खेत में घूमे घरिया, पोखरा में तइरे घरिया, आसमान में फइलल अंजोर देखे घरिया, कान धरती माता ओरी लगाईं... तनी ध्यान सुनीं. सुनी कि लोग आपन जिनगी आउर प्यार के बात करत बा, सुनीं कि लोग आपन दुख-सुख कहत बा. असली फोटो उहे बा जे ई सभ सुनत, देखत नजारा के कैद कर लेवे आउर लोग के सामने लावे.
हमनी रउआ खातिर आज छव गो फोटो चुन के ले आइल बानी. ई फोटो रउआ के गांव, शहर आउर कस्बा के सैर कराई. एह में पश्चिम बंगाल में लुप्त हो रहल कला आउर अंतहीन भूख देखाई दीही, हिमाचल प्रदेस में क्वियर लोग के प्रतिरोध आउर विजय गीत सुनाई दीही, तमिलनाडु में हाशिया पर रहे वाला लोग के हाल बयानी मिली. आउर तटीय कर्नाटक में ढोल के थाप पर थिरकत लोग आउर लोक नृत्य के स्वाद मिली. आज एह लेख में भारत के अइसने कतेक अनिगनत कहानी मिली, जे में समुदाय के, रोजी-रोटी के, गांव देहात के बात बा.
कैमरा बहुते दमदार चीज होखेला. आत्म-निरीक्षण के साधन, जे अंतत: अंदर से बाहिर ओरी के यात्रा पर ले जाला. एकर भाषा खाली अन्याय के दरज ही ना करे, बलुक न्याय आउर राहत तक पहुंचे के रस्ता भी बनावेला.
आज रउआ लोगनी ई सभ कहानी पढ़ीं. देखम, राउर धड़कन कुछ देर खातिर रुक जाई, देह सिहर उठी, निरासा के एह माहौल में आस बंधी.
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हमार छात्रन के कहानी, फोटो के जुबानी - एम पलानी कुमार
पहिल बेर रहे कि हमनी के पारी फोटोग्राफर, कैमरा वाला मास्टर, एम पलानी कुमार सफाई मजूर, मछुआरा आउर दोसर मजूरी करे वाला के बच्चा सभ के हाथ में कैमरा पकड़इलन. बच्चा लोग पलानी के वर्कशॉप आउर कक्षा में फोटोग्राफी के गुर सीख रहल बा.
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‘मछरी पकड़े से बेजोड़ फोटोग्राफर बने तक के कहानी’ - एम.पलानी कुमार
आज एह लेख में पलानी कुमार बतइहन कि कइसे ऊ पोखरा में मछरी पकड़ेवाला समुदाय के बीच बड़ भइले आउर उहंवा ऊ लोग के जिनगी कइसन रहे.
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'नून-तेल हमनी खातिर सपना बा' - रितायन मुखर्जी
9 अगस्त, बिस्व आदिवासी दिवस पस्चिम बंगाल के सबर आदिवासी समुदाय के दुर्दशा पर पारी में एगो रिपोर्ट छपल. एह समुदाय के विमुक्त भइला 70 बरिस हो गइल बा. एकरा बावजूद ऊ लोग आपन वजूद खातिर लड़ रहल बा. बदहाली आउर भुखमरी के कगार पर पहुंच गइल बा. दु मुट्ठी अनाज आउर रोजगार खातिर ऊ लोग पूरा तरीका से जंगल पर निर्भर होखे के मजबूर बा.
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‘मजूरी करे के मजबूर बनबीबी के पाला गान कलाकार’ - रितायन मुखर्जी
सुंदरबन के बनबीबी पाल गान, स्थानीय कलाकार ओरी से प्रस्तुत होखे वाला संगीत नाटकन में से एगो बा. बाकिर इलाका में एह काम में आमदनी घटे से बहुते कलाकार लोग इहंवा से पलायन करे लागल बा. एहि वजह से एह लोकनाटक के मंचन करे वाला कलाकार लोग कम भइल जात बा.
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‘धर्मशाला: गर्व खातिर, विरोध खातिर एगो क्वियर मार्च’ - स्वेता डागा
हिमाचल प्रदेस में पहिल बेर क्वियर समुदाय के अधिकार के पुरजोर वकालत करे वाला प्राइड मार्च निकलल. एह में गांव-देहात आउर छोट शहर से सैंकड़न लोग के जुटान भइल.
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‘पिली वेसा: ताल पर नाचत ‘बाघ’ कलाकार’ - नितेस मट्टू
कर्नाटक के तटीय इलाका में जवान लइका लोग एगो जबरदस्त नाच करेला. इहंवा के लोक संस्कृति के ई अटूट हिस्सा बा. एकरा दसहरा आउर जन्माष्टमी के दौरान कइल जाला.
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अनुवादक: स्वर्ण कांता