गोंदिया: महुआ, मनरेगा व पलायन के बीच कटती आदिवासियों की ज़िंदगी
भारत के सबसे ग़रीब परिवारों का भरोसा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी (मनरेगा) योजना के साथ-साथ महुआ और तेंदू पत्ते जैसी लघु वन उपज पर है. आम चुनाव (2024) में 19 अप्रैल को मतदान के लिए तैयार अरततोंडी गांव के आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 10 साल में उनका जीवन और भी मुश्किल हो गया है
जयदीप हार्दिकर, नागपुर स्थित पत्रकार-लेखक हैं और पारी की कोर टीम के सदस्य भी हैं.
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Priti David
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Ajay Sharma
अजय शर्मा एक स्वतंत्र लेखक, संपादक, मीडिया प्रोड्यूसर और अनुवादक हैं.