‘काम ही काम, महिलाएं गुमनाम’ ऑनलाइन फ़ोटो प्रदर्शनी में आपका स्वागत है

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इस विजुअल यात्रा के दौरान पाठक और दर्शक पूरी प्रदर्शनी देख पाएंगे, जिसमें देश की ग्रामीण महिलाओं द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कामों की असली तस्वीरें दिखाई गई हैं. ये सभी तस्वीरें पी साईनाथ ने 1993 से 2002 के बीच, भारत के दस राज्यों में घूम-घूमकर खींची थीं. ये तस्वीरें आर्थिक सुधार के पहले दशक से लेकर राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना का आरंभ होने से दो साल पहले तक की हैं.

इस प्रदर्शनी में शामिल तस्वीरों के चार सेट को वर्ष 2002 से अब तक केवल भारत में ही 700,000 से ज़्यादा लोग देख चुके हैं. इन तस्वीरों को बसों और रेलवे स्टेशनों, कारख़ाने के दरवाज़ों, खेतिहर तथा अन्य मज़दूरों की बड़ी रैलियों, स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में दिखाया जा चुका है. अब इन्हें पहली बार इस वेबसाइट पर ऑनलाइन पेश किया जा रहा है.

‘काम ही काम, महिलाएं गुमनाम’ शायद इस तरह की पहली, पूरी तरह से डिजिटाइज़्ड और क्यूरेट की गई ऑनलाइन फ़ोटो प्रदर्शनी है, जिसे भौतिक प्रदर्शनियों (जिसमें कुछ इबारतें भी शामिल होती हैं और बड़ी तस्वीरें भी) के अलावा रचनात्मकता के साथ ऑनलाइन भी पेश किया गया है. हर पैनल में औसतन 2 से 3 मिनट का वीडियो भी शामिल किया गया है. आख़िरी पैनल, जहां पर प्रदर्शनी समाप्त होती है, उसमें 7 मिनट का वीडियो शामिल है.

इस प्रदर्शनी में आप, यानी पाठक-दर्शक, वीडियो देख सकते हैं और फ़ोटोग्राफ़र की टिप्पणी साथ-साथ सुन सकते हैं, तस्वीर के साथ लिखी इबारत पढ़ सकते हैं, और हर एक स्टिल-फ़ोटो को बेहतर रिज़ॉल्यूशन में देख सकते हैं.

आप यह काम, वीडियो देखने के बाद पेज को नीचे की ओर स्क्रोल-डाउन करते हुए कर सकते हैं. हर पेज पर वीडियो के नीचे, आपको उस ख़ास पैनल की मूल इबारत और स्टिल-फ़ोटो मिलेंगे.

अगर आप चाहें, तो नीचे दिए गए हर एक लिंक पर क्लिक करके एक बार में एक पैनल पर जा सकते हैं और प्रदर्शनी देख सकते हैं. इस तरह, आप अपनी पसंद की चीज़ों पर फ़ोकस कर सकते हैं. अगर आप चाहें, तो नीचे दी गई सीरीज़ के आख़िरी लिंक पर क्लिक करके, पूरी प्रदर्शनी को एक ही वीडियो में लगातार भी देख सकते हैं.

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या फिर एक ही बार में सारा कुछ देखा जा सकता है (इसमें 32 मिनट लगेंगे, लेकिन इस तरह से आप पूरी प्रदर्शनी क्रमवार, पैनल दर पैनल देख सकेंगे). तस्वीरों की इबारत पढ़ने के लिए आपको प्रत्येक पैनल के पेज पर जाना होगा. 32 मिनट-32 सेकंड के वीडियो में सिमटी इस पूरी प्रदर्शनी का लिंक नीचे दिया जा रहा है.

अनुवादः डॉ. मोहम्मद क़मर तबरेज़

P. Sainath is Founder Editor, People's Archive of Rural India. He has been a rural reporter for decades and is the author of 'Everybody Loves a Good Drought' and 'The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom'.

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Translator : Mohd. Qamar Tabrez

Mohd. Qamar Tabrez is the Translations Editor, Urdu, at the People’s Archive of Rural India. He is a Delhi-based journalist.

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