यहीं-रुकें-और-कुछ-न-करें-या-वहां-जाकर-ख़ाली-बैठें

Bengaluru, Karnataka

Aug 05, 2020

‘यहीं रुकें और कुछ न करें या वहां जाकर ख़ाली बैठें?’

निर्माण स्थलों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर, अमोदा और राजेश जैसे ही बेंगलुरु में अपने नए कार्यस्थल पर पहुंचे लॉकडाउन शुरू हो गया, जिसकी वजह से न तो उन्हें कोई काम मिल सका और न ही रहने के लिए कोई जगह। हाई स्कूल के छात्रों द्वारा पारी की एक रिपोर्ट

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Author

Asba Zainab Shareef and Sidh Kavedia

अस्बा ज़ैनब शरीफ़ और सिद्ध कवेडिया 17 साल के हैं और बेंगलुरू के शिबूमी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। पारी के लिए सिद्ध की यह दूसरी स्टोरी है।

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।