मुंबई के अंदरूनी इलाक़ों में बचे आख़िरी कुछ भिश्तियों में से एक, मंज़ूर आलम शेख़ को महामारी के दौरान अपनी मश्क़ छोड़कर प्लास्टिक की बाल्टियां का इस्तेमाल करने को मजबूर होना पड़ा था. भिश्ती के रूप में उनका भविष्य अब अनिश्चितता से घिरा हुआ है
असलम सैयद, मुंबई में फ़ोटोग्राफी और फ़ोटो जर्नलिज़्म पढ़ाते हैं, और 'हल्लू हल्लू' हेरिटेज वॉक के सह-संस्थापक हैं. 'द लास्ट भिश्ती' नामक उनकी तस्वीरों की शृंखला को पहली बार मार्च 2021 में कॉन्फ्लुएंस में प्रदर्शित किया गया था, जो पानी से जुड़ी कहानियों पर आधारित मुंबई की एक वर्चुअल प्रदर्शनी है, और उसे लिविंग वाटर्स म्यूज़ियम का समर्थन हासिल है. असलम फ़िलहाल मुंबई में बायोस्कोप शो के तौर पर अपनी तस्वीरें प्रदर्शित कर रहे हैं.
Photo Editor
Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
Editor
S. Senthalir
एस. सेंतलिर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर सहायक संपादक कार्यरत हैं, और साल 2020 में पारी फ़ेलो रह चुकी हैं. वह लैंगिक, जातीय और श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लिखती रही हैं. इसके अलावा, सेंतलिर यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर में शेवनिंग साउथ एशिया जर्नलिज्म प्रोग्राम के तहत साल 2023 की फ़ेलो हैं.
Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.