जंगल में चारों ओरी झाड़-झंखाड़ फइलल बा. हमनी उहंवा ‘राक्षस के रीढ़’ खोजत बानी. पिरंडई (सिसस क्वांड्रेंगुलरिस, एगो लत्तर) के इहंवा के लोग इहे पुकारेला. रथी आउर हम गुण से भरपूर एगो चौड़ा डंठल वाला लत्तर खोजत बानी. एकर अचार बनावे खातिर जादे करके एकर खिच्चा (कोमल) डंठल काम में आवेला. एकरा तुड़ल जाला, साफ कइल जाला आउर फेरु एकरा लाल मरिचाई, नून आउर तिल के तेल संगे सान के अचार बनावल जाला. अचार जदि सही तरीका से तइयार कइल गइल, त एक बरिस ले चलेला. भात संगे एकरा खइला पर अद्भुत स्वाद मिलेला.
जनवरी के एगो गरमाइल दुपहरिया बा. जंगल ओरी जाए वाला रस्ता पुरान, सूख चुकल नदी से होके गुजरेला. तमिल में एकर बहुते अलग नाम बा, एलाइथम्मन ओडाई. मतलब अइसन देवी के धारा, जिनकर कवनो सीमा नइखे. ई एगो पुरान कहावत बा, जेकरा सुन के लोग के रोंवा खड़ा हो जाला. आउर ऊबड़-खाबड़- पत्थर आउर बालू के ऊपर से जात, इहंवा चौड़ा, उहंवा गील- रस्ता पर चले घरिया हमार रोंवा आउरो खड़ा हो गइल.
रस्ता चलत-चलत रथी हमनी के कहानी सुनावे लगली. ओह में कुछ कहानी काल्पनिक आउर मजेदार रहे. संतरा के बारे में, तितली के बारे में. जादे करके कहानी सभ असली आउर रोंवा खड़ा करे वाला रहे- नब्बे के दसक के जात-पात वाला झगड़ा, खान-पान से जुड़ल वर्चस्व के राजनीति. ओह घरिया ऊ हाई स्कूल में पढ़त रहस. “हमार परिवार के लोग भाग के तुतकुरई चल गइल.”
कोई बीस बरिस के बाद रथी आपन गांव में लउटली. अब लोग उनका इहंवा कहानी सुनावे (स्टोरीटेलर), लाइब्रेरी सलाहकार आउर कठपुतली कलाकार के रूप में जानत रहे. ऊ बतियावेली तनी धीरे-धीरे, पढ़ेली जल्दी जल्दी. “कोविड महामारी घरिया, सात महीना में हम बच्चा लोग वाला 22,000 किताब पढ़ गइनी. केतना बेरा हमार असिस्टेंड के हमरा से रोज बिनती करे के पड़े कि आज रहे द. ना त हम डायलॉगे में बतियाए के सुरु कर देत रहीं,” आउर ऊ हंसे लगली.
उनकर हंसी ओह नदी के धार जइसन निर्मल आउर कल-कल बा, जेकरा पर उनकर नाम रखल गइल बा: भागीरथी. उनकरा एकर छोट नाम, रथी से जानल जाला. ऊ हिमालय से मोटा-मोटी 3,000 किमी दक्षिण में रहेली. इहंवा उनकर नाम के नदी, गंगा हो जाली. उनकर गांव, तेनकलम, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिला में- पहाड़ी आउर झांड़ी वाला घना जंगल से घिरल बा. ऊ सभे के जानेली, जइसे गांव के सभे कोई उनकरा पहचानेला.
“रउआ जंगल में काहे जात बानी?” रस्ता में एगो मजूर मेहरारू पूछली. “हमनी पिरंडई खोजे निकलल बानी.” रथी जवाब देली. “ऊ औरत के हवे? तोहार सहेली?” ऊ मेहरारू सवाल कइली. “हां, हां,” रथी मुस्कुरइली, हम हाथ हिलइनी आउर आगू बढ़ गइनी...
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दुनिया भर में पावल जाए वाला तरह-तरह के सभ्यता आउर महादेस सभ में कवनो वनस्पति घूम-घूम के खोजे के परंपरा रहल बा. ई विचार कॉमन्स से बहुते मिलेला. कॉमन्स (सामान्य) मतलब ठोस, कुदरती आउर दोसर तरह के सभ संपत्ति पर सभे के बराबर हक बा. मतलब कवनो इलाका के जंगल में जेतना भी पेड़-पौधा बा, ओकरा पर सभ मौसम में, आउर स्थायी तौर पर उहंवा के लोग के बराबर हक होई.
चेजिंग सोप्पू किताब बेंगलुरु शहर के जंगली खाद्य पौधा सभ के बारे लिखल गइल बा. एह में एक जगह लेखक कहत बाड़न, “जंगल में उगे वाला पौधा के इकट्ठा करे, ओकर काम में लावे से जातीय-पारिस्थितिकी आउर जातीय-वानस्पतिक ज्ञान के संरक्षित करे में मदद मिलेला.” उनकरा हिसाब से, जइसन कि तेनकलम में होखेला, मेहरारुए लोग आमतौर पर जंगल में जाके पौधा खोजे के काम करेली. “मेहरारू लोग के जंगल के चप्पा-चप्पा में उगे वाला हर तरह के पौधा के जानकारी होकेला. ऊ लोग के पता होखेला कि जंगल के कवन पौधा खाए लायक बा. इहे ना, ऊ लोग इहो जानेला कि पौधा के कवन हिस्सा खाए लायक बा, चाहे कवन हिस्सा से दवाई बन सकता बा, आउर कवन हिस्सा के कला चाहे संस्कृति खातिर उपयोग कइल जा सकेला. आउर एकरा खोजे खातिर कवन मौसम नीमन बा.” ऊ लोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलल आ रहल कइएक तरह के लजीज व्यंजन बनावे भी जानेला.
मौसमी उपज सालो भर खाए के मिले, एकर आसान आउर टिकाऊ तरीका ओकरा संरक्षित कइल बा. सबले लोकप्रिय तरीका बा, एह तरह के चीज के सूखा द, चाहे अचार बना के रख ल. दक्षिण भारत में, खास करके तमिलनाडु में अचार, सिरका के जगह तिल (गिंगेली) के तेल से बनावल जाला.
“तिल के तेल में सेसमिन आउर सेसामोल होखेला. ई कुदरती एंटीऑक्सीडेंट बा आउर प्रीजरवेटिव (संरक्षण करे वाला पदार्थ) के काम करेला,” मैरी संध्या जे कहली. उहां के खाद्य प्रोद्योगिकी में एम.टेक बानी. उनकर मछरी के अचार के आपन ब्रांड ‘आड़ी’ (महासागर) बा. संध्या आपन मछरी के अचार में कोल्ड प्रेस्ड तिल के तेल डालल पसंद करेली. “ई तेल डाले से अचार जादे दिन ले खराब ना होखे, आउर एकरा से अचार में भरपूर पोषण, स्वाद आउर रंग आ जाला.”
पौधा आउर वनस्पति खोजनाई एगो पारंपरिक अभ्यास बा. अलग-अलग महाद्वीप, संस्कृति में व्यापक तौर पर एकर चलन रहल बा. जंगल में उगे वाला खाद्य सामग्री के उहंई के इलाका में, मौसम के हिसाब से स्थायी रूप से खाए खातिर इस्तेमाल कइल जाला. हर बार पौधा खोजे जाए-आवे में रथी के मोटा-मोटी चार घंटा लागेला. एकरा खातिर उनकरा 10 किलोमीटर ले चले के पड़ेला. ‘बाकिर ओकरा घर लइला के बाद,’ ऊ हंसत कहे लगली, ‘पता ना ओकरा संगे का होखेला’
रथी के परिवार में तिल के तेल कइएक चीज में डालल जाला. जइसे- एकरा से झोर वाला तरकारी आउर मांस बनावल जाला. एकरा अलावे अचार बनावे में इस्तेमाल होखेला. बाकिर खान-पान से जुड़ल वर्चस्व से उनकरा परेसानी बा.
“गांव में जब कवनो जनावर मारल जाला, त ओकर मीट के अच्छा-अच्छा हिस्सा ऊंच जात वाला लोग ले लेवेला. आउर फालतू (जनावर के अंतड़ी आउर लीवर, किडनी जइसन भीतरी अंग) हिस्सा सभ हमनी लोग के घरे भेज देवल जाला. हमरा इयाद नइखे कि हमार जिनगी में, चाहे पहिले कबो अच्छा मांस बनल होखो. हमनी के कबो एकर नीमन हिस्सा मिलबे ना कइल. हमनी के जनावर के खाली ब्लड (खून) मिलल!”
“दमन, भूगोल, जीव-जंतु के स्थानीय प्रजाति आउर जातीय वर्चस्व चलते दलित, बहुजन आउर आदिवासी समाज के खाए-पिए के तौर-तरीका पर बहुत गहिर असर पड़ल बा. ई असर अइसन बा, जेकरा बारे में सामाजिक वैज्ञानिक लोग के अबले पूरा पता ना चलल ह,” विनय कुमार ‘हमार लरिकाई के ब्लड फ्राई आउर दोसर दलित व्यंजन’ नाम के एगो लेख में लिखत बाड़न.
रथी के माई वडिवम्मल “ब्लड, अंतड़ी आउर दोसर हिस्सा साफ करे के अद्भुत तरीका जानेली,” ऊ बतइली. “पछिला एतवार के अम्मा ब्लड पकइली. ई हमनी के शहर के एगो स्वादिष्ट व्यंजन हवे: ब्लड सॉसेज आउर ब्लड पुडिंग. भेजा फ्राई के हमनी इहंवा सुपर फूड मानल जाला. एक बेरा जब शहर गइनी, त उहंवा ई सभ के दाम सुन के बड़ा अजीब लागल. गांव में जवन चीज 20 रुपइया में मिल जाई, ऊ उहंवा बहुते महंगा बिकात रहे.”
उनकर माई के भी वनस्पति सभ के बारे में गहिर जानकारी बा. “जदि रउआ पलट के देखम त नजर आई, एह बोतल सभ में कइएक तरह के जड़ी-बूटी आउर तेल रखल बा जेकरा दवाई के रूप में इस्तेमाल होखेला.” रथी आपन घर के हॉल में ठाड़ हमनी के बतावत रहस. “माई ई सभ के नाम आउर एकर फायदा जानेली. पिरंडई में पचावे के बढ़िया गुण होखेला. अम्मा हमरा बतावेली उनकरा कवन पौधा चाहे जड़ी-बूटी चाहीं. हम जंगल जाइला, त ऊ सभ के तोड़ के लेके आइला आउर अम्मा खातिर साफ करके रखिला.”
ई सभ चीज मौसमी होखेला, जे बजार में ना मिले.” जंगल खोजे खातिर हर बेर आवे-जाए में उनकरा कोई चार घंटा लाग जाला. आउर पौधा सभ खोजे में 10 किलोमीटर ले पैदल चले के पड़ेला. “बाकिर जब हम ऊ सभ चीज घरे लाइला, हमरा ना पता ओह सभ संगे का होखेला,” ऊ हंसत कहे लगली.
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जंगल के सैर खूब मनभावन होखेला. बच्चा लोग के जे पॉप-अप किताब होखेला, ओकरे जइसन. हर मोड़ पर अजूबा: कहूं तितली, कहूं चिरई आउर खूब जादे आउर घना छाया देवे वाला पेड़. रथी जामुन ओरी इसारा कइली, जे अभी पाकल ना रहे. “कुछे दिन में ई पाक जाई आउर खूब स्वादिष्ट लागी,” ऊ कहली. हमनी पिरंडई खोजत रहीं, बाकिर अबले एको ना भेंटइल रहे. सभ गायब हो गइल रहे.
“लागत बा, हमनी से पहिले केहू ले उड़ल,” रथी कहली. “चिंता के कवनो बात नइखे, लउटे घरिया जरूर मिली.”
बात संभारे खातिर, ऊ इमली के बिसाल गाछ लगे रुकली, एगो भारी डाढ़ (शाखा) के झुका के ओह में लागल कुछ फल तुड़ली. एकर भुअर फली के आपन अंगूठा आउर तरजनी के बीच रखके हमनी तुड़नी आउर फेरु भीतरी के नरम-नरम खट्ठा गुद्दा खइनी. उनकर पढ़ाई के सुरुआती इयाद में इमली सामिल बा. “हम किताब लेले एगो कोना में लुका के बइठीं, आउर हरियर-हरियर इमली खाईं.”
जब ऊ तनी आउर बड़ भइली, त पिछवाड़ा में कोडुक्कापुली मरम (बंदर फली के गाछ) पर बइठ के किताब पढ़स. “अम्मा बाद में एकरा कटवा देली काहेकि हम 14-15 के रहीं त एह पर चढ़ जाईं!” एतना कहत ऊ ठठा के हंस देली.
एकदम दुपहरिया बा आउर माथ पर सूरज चमक रहल बा. जनवरी के हिसाब से गरमी तनी जादे रहे… “तनिए दूर आउर जाए के बा,” रथी कहली. “हमनी पुलियुथ पहुंच जाएम, गांव खातिर उहंई से पानी आवेला...” सूखल धारा के किनारे-किनारे जगह-जगह तनी-तनी पानी जमल बा... तितली सभी कीचड़ वाला पोखर पर नाचत बाड़ी. ऊ लोग आपन पंख खोलेला (भीतरी इंद्रधनुषी बुलु रंग) आउर फेरु बंद कर लेवेला (बाहिर साधारण भुअर रंग). जब हमरा लागेला कि एकरा से जादे जादू का होई... त अइसन जादू होखेला.
पुलियुथ तलाब बा, गांव के देवी के एगो पुरान मंदिर के लगे. रथी बतावत बाड़ी, ठीक ओह पार, एगो भगवान गणेश जी के एगो नया मूरति निकल आइल बा. उहंवा हमनी एगो बिसाल बरगद के गाछ तरे बइठनी आउर संतरा खइनी. घना जंगल में चारों ओरी दुपहरिया के नरम नरम अंजोर, संतरा के सुंदर गमक, आउर करियर मछरी. आउर फेरु रथी प्यार से एगो कहानी सुनावे लगली. “एकरा पिथ, पिप आउर पील कहल जाला,” ऊ सुरु कइली. हम सुने लगनी, प्रसन्न मुद्रा में.
रथी के कहानी हरमेसा से पसंद रहे. सुरु के इयाद उनकरा बाऊजी समुद्रम के बा. ऊ बैंक मैनेजर रहस आउर रथी खातिर मिकी माइस के कॉमिक्स ले आवत रहस. “हमरा नीमन से इयाद बा, ऊ भइया गंगा खातिर वीडियो गेम, बहिन नर्मदा खातिर खिलौना, आउर हमरा खातिर किताब ले आवत रहस!”
रथी के पढ़े के आदत आपन बाऊजी से लागल. उनकरा लगे बहुते किताब रहे. इहे ना, रथी के प्राइमरी स्कूल में भी बहुते बड़ लाइब्रेरी रहे. “ऊ लोग किताब पर पहरा ना लगावत रहे. हमरा खातिर ऊ लोग दुर्लभ किताब के अलमारी भी खोल देत रहे... जइसे नेशनल ज्योग्राफिक आउर एनसाइक्लोपीडिया, जे आमतौर पर बंद रहेला. काहेकि हमरा ई सभ किताब बहुते पसंद रहे!”
रथी के किताब एतना भावत रहे कि ऊ पूरा लरिकाई किताबे पढ़त बितइली. “उहंवा एगो रूसी किताब के अनुवाद रहे, जे लागत बा हमरा से भुला गइल. ओकर नाम त नइखे इयाद, बाकिर कहानी आउर फोटो सभ खूब नीमन से आजो इयाद बा. पछिला बरिस, हमरा अमेजन पर ई किताब भेंटा गइल. किताब समुंदरी शेर आउर नौकायन के बारे में बा. रउआ ई सुनम का?” आउर फेरु ऊ पूरा कहानी सुनावे लगली. जइसे-जइसे कहानी सुनावस, उनकर आवाज कबो उठे, कबो गिरे एकदम समुंदर के लहर जेका.
उनकर बचपन समुंदर जइसन उथल-पुथल से भरल रहल. स्कूल में रहस त उनकरा आस-पास हिंसा के कइएक घटना भइल. “छुरा चलत बा, बस सभ जलावल जात बा. हमनी के अइसन घटना लगातार सुने में आवत रहे. गांव में, तीज-त्योहार, चाहे कवनो खास कार्यक्रम में हमनी इहंवा खूब मार-धार वाला फिलिम देखावे के नियम रहे. हिंसा इहे सभ फिलिम देख के लोग सीखत रहे. तब हम अठमा में पढ़त रहीं. मारपीट चरम पर रहे. का रउआ कर्णन फिलिम देखले बानी? हमनी के जिनगी अइसने रहे.” कर्णन साल 1995 में किडियानकुलम में भइल एगो जातिगत दंगा पर बनल फिलिम बा. एह में अभिनेता धनुष के मुख्य किरदार बा. ‘कहानी कर्णन, हाशिया पर मौजूद दलित समुदाय के एगो निडर आउर दयालु युवक के इर्द-गिर्द घूमेला. कर्णन फिलिम में उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक बाड़न.’ ‘गांव में ऊंच जाति के लोग लगे बिसेष अधिकार आउर ताकत बा, जबकि दलित के हर तरह के भेदभाव आउर अत्याचार के सामना करे के पड़त बा.’
नब्बे के दसक के अंतिम में जब जातीय हिंसा चरम पर रहे, रथी के बाऊजी कवनो दोसर शहर में रहत रहस. ऊ उहंई काज करत रहस. रथी आपन भाई-बहिन आउर माई संगे गांव में रहली. बाकिर नौमा, दसमा, ग्यारहमा, बारहमा खातिर ऊ हर साल एगो अलग स्कूल में पढ़े जास.
उनकर जिनगी आउर एकर अनुभव उनकर करियर पर काफी असर छोड़लक. “देखीं, हम 30 बरिस पहिले तिरुनेलवेली में किताब पढ़त रहीं, पाठक रहीं. प्राइमरी स्कूल में हम शेक्सपियर के किताब पढ़ले बानी. रउआ मालूम बा, हमर मनपसंद किताब (जार्ज एलियट के) मिल ऑन द फ्लॉस? बा. ई रंगभेद आउर वर्गभेद के बारे में बा. किताब में असल कहानी एगो करिया रंग के मेहरारू के बिषय में बा. ई किताब स्नातक में पढ़ावल जाला. चूंकि केहू ई किताब स्कूल के दान कइले रहे, एहि से हम चउथा में ही पढ़ लेनी. पढ़े घरिया एकर असल किरदार से हम जुड़ गइनी. ई कहानी हमरा बहुते आहत कइलक...”
कुछेक बरिस बाद, जब रथी के आपन लरिकाई के किताब सभ से भेंट भइल, त ई उनकर करियर के दिसा तय कइलक. “हमरा तनिको अंदाजा ना रहे कि रउआ लोग लगे लरिका सभ वाला किताब रहे. हमरा इहो ना पता रहे कि उहंवा ‘वेयर द वाइल्ड थिंग्स आर आउर फर्डिनैंड’ जइसन किताब बा. ई सभ किताब मोटा-मोटी 80, चाहे 90 बरिस से मौजूद बा. शहर के लरिका लोग एकरा पढ़ले बा. ई बात हमरा सोचे पर मजबूर कइलक कि जदि हमरा लरिकाइए में ई सभ किताब भेंटा जाइत? जदि अइसन होखित त हमार यात्रा अलग होखित. हम नीमन नइखी कहत, बाकिर अलग जरूर होखित.”
फेरु किताब (कॉमिक्स) पढ़े के अइसन चीज मानल जाला जे स्कूली पढ़ाई से दूर ले जाए वाला चीज मानल जाला. “अइसन किताब पढ़े के मनोरंजन के रूप में देखल जाला,” ऊ आपन मुंडी हिलइली. “कवनो तरह के गुण, चाहे कौशल हासिल करे के रूप में ना देखल जाए. माई-बाऊजी लोग भी अपना लरिका लोग खातिर स्कूली किताब आउर एक्टिविटी बुक खरीद के लाई. ऊ लोग के समझे में ना आवे कि लरिका लोग अइसन किताब मजा-मजा में पढ़के जिनगी के गंभीर पाठ सीख सकत बा. इहे ना, इहंवा शहर-देहात के बीच के बहुते गहिर खाई भी मौजूद बा. गांव के लइका लोग, शहरी लइका लोग से पढ़े में दू से तीन लेवल पाछू बा.”
रथी एहि से गांव के लइका लोग संगे काम करल पसंद करेली. ऊ गांव के लाइब्रेरी चलाए के साथे-साथे छव बरिस से लिट-फेस्ट आउर बुक-फेस्ट आयोजित कर रहल बाड़ी. ऊ कहेली, अक्सरहा रउआ अइसन लाइब्रेरियन मिल जाई जेकरा लगे जबरदस्त कैटलॉग होई, बाकिर कोई जरूरी नइखे कि ऊ लोग के इहो पता होखे कि ऊ सभ किताब के भीतरी का बा. “रउआ का पढ़ी, जदि ऊ लोग अइसन किताब के सिफारिश नइखे कर सकत, त एकर कवनो मतलब नइखे!”
रथी रहस्यमय तरीका से आपन आवाज धीमा कर लेली. “एक बार के बात बा, एगो लाइब्रेरियन हमरा से पूछलन, रउआ लाइब्रेरी के भीतरी बच्चा लोग के काहे आवे देत बानी? हमार का प्रतिक्रिया भइल, रउआ देखे के चाहत रहे!” आउर उनकर जोरदार हंसी से पूरा दुपहरिया हिले लागल...
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घर लउटे के रस्ता में हमनी के पिरंडई भेंटा गइल. ई एगो सखत आउर टेढ़ा-मेढ़ा मुड़ल बेल होखेला. रथी हमनी के हल्का हरियर रंग के बेल देखवली, जे हमनी के तुड़े के चाहीं. बेल एक झटका से टूट गइल. ऊ ओकरा आपन हाथ में रख लेली, पिरंडई के एगो छोट, साफ डंठल, “राक्षस के रीढ़”, नाम सुनते हमनी के फेरु से हंसी आवे लागल.
रथी पक्का तौर पर कहली कि बरसात के बाद एकर बेल में फेरु से अंकुर फूटी... “हमनी कबो गहिर हरियर रंग के हिस्सा ना तुड़ीं. ई अंडा देवे वाला मछरी के हटावे जइसन बा, ह कि ना? फेरु रउआ छोट मछरी फ्राई कइसे मिली?”
गांव लउटे के यात्रा कष्ट वाला रहे. सूरज तेज हो गइल रहे, जंगल के ताड़ के पेड़ आउर झाड़ी सभ भुअर आ सूखल रहे. गरमी से धरती तपत रहे. जइसे-जइसे हमनी लगे आवत गइनी, उड़ान भरत प्रवासी चिरई- ब्लैक आइबिस- के झुंड मिले लागल. ऊ लोग आपन गोड़ फइलवले, पंख फइलवले शान से उड़ल जात रहे... हमनी अब गांव के चौराहा पर पहुंच गइल बानी. चौराह पर डॉ. आंबेडकर आपन हाथ में संविधान लेले ठाड़ बानी. “लागत बा, हिंसा के घटना के बादे उनकर मूरति पर लोहा के जाली लगावल गइल होई.”
मूरति से रथी के घर कुछे डेग (कदम) पर होई. लिविंग रूम में वापिस, ऊ हमनी के बतइली कि उनकरा कहानी सभ रचना से भर लागेला. “एगो स्टोरीटेलर (कहानी सुनावे वाला) के रूप में मंच पर हम कइएक तरह के भावना जाहिर करिला, जे अइसे कबो हम जाहिर ना करीं. इहंवा ले कि निरासा, थकावट जइसन साधारण चीज के भी हमनी छुपाइला. बाकिर ई सभ भावना के हम मंच पर जरूर जाहिर करिला.”
ऊ बतावत बाड़ी कि लोग रथी के ना, बलुक ओह किरदार के देखेला, जेकरा ऊ निभावत बाड़ी. दुख-तकलीफ के भी मंच पर एगो राह मिल जाला. “हम झुट्ठो के रोए में उस्ताद बानी. हमार रोवल सुन लोग हमरा ओरी धउगल आवेला, ई कहत कि केहू रोवत बा.” हम पूछनी कि का ऊ हमरा खातिर झुट्ठो के रो सकेली. रथी हंसली, “ना बाबा, इहंवा त एकदम्मे ना. ना त तीन-चार गो रिस्तेदार लोग जरूर दउड़ल आई आउर पूछी, का भइल... का भइल.”
अब हमार जाए के बेरा भ गइल रहे. रथी हमनी खातिर पिंरंदई अचार बांध देहली. एह में लहसून मिलल रहे आउर ई तेल में डूबल चमचमात रहे. एकरा सुगंध अइसन रहे मानो आदमी स्वर्ग में पहुंच गइल होखे. एकरा से हमरा हरियर अंकुर, गरमी वाला दिन के लमहर सैर आउर दोसर कहानी सभ के इयाद आवे लागल.
रथी के माई वडिवाम्मल पिरंदई अचार बनावे के विधि बतइली:
पिरंदई के पहिले साफ करके महीन काट लेवे के बा. फेरु एकरा धो के, छान लेवे के बा. एकरा में तनिको पानी ना बचल रहे के चाहीं. अब एगो पैन लेके ओह में तिल के तेल नीमन से डालल जाई. तेल गरम हो जाई त सरसों के तरकावल जाई. एह में मन करे त मेथी दाना आउर लहसून के कली डालल जा सकेला. अब एकरा नीमन से भूने के बा, जबले ई गहिर तंबई रंग के ना हो जाए. पहिले से पानी में भिगोवल इमली के गुद्दा निकाल लेवे के बा. पिरंदई से होखे वाला खजुआहट, इमली कम कर देवेला. (कबो-कबो एकरा साफ करे आउर धोए में भी हाथ खजुआए लागेला.)
अब एह में हरदी के पानी, नून, हरदी पाउडर, लाल मरिचाई पाउडर आउर हींग डालल जाई. एकरा हिलावत रहे के बा, जबले ई नीमन से पक ना जाव. सभे मसाला जब पक जाई, त तेल छोड़े लागी. अब एकरा सेराए (ठंडा होखे) खातिर एक ओरी रख दियाई. बाद में बोतल में भर आउर साल भर मजा से खा.
अजीम प्रेमजी विस्वविद्यालय के वित्तीय मदद से ई शोध कइल गइल बा. शोध विस्वविद्यालय के रिसर्च फंडिंग प्रोग्राम 2020 के हिस्सा बा.
अनुवाद: स्वर्ण कांता