‘यहीं रुकें और कुछ न करें या वहां जाकर ख़ाली बैठें?’
निर्माण स्थलों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर, अमोदा और राजेश जैसे ही बेंगलुरु में अपने नए कार्यस्थल पर पहुंचे लॉकडाउन शुरू हो गया, जिसकी वजह से न तो उन्हें कोई काम मिल सका और न ही रहने के लिए कोई जगह। हाई स्कूल के छात्रों द्वारा पारी की एक रिपोर्ट