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Mirzapur, Uttar Pradesh

Jul 02, 2024

गांठों में उलझी मिर्ज़ापुर के कालीन बुनकरों की ज़िंदगी

कालीन बुनने की एक ख़ास शैली होती है, इसमें बहुत समय लगता है और शरीर को भी इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है. उत्तरप्रदेश के इस ज़िले में बनी एक नॉटेड (गांठों वाली) कालीन दिल्ली में संसद की नई इमारत की दीवार पर भी टंगी दिखती है. लेकिन इस शिल्प से जुड़े अनेक बुनकर या तो नई आधुनिक तकनीकों को आज़मा रहे हैं या दूसरे काम-धन्धों को अपनाने लगे हैं

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Author

Akanksha Kumar

आकांक्षा कुमार, दिल्ली की एक मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं और ग्रामीण इलाक़ों से जुड़े मामलों, मानवाधिकार, अल्पसंख्यकों के मुद्दों, जेंडर और सरकारी योजनाओं पर आधारित रिपोर्टिंग करती हैं. उन्हें 2022 में मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पत्रकारिता पुरस्कार से नवाज़ा गया था.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Editor

Sarbajaya Bhattacharya

सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.