हा बस्तर के आदिवासी बाहुल्य इलाका मं सरकारी स्वास्थ्य सेवा के भरोसा देवत चेहरा आय.

Clinics such as this, with unqualified practitioners, are the first stop for many Adiasvi women in Narayanpur, while the Benoor PHC often remains out of reach
PHOTO • Priti David
Clinics such as this, with unqualified practitioners, are the first stop for many Adiasvi women in Narayanpur, while the Benoor PHC often remains out of reach
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झोलाछाप डॉक्टर मन के अइसने दवाखाना नरायनपुर के कतको आदिवासी माइलोगन बर पहिली सुभीता आय, काबर बेनूर पीएचसी तक अक्सर नई जाय पांय

राज के पूर्व मातृ स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर रोहित बघेल बताथे, “बेनूर पीएचसी (नारायणपुर ब्लॉक) जिला के सबले बढ़िया अस्पताल (स्वास्थ्य केंद्र) आय जेन मं जम्मो तरह के सुविधा हवय. एकर 22 करमचारी मन मं एक झिन डॉक्टर, एक झिन आयुष चिकित्सा अधिकारी, 5 झिन नर्स, 2 झिन लैब तकनीशियन अऊ इहाँ तक ले एक झिन स्मार्ट कार्ड कंप्यूटर ऑपरेटर घलो सामिल हवय.”

ये अस्पताल मं इलाज बर लगभग 10 कोस दुरिहा तक के गांव के मरीज़मन आथें. 77.36 फ़ीसदी आदिवासी आबादी वाले ये ज़िला के आदिवासी मन आमतौर ले इहीच स्वास्थ्य केंद्र मं आथें. जेन मं जियादा करके गोंड, अबूझमडिया, हल्बा, धुर्वा, मुरिया अऊ मारिया समाज के लोगन मन होथें.

छींट वाला साल ले अपन चेहरा ला तोपे के कोसिस करत कमला हा कहिथे, “हमन ला मालूमे नई रहिस के इहाँ अइसन चीज कराय सकथन.” ओकर तिन झिन लईका हें जे मं 12 अऊ 9 बछर के दु टूरी अऊ 10 बछर के एक टूरा हे. ये सबके जनम घरेच मं होय रहिस,जचकी गोंड आदिवासी समाज के एक झिन दाई के मदद ले होय रहिस.जचकी ले पहिली धन ओकर बाद कमला के कोनो किसिम के देखरेख नई होईस. सरकारी अस्पताल मं इलाज कराय के ये ह ओकर पहिला अनुभव रहिस.वो हा कहिथे, मंय पहिली पईंत अस्पताल आय हंवव. मंय सुने जरुर रहेंव के आंगनबाड़ी मं गोली देय जाथे फेर उहाँ कभू नई गेंव.” इहाँ कमला ह ग्रामीण स्वास्थ्य आयोजक मन के (आरएचओ) जिकर करत हावे, जेन मन जचकी ले पहिली जाँच करे बर अऊ फ़ोलिक एसिड के गोली बांटे बर गाँव-बस्ती मन मं जाथें.

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली अऊ कमला के बीच के ये दुरिहा इहाँ के मामला मन मं सहज बात आय. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 (2015-16) के मुताबिक छत्तीसगढ़ के देहात मं रहत 33.2 फीसदी माईलोगन मन के जचकी अस्पताल मं नई होय. ये मं एकर घलो जिकर करे गे हे के देहात मं रहैय्या अऊ कमला जइसने गर्भ निरोधक के उपयोग नई करैय्या माईलोगन मन मं सिरिफ 28 फीसदी माईलोगन मं परिवार नियोजन बर कोनो स्वास्थ्य कार्यकर्ता ले बात करे हंवय. एनएफ़एचएस-4 मं यहू घलो कहे गे हवय के, ‘अनियोजित गर्भधारण सामान्य बात आय’ अऊ ‘गर्भपात करवइय्या लगभग एक-चौथाई माईलोगन मन मं गर्भपात ले जुड़े परेशानी मन ला दरज करे गे हवय’.

Left: Dr. Rohit Baghel, former state maternal health consultant, explaining delivery procedures to staff nurses and RMAs at a PHC. 'The Benoor PHC [is the best-equipped and serviced in the district', he says. Right: Dr. Paramjeet Kaur says she has seen many botched abortion cases in the nearly two years she has been posted in this part of Bastar
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Left: Dr. Rohit Baghel, former state maternal health consultant, explaining delivery procedures to staff nurses and RMAs at a PHC. 'The Benoor PHC [is the best-equipped and serviced in the district', he says. Right: Dr. Paramjeet Kaur says she has seen many botched abortion cases in the nearly two years she has been posted in this part of Bastar
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डेरी: राज के पूर्व मातृ स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर रोहित बघेल पीएचसी मं तइनात नर्स अऊ ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक मन ला जचकी के तरीका ला समझावत. वो ह कहिथे, बेनूर पीएचसी मं जम्मो तरह के सुविधा हवय. जऊनी: डॉक्टर परमजीत कौर कहिथे, वो हा बस्तर मं गर्भपात मं लापरवाही ले जुरै कतको मामला देखे हवय

नारायणपुर जिला के देहात के 90 फीसदी आबादी खराब सड़क या फेर सड़क नई होय ले आय जाय के साधन नई मिले के सेती वो मन तक जचकी और ओकर बाद के मिलने वाला स्वास्थ्य सुविधा कमती बने हवय. फेर नरायनपुर जिला के सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा मं आठ पीएचसी, एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) अऊ 60 उप-स्वास्थ्य केंद्र आथे, जेन मं डॉक्टर मन के कमी बने हवय.डॉ. बघेल बताथे, “जिला मं विशेषज्ञ डॉक्टर मन के  60 फीसदी पद खाली हवय, जिला अस्पताल ला छोड़ के कोनो अस्पताल मं स्त्री रोग विशेषज्ञ नई ये.” ओरछा ब्लॉक के गरपा अऊ हंदवाड़ा के दूनो पीएचसी एक खोली मं चलत हे,उहाँ कोनो इमारत नई ये, उहाँ तइनात डॉक्टर घलो कतको मुस्किल ले जुझत हवय.

अइसन हाल के चलते कमला अऊ दूसर बनेच अकन माईलोगन मन जचकी ले जुरे कतको समस्या के निदान बर झोलाछाप डॉक्टर मन करा जाय ला मजबूर हो जाथें.जइसने ऊ ‘डॉक्टर’ जेकर करा कमला ह जाय रहिस. जिला मं स्वास्थ्य और पोषण मं यूनिसेफ द्वारा समर्थित कार्यक्रम के तहत काम करैय्या एनजीओ, ‘साथी समाज सेवी संस्था’, के सहायक परियोजना समन्वयक प्रमोद पोटाई जे हा गोंड आदिवासी समाज ले आथे, बताथे, “हमर कतको आदिवासी लोगन मं ला एकर कोनो जानकारी नई ये के कऊन एलोपैथिक डॉक्टर आय अऊ कऊन नो हे. हमर इहाँ ‘झोलाछाप डॉक्टर’ हावें जेन ला ‘नीम-हकीम’ (बिना काबिल होय दवाई देने वाला) कहे जाथे फेर उही मन सूजी-पानी, दवाई देवत रथें अऊ कऊनो ओकर मन ले सवाल नई करेय.”

डॉक्टर मन के कमी ला दुर करे बर राज सरकार ह ग्रामीण चिकित्सा सहायक (आरएमए) के पद बनाय रहिस. 2001 मं जेन बखत छत्तीसगढ़ राज बने रहिस तेन बखत कुल 1,455 स्वीकृत पद मन मं पीएचसी स्तर मं सिरिफ 516 चिकित्सा अधिकारी रहिन. 2001 के छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल अधिनियम के पाछू ये मतलब रहिस के गाँव-देहात इलाका मन मं स्वास्थ्य कर्मचारी मन ला प्रशिक्षित करना. ‘प्रैक्टिशनर्स इन मॉडर्न मेडिसिन एंड सर्जरी’ नांव वाले तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के नांव ला तीन महीना के भीतर बदल के ‘डिप्लोमा इन अल्टरनेटिव मेडिसिन’ कर दे गीस. एकर सेती मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ले कोनो परामर्श नई लेय गे रहिस अऊ आधुनिक चिकित्सा’ अऊ ‘सर्जरी’ जईसने शब्द मन के इस्तेमाल ला लेके कानूनी चिंता जताय गे रहिस.ये पाठ्यक्रम मं बायोकेमिक मेडिसिन, हर्बो-मिनरल मेडिसिन, एक्यूप्रेशर, फिज़ियोथेरेपी, मैग्नेटो-थेरेपी,योग अऊ फूल ले उपचार शामिल रहिस. आरएमए के रूप मं काबिल मन ला ‘सहायक चिकित्सा अधिकारी’ के पदनांव ले खासकरके देहात अऊ आदिवासी इलाका मं तइनात करना रहिस.

Although the Benoor PHC maternity room (left) is well equipped, Pramod Potai, a Gond Adivasi and NGO health worker says many in his community seek healthcare from unqualified practitioners who 'give injections, drips and medicines, and no one questions them'
PHOTO • Priti David
Although the Benoor PHC maternity room (left) is well equipped, Pramod Potai, a Gond Adivasi and NGO health worker says many in his community seek healthcare from unqualified practitioners who 'give injections, drips and medicines, and no one questions them'
PHOTO • Avinash Awasthi

बेनूर पीएचसी के जचकी खोली ( डेरी) मं सब्बो सुविधा हवय फेर गोंड आदिवासी अऊ एक एनजीओ के स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता प्रमोद पोटाई(जऊनी कोती. कापी के संग) ह कहिथे के ओकर समाज के कतको मनखे मन इलाज बर झोलाछाप डॉक्टर करा जाथें जेन हा सूजी-पानी अऊ दवई देथे अऊ कऊनो ओकर मन ले सवाल नई करेय

फेर एमसीआई ह ये कहत डिप्लोमा कोर्स ला ख़ारिज कर दिस के एकर ले डाक्टरी पेसा के मापदंड ह कमजोर होय के आसंका रहिस. तीन रिट याचिका (पहली 2001 मं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ राज्य शाखा डहर ले अऊ बाकी मन स्वास्थ्य कार्यकर्ता मन के संगठन, नर्स मन के संघ अऊ  दीगर डहर ले) बिलासपुर उच्च न्यायालय मं दायर करे गे रहिस. 4 फरवरी, 2020 मं अदालत ह कहिस के राज ह आरएमए बर ‘सहायक चिकित्सा अधिकारी’ के पदनांव ला खत्म करे सेती एक ‘नीतिगत निर्णय’ ले रहिस.अदालत ह कहिस के आरएमए ‘डॉक्टर’ के उपाधि के उपयोग नहीं करे सकंय, स्वतंत्र रूप मं खुदे होके काम नई करे सकंय वो मन हा एमबीबीएस डॉक्टर के देखरेख में काम कर सकत हें अऊ ‘बीमारी/ गंभीर हालत/जरूरी हालत मन मं सिरिफ प्राथमिक इलाज धन हालत ला बिगड़े ले रोके के काम कर सकत हें.

फेर आरएमए मन इलाज के एक बड़े खंती ला पाटे हें. डॉ. बघेल कहिथे,“डॉक्टर मन के कमी के सेती जेन मन झोला छाप डॉक्टर मन करा गे रहिन तेन मन कम से कम आरएमए करा जा सकत हें.ये मन थोर बहुत मेडिकल प्रशिक्षण ले हंवय अऊ वो मन गर्भनिरोधकों के बारे में सामान्य सुझाव दे सकत हें फेर एकर ले जियादा कुछु नई करे सकेंय. सिरिफ काबिल एमबीबीएस डॉक्टर ह गर्भपात ले जुरे सुझाव अऊ दवाई दे सकत हे.”

बघेल हा बताथे के साल 2019-20 मं राज मं 1,411 आरएमए काम करत रहिन. वो ह कहिथे, “महतारी अऊ बच्चा मन के मौत मं कमी बर ये मन ला नांव ज़रूर देना चाही.” छत्तीसगढ़ मं बच्चा मौत के दर जेन ह 2005-06 मं हजार पाछू 71 रहिस, वो हा 2015-16 मं घट के 54 होगे, फेर सरकारी अस्पताल मं संस्थागत जनम दर 2005-06 मं 6.9 फीसदी ले बढ़ के 55.9 फीसदी हो गे रहिस.(एनएफएचएस-4).

कमला ला रत्ती भर के ये ग्यान नई रहिस के सबले पहिली जेन ‘डॉक्टर’ करा गे रहिस,वो हा आरएमए रहिस धन पुरापुरी झोलाछाप डॉक्टर.ये दूनो मन ले कोनो भी गरभ गिरे के दवाई मेसोप्रिस्टॉल अऊ मिफीप्रेटोन देय के काबिल नई रहिस, जेकर लेय के सलाह कमला ला दे गे रहिस . बेनूर पीएचसी के प्रमुख, 26 बछर के एलोपैथिक डॉक्टर परमजीत कौर बताथे, “ये दवाई मन के सलाह देय के काबिल बने बर एमबीबीएस डॉक्टर मन ला घलो सरकारी अस्पताल मन मं 15 दिन के प्रशिक्षण शिविर मं हिस्सा ले ल परथे, मरीज के निगरानी करे ला परथे के खून बहुत जियादा झन बोहय अऊ एकर जाँच घलो करे ला परथे के गर्भपात के प्रक्रिया ला सही ढंग ले सुरु करे गे रहिस धन नई. नई त वो ह जानलेवा साबित हो सकत हे.”

Left: 'The Dhodai PHC covers 47 villages, of which 25 have no approach road', says L. K. Harjpal (standing in the centre), the RMA at Dhodai. Right: To enable more women to approach public health services, the stage government introduced bike ambulances in 2014
PHOTO • Priti David
Left: 'The Dhodai PHC covers 47 villages, of which 25 have no approach road', says L. K. Harjpal (standing in the centre), the RMA at Dhodai. Right: To enable more women to approach public health services, the stage government introduced bike ambulances in 2014
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डेरी: आरएमए एल. के. हर्जपाल (मंझा मं खड़े) कहिथे, धोडई पीएचसी के दायरा मं 47 गांव आथे जेन मन मं 25 गाँव जाय बर कोनो सड़क नई ये, जऊनी: सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा जियादा ले जियादा माइलोगन तक पहुंचाय बर राज सरकार ह 2014 ले बाइक एम्बुलेंस सुरु करे हे

कौर कहिथे के लगभग दू बछर पहिली जब ओकर तैनाती बस्तर के ये जगा मं होईस तेन बखत ले कमला के मामला जइसने लापरवाही के कतको मामला देखे हे. ओकर बहिर के मरीज मन के रजिस्टर मं अउसत 60 मरीज के सूचि हवय, जेन ह एके दिन मं अलगे-अलगे ढंग ले सिकायत ले के आथें अऊ सनिच्चर के (जब वो इलाका मं बजार भरथे) अइसन मरीज के संख्या सैकड़ा तक ले हबर जाथे. वो ह कहिथे, “मंय ओपीडी मं अइसने ‘सुधार’ मामला कस प्रजनन ले जुरै मामला बनेच तदाद मं देखथों जेन मन मं झोलाछाप डॉक्टर मन ले इलाज कराय के बाद आथें. प्रेरित गर्भपात मं लापरवाही करे ले संक्रमण हो सकत हे जेकर ले बांझपन, गंभीर रोग धन मउत तक हो सकत हे.इहाँ आय जियादा करके माईलोगन मन ला ये सब बात के ग्यान नई रहय. वो मन ला एक ठन गोली देके लहुंटा देथें जबकि दवई देय ले पहिली ओकर एनीमिया अऊ ब्लड-सुगर के जाँच होना चाही.”

बेनूर ले 17 कोस दुरिहा धोडई के दीगर पीएचसी मं हल्बी आदिवासी समाज के 19 बछर के सीता (बदले नांव) अपन 2 बछर के लईका संग आय हे. वो ह कहिथे, “मोर लईका घर मं पइदा होय रहिस अऊ मंय कभू अपन गरभ के बखत धन ओकर बाद ककरो ले कभू सलाह नई लेंय.” ओकर पास के आंगनबाड़ी - जिहाँ जचकी ले पहिली अऊ बाद मं जाँच करे बर स्वास्थ्य कार्यकर्ता आथें - ओकर घर ले 15 मिनट के पइदल रास्ता आय. वो हा कहिथे, “वो मन जेन कुछु कहिथें मोर समझ मं नई आवे.”

डाक्टरी पेसा ले जुरे जतको लोगन मन ले मोर भेंट घाट होईस, ओ मन मं बनेच के कहना रहिस के डाक्टरी सलाह देय मं भासा के रुकावट देखे ला आथे, देहात बस्तर के आदिवासी जियादा करके गोंडी बोलथें धन हल्बी अऊ वो मन ला छत्तीसगढ़ी थोर बहुत समझ मं आथे. हो सकत हे डाक्टरी पेसा के ये मन इहाँ के न हों धन ये भासा मन मं सिरिफ एक ला जानत हो. समझ जुड़ाव एक ठन अऊ समस्या आय. धोडई के 38 बछर के आरएमए, एल. के. हर्जपाल कहिथे, “धोडई पीएचसी के दायरा मं 47 गांव आथे जेन मं 25 गाँव तक पहुंचे बर कोनो सड़क नई ये. भीतर के इलाका मन मं पहुंचना अऊ घलो मुश्किल आय अऊ भाषा के घलो अपन समस्या हवय एकर सेती हमन ठीक ढंग ले अपन काम(गर्भवती महतारी के जांच-पड़ताल) नई कर सकन. हमर सहायता करेइय्या नर्स /दाई (एएनएम) मं ला सब्बो घर तक पहुँच पाय मं बहुतेच मुस्किल हो जाथे अऊ फेर वो मन एक-दूसर ले बनेच दुरिहा मं हवंय.” माईलोगन मन तक  सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाय बर राज सरकार ह 2014 ले बाइक एम्बुलेंस के सुरुवात करे रहिस अऊ अब जिला मं अइसने पांच एम्बुलेंस हवय.

22 बछर के दशमती यादव ऊ लोगन मन ले एक आय जेकर बर ये एम्बुलेंस के इस्तेमाल करे गे रहिस. वो अऊ ओकर घरवाला प्रकाश बेनूर पीएचसी से कुछेक कोस दुरिहा 5 एकड़ जमीन मं खेती करथें. ओ मन के महिना भर के एक बेटी हवय. दशमती बताथे, “जब मंय पहिली बखत गरभ ले रहेंय त गाँव के सिरहा (पारंपरिक हकीम) ह मोला कहे रहिस के मंय आंगनवाड़ी धन अस्पताल झन जांव. वो मन कहे रहिन के मोर खियाल राखहिं फेर जनम ले के कुछु बखत बाद मोर लईका (बेटा) मर गे. एकर सेती ये बखत मोर घरवाला ह एम्बुलेंस ला फोन करिस अऊ मोला जचकी बर बेनूर लाय गिस.” बस्ती ले 6 कोस दुरिहा बने ये पीएचसी के तरफ ले महतारी एक्सप्रेस नांव के एम्बुलेंस चलाय जाथे जेन ला 102 मं फोन करके बलाय जा सकत हे. दशमती के बेटी अब बने हालत मं हवय अऊ जब वो हा बोलथे त ओकर दाई के खुसी के ठिकाना नई रहय.

Left: Dr. Meenal Indurkar, district consultant for health in Narayanpur, speaking to young mothers about malnutrition. Right: Dashmati Yadav (with her husband Prakash and their baby girl), says, '...my baby boy died after birth at home. So this time my husband called the ambulance and I was taken to Benoor for my delivery'
PHOTO • Priti David
Left: Dr. Meenal Indurkar, district consultant for health in Narayanpur, speaking to young mothers about malnutrition. Right: Dashmati Yadav (with her husband Prakash and their baby girl), says, '...my baby boy died after birth at home. So this time my husband called the ambulance and I was taken to Benoor for my delivery'
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डेरी: नरायनपुर मं  ज़िला स्वास्थ्य सलाहकार  डॉक्टर मीनल इंदुरकर जवान महतारी मं ला कुपोषण के बारे मं बतावत. जऊनी: दशमती यादव (अपन घरवाला अऊ बेटी के संग) कहिथे, ‘...मोर लईका के  घर मं जनम होय के बाद ओकर मउत होगे एकर सेती ए बखत मोर घरवाला ह एम्बुलेंस ला फ़ोन करिस अऊ मोला जचकी बर बेनूर ले गिस

नरायनपुर मं ज़िला स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर मीनल इंदुरकर कहिथे, “अस्पताल मं जियादा ला जियादा जचकी बर माईलोगन मन के उछाह बढ़ाय सेती 2011 मं [केंद्र सरकार डहर ले] जननी शिशु सुरक्षा योजना सुरु करे गे हवय, जेन मं अस्पताल तक आये के खरचा, अस्पताल मं मुफत मं रहे के, मुफत मं खाय के अऊ ज़रूरत के मुताबिक़ दवई दे जाथे. अऊ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत वो महतारी मन ला 5,000 रुपिया नक़द दिये जाथे जेन हा जचकी ले पहिले चार घाओ जाँच करवाथें, कोनो अस्पताल मं जचकी होथे अऊ अपन लईका ला जम्मो टीका लगवाथें.

बेनूर पीएचसी मं, जिहां कमला अपन एमटीपी ला अगोरत रहिस,रवि अपन घरवाली बर एक कप चाहा लेके आथे. फुल शर्ट अऊ नीला जींस पहिने रवि ह फोर के बताथे के वो ह अपन घर के मन ला ये नई बताय हे के वो मन अस्पताल काबर आंय हें. वो हा कहिथे,“ हमन वो मन ला बाद मं बताबो. हमन ला 3 लईका मन ला पालना-पोसना हवय, हमन एक अऊ लईका ला सम्भाले नई सकन.”

बालपन मं कमला अनाथ होगे रहिस अऊ ओकर कका हा पाल-पोस के बिहाव घलो करवाईस, वो हा बिहाव ले पहिली अपन घरवाला ला नई देखे रहिस. वो हा कहिथे, “मोर पहिली महवारी के बाद मोर बिहाव कर दे गे रहिस. हमर समाज मं अइसनेच होथे.मोला मालूम नई रहिस के बिहाव मं का होथे. मोर महवारी ला लेके मोर काकी हा अतकेच कहे रहिस के ‘डेट आएगा’. मंय कभू स्कूल नई गेंय अऊ मोला पढ़े ला नई आवे. फेर मोर तीनों लईका स्कूल मं पढ़त हवंय.” लईका मन के पढ़े के बात करत वो हा गरब ले भर जाथे.

कमला कुछेक महिना बाद फेर ये अस्पताल मं आके नसबंदी कराय के अपन इरादा ला बताथे. ओकर घरवाला अपन नसबंदी नई करवाय काबर के ओकर मानना आय के एकर ले ओकर मरदानगी ला नुकसान पहुँचही. इहाँ आय के बाद ओला पहिली बेरा गरभनिरोध अऊ नसबंदी जइसन चीज के पता चलिस फेर ये बाबत दे गेय जानकारी मन ला थोरेच बखत मं वो हा समझ गे रहिस. वो हा कहिथे, “डॉक्टर हा मोला बताईस के अगर मंय गरभ नई चाहों त ये हा एक तरीका आय.” कमला ला परिवार नियोजन के तरीका मन के जानकारी 30 बछर के उमर मं होय हे, जेन बखत वो हा 3 लईका के महतारी आय. अऊ अब एक ठन आपरेसन वो ला गरभ होय ले पूरा पूरी रोक दिही.

रिपोर्टर ह ये कहिनी बर मदद करैय्या भूपेश तिवारी, अविनाश अवस्थी, अऊ विदुषी कौशिक के अहसानमंद हे.

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले  भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे जाने वाले ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट 'पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय, जेकर ले आम मनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम लेकिन किनारा मं रख दे गे समाज के हालत के पता लग सकय

ये लेख ला फेर ले प्रकाशित करे ला चाहत हवव? त किरिपा करके [email protected] मं एक cc के संग [email protected] ला लिखव।

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Priti David

Priti David is the Executive Editor of PARI. She writes on forests, Adivasis and livelihoods. Priti also leads the Education section of PARI and works with schools and colleges to bring rural issues into the classroom and curriculum.

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Priyanka Borar is a new media artist experimenting with technology to discover new forms of meaning and expression. She likes to design experiences for learning and play. As much as she enjoys juggling with interactive media she feels at home with the traditional pen and paper.

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Sharmila Joshi is former Executive Editor, People's Archive of Rural India, and a writer and occasional teacher.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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