‘मुझे पता ही नहीं था कि मैला ढोने का काम ग़ैर-क़ानूनी है’
कोटैया और वीरा स्वामी की 2016 में हैदराबाद में मैला ढोने के दौरान मौत हो गई थी. इस काम को प्रतिबंधित करने वाले क़ानून से बेख़बर, और मुआवजे से वंचित उनके परिवार बढ़ते क़र्ज़ों के बोझ तले जूझ रहे हैं
अम्रुथा कोसुरु एक फ़्रीलांस पत्रकार हैं और विशाखापट्टनम में रहती हैं. उन्होंने चेन्नई के एशियन कॉलेज ऑफ़ जर्नलिज़्म से ग्रैजुएशन किया है.
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Editor
Priti David
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Translator
Pratima
प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.