मुम्बई: ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र बुज़ुर्गों के रहने लायक़ जगह नहीं है, ख़ासकर ऐसे बुज़ुर्गों के लिए, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, बेसहारा हैं और भूख के मारे हैं. ग़रीबों के लिए शुरू की गई एक खाद्य योजना के तहत सरकार द्वारा बुज़ुर्गों के लिए प्रति माह 225,000 किलोग्राम अनाज आवंटित किए जाने के बावज़ूद, महाराष्ट्र तक इसका एक क़तरा भी नहीं पहुंच पा रहा है. केन्द्र सरकार द्वारा 2014 के अप्रैल माह से आवंटित कोटे का राशन न भेजे जाने की वजह से, राज्य में यह योजना पिछले 10 महीनों से पूरी तरह से ठप पड़ी है.

अन्नपूर्णा योजना 2001 से देश भर में संचालित की जा रही है, और महाराष्ट्र में इसके 78,400 लाभार्थी हैं. इस योजना के तहत, 65 वर्ष और उससे ज़्यादा उम्र के बेसहारा बुज़ुर्ग प्रति माह 10 किलो मुफ़्त चावल और गेहूं के हक़दार हैं. इसके लिए गेहूं और चावल केन्द्र द्वारा प्रदान किया जाता है.

राज्य को केन्द्र सरकार से हर महीने लगभग 225,000 किलोग्राम गेहूं और चावल मिलता था. हालांकि, राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि केन्द्र द्वारा आवंटित किया जानेवाला अनाज अचानक से रोक दिया गया और इसे अभी तक जारी नहीं किया गया है.

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती देरी योजना को कारगर बनाने के प्रयासों की वजह से हुई. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “केन्द्र हमारी मांग के आधार पर छह महीने की अवधि में धीरे-धीरे अनाज प्रदान करता था. लेकिन 2014 के मार्च महीने से राज्यों से उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के लिए कहा गया, जिसके आधार पर ही आवंटित कोटा जारी किया जाएगा."

राज्य सरकार ने मार्च 2014 में अनाज की मांग के साथ अपना “उपयोगिता प्रमाणपत्र” भेजा था, लेकिन न तो आपूर्ति ही हुई और न ही इसका कोई स्पष्टीकरण दिया गया. तबसे राज्य ने साल 2014 के नवंबर और दिसंबर महीने में और इस साल (2015) जनवरी में केन्द्र को इस संदर्भ में तीन बार लिखा है, लेकिन अभी भी अनाज के आने का इंतज़ार है.

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खाद्य अधिकारों के लिए आन्दोलनरत समूहों का मानना है कि राज्य सरकार को देरी की भरपाई करनी चाहिए. जनवादी महिला संगठन की किरण मोघे कहती हैं, "यह मामला बेहद कमज़ोर तबक़े से जुड़ा हुआ है. अगर केन्द्र द्वारा आवंटित कोटा नहीं आया है, तो राज्य सरकार क्या कर रही है?"

राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव दीपक कपूर ने देरी को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, जिन्होंने हाल ही में कार्यभार सम्भाला है, ने कहा कि वे योजना की स्थिति के बारे में जांच करेंगे.

तस्वीरें: शेख़ अज़ीज़

इस लेख का मूल संस्करण 22 जनवरी, 2015 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित हो चुका था.

अनुवाद: शहनाज़

Priyanka Kakodkar
Translator : Shehnaz

Shehnaz is a freelance translator and copy editor based in Kanpur. An advocate for equality in society, Shehnaz loves poetry, fiction, and travel.

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