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Chhindwara, Madhya Pradesh

Oct 29, 2024

‘खाली आपन भाषा बोले से घर ना चले’

भारिया समुदाय के किसान कमलेश डांडोलिया एगो नीमन लेखक बानी आ भाषा संग्रह करे आ ओकरा बचावे में लागल बानी. उनका हिसाब से उनकर मातृभाषा भारियाटी, हिंदी के आगू कमजोर त पड़िए रहल बा, बलुक एकरा से जुड़ल जादेतर चीज पहिलहीं समाप्त हो चुकल बा

Translator

Swarn Kanta

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Author

Ritu Sharma

ऋतु शर्मा, पारी के लुप्तप्राय भाषा के सीनियर असिस्टेंट एडिटर बानी. उहां के भाषा विज्ञान में एमए कइले बानी. भारत में बोले जाए वाला भाषा के बचावे आउर फेरु से जिलावे के दिसा में लागल बानी.

Editor

Priti David

प्रीति डेविड पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया में पत्रकार बारी. ऊ पारी के एजुकेशन एडिटर भी हई. प्रीति मास्टर लोगन संगे मिलके, गांव-देहात के सवाल के क्लासरूम आउर पाठ्यक्रम में जगह दिलावे के काम करेली. इहे ना, उहां के नया उमिर के लोग संगे मिलके हमनी के बखत के मुद्दा के दस्तावेजीकरण भी करेनी.

Translator

Swarn Kanta

स्वर्णकांता एगो पत्रकार, एडिटर, टेक ब्लॉगर, कंटेन्ट राइटर, ट्रांसलेटर, लिंग्विस्ट आ एक्टिविस्ट बारी.