सानिया मलानी सेती बरसात के पहिली पानी हमेसा ओकर जनम दिन ले जुरे एक ठन भविष्यबानी ला सुरता कराथे.

ओकर जनम जुलाई 2005 मं महाराष्ट्र मं आय भयंकर पुर के हफ्ता भर बाद होय रहिस, ये पुर मं 1,000 लोगन ले जियादा के परान गे रहिस अऊ 2 करोड़ लोगन मन के उपर असर परे रहिस. कहे जाथे के लोगन मन ओकर दाई–ददा ला कहे रहिन “वो ह पुर बखत मं जन्मे हवय; वो ह अपन अधिकतर बखत पुर के संग बिताही.”

17बछर के सानिया ह येला फिर ले सुरता करिस जब जुलाई 2022 के पहिली हफ्ता मं भारी बरसात सुरु होय रहिस. महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिला के हटकनगले तालुका के भेंदावड़े गांव के ये बासिंदा कहिथे, “जब घलो मंय सुनथों के पानी वधात चलाय (पानी बढ़त हवय), मोला डर लागथे के कहूँ पुर झन आ जाय.” ये गाँव अऊ येकर 4,686 बासिंदा मन 2019 के बाद ले दू परलय वाले पुर देखे हवंय.

सानिया सुरता करथे, “अगस्त 2019 के पुर के बखत, हमर घर भीतरी मं सिरिफ 24 घंटा मं सात फीट तक ले पानी भर गे रहिस” घर मं पानी जइसने भरे लगिस, मुल्लानी परिवार ह भाग के परान बचा लीस फेर ये घटना ह सानिया ला भारी सदमा मं डार दीस.

साल 2021 के जुलाई महिना मं ओकर गांव मं फिर पुर आय रहिस, परिवार ह तीन हफ्ता तक ले गाँव के बहिर राहत सिविर मं चले गे, गाँव के अफसर मन जब सुरच्छित मानिन तभे ये परिवार ह घर लहूंटिस.

ताइक्वांडो चैंपियन, सानिया के ब्लैक बेल्ट सेती परसिच्छन ला 2019 के पुर के बाद ले झटका लगे हवय. वो ह बीते तीन बछर ले थकान, बेचैनी, चिड़चिड़ापन अऊ चिंता मसूस करत हवय. वो ह कहिथे, “मंय अपन ट्रेनिंग डहर धियान रखे नई सकत हवंव. मोर ट्रेनिंग अब बरसात ऊपर आसरित हवय.”

Saniya Mullani (centre), 17, prepares for a Taekwondo training session in Kolhapur’s Bhendavade village
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The floods of 2019 and 2021, which devastated her village and her home, have left her deeply traumatised and unable to focus on her training
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डेरी: 17 बछर के सानिया मुलानी (मंझा मं) कोल्हापुर के भेंदावड़े गांव मं ताइक्वांडो ट्रेनिंग के तियारी करत हवय. जउनि: 2019 अऊ 2021 के पुर, जऊन ह ओकर गांव ला अऊ घर ला बरबाद कर दीस, येकर ले वोला भारी सदमा लगीस अऊ अपन ट्रेनिंग डहर धियान नई दे सकत हवय

Young sportswomen from agrarian families are grappling with mental health issues linked to the various impacts of the climate crisis on their lives, including increased financial distress caused by crop loss, mounting debts, and lack of nutrition, among others
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किसान परिवार मन के खेल खेलेइय्या जवान नोनी मन अपन जिनगी मं बदलत जलवायु ले होय कतको असर ले होय मानसिक सेहत के मुद्दा ले जुरे जूझत हवंय, जऊन मं फसल के नुकसान सेती बिगड़े माली हालत, बढ़त करजा अऊ पोसन के कमी सामिल हवंय

जब लच्छन सुरु होईस, त वो ह सोचिस के ये ह बखत के संगे-संग बने हो जाही. जब अइसने नई होईस त वो ह एक निजी डॉक्टर करा गीस. अगस्त 2019 ले वो ह कम से कम 20 बेर डॉक्टर करा जा चुके हवय, फेर चक्कर आय, थकान, देह भर मं पीरा, घेरी-बेरी जर धरे, मन नई लगे अऊ सरलग “चिंता अऊ तनाव” के हालत कमती होय के नांवे नई लेय.

वो ह कहिथे, “अब, डॉक्टर करा जाय के विचार घलो खराब सपना के कारन बन जाथे. एक निजी डॉक्टर करा एक बेर जाय मं 100 रूपिया लेगथे; फेर दवई, कतको जाँच मन अऊ ओकर बाद के जाँच मं खरचा होथे.” वो ह कहिथे, ”गर बोतल चढ़ाय के जरूरत परिस, त हमन ला हरेक बोतल के 500 रूपिया खरचा करे ला परथे.”

जब डॉक्टर ले कऊनो फायदा नई मिलिस, त ओकर संगवारी मन ले एक झिन रद्दा बताथे: “गप्प ट्रेनिंग करायचा (बस अपन ट्रेनिंग कलेचुप करत रह).”  येकर ले घलो कुछु मदद नई मिलिस. ओकर हतासा बढ़ गे. जब वो ह अपन बिगड़त सेहत के बारे मं अपन डॉक्टर ले बात करिस, त वो ह ओकर ले बस अतकेच कहिस, “टेंशन झन ले.” सायेद सानिया सेती ये माने सबले कठिन सलाह रहिस, काबर के ये ह ये मं तय रहिस के अवेइय्या बरसात कइसने होही अऊ ओकर परिवार उपर कइसने असर परही.

एक एकड़ जमीन के मालिक, सानिया के ददा जावेद के खत मं 2019 अऊ 2021 के पुर के बखत 100,000 किलो ले जियादा कुसियार बरबाद हो गे. भारी बरसात अऊ वारना नदी के उफान ह 2022 मं घलो ओकर अधिकतर फसल ला बरबाद कर दीस.

जावेद कहिथें, “2019 के पुर के बाद ले ये बात के कऊनो गारंटी नई ये जऊन लगाबे ओकर फर तोला मिलही. इह के किसान ला कम से कम दू पईंत बोये ला परथे.” येकर ले खेती के लागत मोया मोटी दुगुना पर जाथे, मगर कभू-कभू कुछु मिलय घलो नई, जेकर ले खेती ह असथिर हो गे हवय .

The floods of 2019 destroyed sugarcane fields (left) and harvested tomatoes (right) in Khochi, a village adjacent to Bhendavade in Kolhapur district
PHOTO • Sanket Jain
The floods of 2019 destroyed sugarcane fields (left) and harvested tomatoes (right) in Khochi, a village adjacent to Bhendavade in Kolhapur district
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2019 के पुर ले कोल्हापुर जिला के भेंदावड़े ले लगे गाँव खोची मं कुसियार के खेत (डेरी) अऊ लगे पताल (जऊनि) ला बरबाद कर दीस

येकर बाद निजी साहूकार मन ले भारी बियाज मं करजा लेय ह तनाव बढ़े के बड़े कारन आय. सानिया कहिथे, “जइसने-जइसने महिना के चुकता करे के टेम नजिक आथे, तु मन देखहू के कतको लोगन मन तनाव सेती अस्पताल जाय ला धरथें.”

बढ़त करजा अऊ एक अऊ पुर के डर ले सानिया अधिकतर बखत चिंता-फिकर करत रहिथे.

कोल्हापुर के ​​मनोवैज्ञानिक डॉक्टर शाल्मली रणमाले काकड़े कहिथें, “आमतऊर ले, कऊनो घलो प्राकृतिक आपदा के बाद लोगन मन अपन चीज ला हासिल करे के ओतकी कोसिस नई करे सकेंव. अइसने येकरे सेती नई के वो मन नई चाहेंव, वो मन असमर्थ हवंय. आखिर मं अस्सहाय, निरास अऊ कतको दुख के भाव मन, वोकर मन के ऊपर असर डारे सुरु करथें अऊ चिंता के कारन बन जाथे.”

यूएन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ह पहिली बेर ये बात ला फोर के रखे हवय के जलवायु परिवर्तन ह लोगन मन के मानसिक सेहत ऊपर गहिर ले असर करथे: अध्ययन मं सामिल सब्बो छेत्र मन मं ग्लोबल वॉर्मिंग सेती चिंता अऊ तनाव समेत मानसिक सेहत ले जुरे दीगर चुनौती मन बढ़त जावत हवंव. खास करके लइका. किसोर, सियान अऊ पहिली ले बीमार परे लोगन मन ऊपर येकर भारी असर परत हवय.

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18 बछर के ऐश्वर्या बिराजदार ह अपन सपन मन ला 2021 के पुर मं बोहावत देखिस.

पानी कम होय के बाद, भेंदावड़े के धाविका अऊ ताइक्वांडो चैंपियन ला अपन घर के साफ-सफई करत पाख भर मं करीबन 100 घंटा ले जियादा बखत लगिस. वो ह कहिथे, “बस्साय ह बस नई जाय, दीवार अइसने लगत रहय के अब गिरे के तब गिरे.”

जिनगी ला पहिली जइसने होय मं डेढ़ महिना लाग गे. वो ह कहिथे, “गर तंय एक दिन के ट्रेनिंग ला छोर देथस त तोला बने नई लगय.” 45 दिन तक ले ट्रेनिंग नई लेगे सेती वो ला अऊ जियादा मिहनत करे ला परिस. वो ह कहिथे, “(फेर) मोर सहन करे के ताकत भारी गिर गे हवय काबर हमन ला आधा पेट खा के दुगुना मिहनत करे ला परत हवय. अ इसने लंबा बखत तक ले नई चलय अऊ येकरे सेती तनाव रहे ला लगे हवय.”

Sprinter and Taekwondo champion Aishwarya Birajdar (seated behind in the first photo) started experiencing heightened anxiety after the floods of 2021. She often skips her training sessions to help her family with chores on the farm and frequently makes do with one meal a day as the family struggles to make ends meet
PHOTO • Sanket Jain
Sprinter and Taekwondo champion Aishwarya Birajdar (seated behind in the first photo) started experiencing heightened anxiety after the floods of 2021. She often skips her training sessions to help her family with chores on the farm and frequently makes do with one meal a day as the family struggles to make ends meet
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धाविका अऊ ताइक्वांडो चैंपियन ऐश्वर्या बिराजदार (पहली फोटू मं पाछु मं बइठे) ला 2021 के पुर के बाद भारी चिंता लगे ला लगथे. वो ह अक्सर अपन ट्रेनिंग ला छोर देथे जेकर ले वो ह अपन परिवार के खेत के बूता मं मदद करे सकय. ये परिवार ह अपन जरूरत ला पूरा करे जूझत हवय तेकरे सेती वो ह अक्सर दिन मं एक बेर खाथे

पुर के पानी कम होय के बाद, सानिया अऊ ऐश्वर्या के दाई-ददा ला तीन महिना तक ले कऊनो काम नई मिलिस काबर गांव फिर ले पुर के पहिली जइसने खड़े होय ले जूझत रहिस. जावेद ह अपन घटत आमदनी ला पूरा करे राजमिस्त्री के बूता घलो करथे, भरपूर काम पाय नई मिलत रहिस, काबर इलाका मं अधिकतर घर बनाय के बूता बंद परे रहिस. खेत पानी मं बुड़े रहय, ऐश्वर्या के दाई-ददा, जऊन मन किसान अऊ खेत मजूर आंय, मन ला घलो अइसने बखत ले गुजरे ला परिस.

करजा अऊ ओकर बढ़त बियाज ला देखत, परिवार मन पेट काटे के ऊपाय करिन. अइसने हालत मं  ऐश्वर्या अऊ सानिया ला चार महिना तक ले दिन मं एक बेर खाय ला मिलय अऊ कभू-कभू उपास रहे ला घलो.

ये जवान खिलाड़िन मन तऊन दिन के गिनती करे नई सकंय, जब वो मन ला अपन दाई-ददा के मदद सेती जुच्छा पेट सुते ला परे रहिस. ये सब्बो अभाव ले वो मन के ट्रेनिंग अऊ प्रदर्शन मं सुभाविक रूप ले असर परे हवय. सानिया कहिथे, “मोर देह अब भारी कसरत नई करे सकय.”

जब सानिया अऊ ऐश्वर्या ला पहिली बेर चिंता के गम होय ला धरिस, त वोमन ये ला चेत होके धियान नई दीन – जब तक ले वो मन ला मसूस नई होईस के ये दीगर खिलाड़ी मन मं बनेच हवय, जतक वो मन सोचे रहिन. ऐश्वर्या कहिथें, “हमर सब्बो पुर के असर परेइय्या सहेली मन येकरे (लच्छन) बारे मं गोठियाथन.” वो ह कहत जाथे, “येकर ले मोला अतक तनाव हवय के अधिकतर बखत मोला लागथे के मंय उदास हवंव.”

हाटकानगले के तालुका स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रसाद दातार कहिथें, “2020 ले हमन देखे हवन के पहिली बरसात के बाद, जून मं कभू-कभू लोगन मन पुर के डर ले रहे ला लगथें. ये देखत के ये पुर के कऊनो निदान नई ये, डर बढ़त रहिथे, आखिर मं जुन्ना बीमारी मन के कारन बनथे अऊ लोगन के मानसिक सेहत ऊपर असर डारथे.”

डॉ. प्रसाद, जऊन ह 2021 तक 10 बछर तक ले शिरोल तालुका के 54 गांव मन के देखरेख करिस, पुर के बाद इलाका मं इलाज के अगुवई करिस. “कतको मामला मं (पुर के बाद), तनाव अतक बाढ़ गे के आखिर मं कतको लोगन मं उच्च रक्तचाप धन मानसिक बीमारी के पता चलिस.”

Shirol was one of the worst affected talukas in Kolhapur during the floods of 2019 and 2021
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2019 अऊ 2021 के पुर बखत कोल्हापुर के शिरोल सबले जियादा असरवाले तालुका मन ले एक रहिस

Flood water in the village of Udgaon in Kolhapur’s Shirol taluka . Incessant and heavy rains mean that the fields remain submerged and inaccessible for several days, making it impossible to carry out any work
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कोल्हापुर के शिरोल तालुका के उदगांव गांव मं पुर के पानी. सरलग अऊ भारी बरसात के मतलब आय के कतको दिन तक ले खेत बुड़े रहिथे अऊ काम के लइक नई रहय, जेकर सेती कऊनो बूता घलो नई होय सकय

2015 अऊ 2020 के मंझा मं करे गे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के सार ये के कोल्हापुर जिला मं 15 ले 49 बछर के उमर के लोगन मन मं उच्च रक्तचाप के मामला मं 72 फीसदी के बढ़ोत्तरी ये डहर आरो करथे. कर्नाटक के कोडागु जिला मं  2018 के पुर के असर वाले  171 लोगन के जाँच के बाद अध्ययन मं मिलिस के 66.7 फीसदी मं अवसाद, देह के विकार, नसाखोरी, नींद के दिक्कत अऊ चिंता के लच्छन बने रहिस.

एक ठन दीगर शोध मं मिलिस के तमिलनाडु के चेन्नई अऊ कुड्डालोर मं दिसंबर 2015 मं आय पुर ले असर मं आय 45.29 फीसदी लोगन मन के मनोरोग के पहिचान करे गे रहिस; सर्वेक्षन मं सामिल 223 मन ले 101 लोगन मन अवसाद वाले रहिन.

विशाल चव्हाण, जेन ह भेंदावड़े मं 30 ताइक्वांडो लइका मन ला सिखावत हवंय, जवान खिलाड़ी मन के मानसिक सेहत मं ये तरीका के असर ला देखत येकर साखी देथें. “2019 के बाद ले, कतको लइका मन ये हालत के सेती खेले ला छोड़ दे हवंय.” ऐश्वर्या, जेन ह ओकर ले सिखथे, एथलेटिक्स अऊ मार्शल आर्ट ला अपन जीविका बनाय के योजना ऊपर फिर ले सोचत हवय.

2019 के पुर ले पहिली, ऐश्वर्या ह अपन परिवार के चार एकड़ खेत मं कुसियार के खेती करे मं मदद करे रहिस. वो ह कहिथे, 24 घंटा मं, पुर के पानी उसाचा मूला (कुसियार के बरहा मं) भर गे अऊ फसल ला पूरा पूरी बरबाद कर दीस.

ओकर दाई-ददा काश्तकार किसान आंय, जऊन मन ला अपन उपज के तीन चौथाई हिस्सा जमींदार ला देय ला परथे. 47 बछर के ओकर ददा रावसाहेब कहिथें, “सरकार ह 2019 अऊ 2021 के पुर नुकसान के कऊनो मुआवजा नई दीस; गर मुआवजा घलो होतिस, त वो हा जमींदार करा जातिस.”

सिरिफ एकेच 2019 के पुर मं 7.9 लाख कीमत के 240,000 किलो ले जियादा कुसियार के बरबाद होय के संगे संग, रावसाहेब अऊ 40 बछर के ओकर घरवाली शारदा, दूनो ला खेत मजूर बनके दुगुना बूता करे ला मजबूर हवंय. अक्सर ऐश्वर्या घलो काम बूता मं हाथ बंटाथे. अऊ दिन मं दू बखत गोरस दुहथे. शारदा कहिथें, “पुर के बाद कम से कम चार महिना तक ले कऊनो बूता काम नई मिलय. ये ह येकर सेती होते काबर के खेत मन जल्दी सूखे नई अऊ माटी ला तियार होय मं समे लगथे.”

Aishwarya, who has to help her tenant-farmer parents on the fields as they struggle to stay afloat, is now considering giving up her plan of pursuing a career in sports
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ऐश्वर्या, जऊन ला अपन बंटाई मं खेती करेइय्या दाई -ददा के मदद करे ला परथे, वो मन रोजी रोटी सेती जूझत हवंय, अब वो ह खेल ला अपन जीविका बनाय के अपन योजना ला छोड़े के बिचार करत हवय

Along with training for Taekwondo and focussing on her academics, Aishwarya spends several hours in the fields to help her family
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With the floods destroying over 240,000 kilos of sugarcane worth Rs 7.2 lakhs in 2019 alone, Aishwarya's parents Sharada and Raosaheb are forced to double up as agricultural labourers
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डेरी: ताइक्वांडो सिखे अऊ अपन सीखेइय्या ऊपर धियान बना के रखे संग, ऐश्वर्या अपन परिवार के मदद करे कतको घंटा खेत मं बूता करथे. जउनि: एकेच 2019 के पुर मं 7.9 लाख कीमत के 240,000 किलो ले जियादा कुसियार के बरबाद होय के संगे संग, रावसाहेब अऊ 40 बछर के ओकर घरवाली शारदा, दूनो ला खेत मजूर बनके दुगुना बूता करे ला मजबूर हवंय

अइसनेच, 2021 के पुर के बखत, रावसाहेब ह 600 किलो सोयाबीन बरबाद हो गे, जेकर दाम 42,000 रूपिया रहिस. अइसने बरबादी ला देखत, ऐश्वर्या ह खेल मं जीविका ला लेके बेफिकर नई ये. वो ह कहिथे, “अब मंय पुलिस मं भर्ती होय सेती अरजी देय ला सोचत हवंव. खेल मं भरोसा करे भारी जोखम ले भरे हवय, खासकर के ये बदलत मऊसम मं.”

वो ह आगू कहत जाथे, “मोर ट्रेनिंग ह सीधा खेती ले जुरे हवय.” खेती के संग अऊ येकरे सेती ओकर परिवार के जीविका अऊ जिनगी, बदलत मऊसम के घटना ले बढ़त खतरा सेती ,खेल मं जीविका के बारे मं ऐश्वर्या के संदेहा सुभाविक आय.

कोल्हापुर के अजरा तालुका के पेठेवाड़ी गांव के खेल कोच पांडुरंग टेरेसे कहिथे, “कऊनो घलो (मऊसम) आफत के बखत, नोनी खिलाड़ी मन ऊपर सबले जियादा असर परथे. कतको परिवार वो मन ला साथ नई देवत हवंय, अऊ जब वो मन के नोनी मन सिखे ला छोड़ देथें, त परिवार ह वो मन ला खेल छोड़े अऊ कमाय ला कहिथें, जेकर ले वो मन के मानसिक सेहत बिगर जाथे.”

ये पूछे जाय ले के ये जवान लइका मन के मदद सेती काय करे जा सकथे, मनोवैज्ञानिक डॉक्टर काकाडे कहिथें, “पहिली काम ये हो सकत हवय के हमन ओकर मन के बात ला सुनन अऊ वो मन ला अपन भावना ला बोले देवन. जइसने के हमन सिस्टमिक थेरेपी (प्रणालीगत इलाज) धन ग्रीफ़ काउंसलिंग (सदमा ले निजत दिलाय के सलाह) मं करथन. जब लोगन मन ला अपन दिक्कत पीरा ला कहे के मऊका मिलथे, त वो मन ला राहत पाय जइसने लागथे काबर वो मन ला पहिली स्तर के मदद मिल जाथे, जेकर ले वोला इलाज मं मदद मिलथे.” फेर, असल बात ये हवय के कम संसाधन वाले सेहत देखभाल के बुनियादी ढांचा अऊ बड़े इलाज के खरचा सेती लाखों लोगन मन ला मानसिक सेहत के इलाज ह नई मिले सकय.

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लंबा दूरिहा के धाविका सोनाली काम्बले के खेल के भारी ललक ऊपर 2019 के पुर ह स्पीड ब्रेकर जइसने रोड़ा बन गे. ओकर दाई-ददा, दूनो भूमिहीनखेत मजूर मन ला ओकर बाद परिवार ला बड़े भारी तंगी ले बचाय रखे सेती ओकर मदद के जरूरत रहिस.

ओकर ददा राजेंद्र कहिथें, “हमन तीनों के बूता करे के बाद घलो, हमन गुजारा नई करे सकन.” सरलग बरसात ले खेत मन मं पानी भर जाथे अऊ लंबा बखत तक ले खेती के लइक नई रह जाय, जेकर सेती बूता काम कमतिया जाथे अऊ येकरे सेती, खेती के बूता ऊपर आसरित परिवार के आमदनी गिर जाथे.

Athletes running 10 kilometres as part of their training in Maharashtra’s flood-affected Ghalwad village
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An athlete carrying a 200-kilo tyre for her workout
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डेरी: महाराष्ट्र के पुर के असर वाले गांव गलवाड़ मं अपन ट्रेनिंग के तहत 3 कोस दऊड़त खिलाड़ी मन. जउनि : कसरत सेती 200 किलो के टायर धरे एक झिन खिलाड़ी

Athletes in Kolhapur's Ghalwad village working out to build their strength and endurance. Several ASHA workers in the region confirm that a growing number of young sportspersons are suffering from stress and anxiety related to frequent floods and heavy rains
PHOTO • Sanket Jain
Athletes in Kolhapur's Ghalwad village working out to build their strength and endurance. Several ASHA workers in the region confirm that a growing number of young sportspersons are suffering from stress and anxiety related to frequent floods and heavy rains
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कोल्हापुर के गलवाड़ गांव मं खिलाड़ी मन अपन ताकत अऊ सहनसक्ति बढ़ाय सेती काम करत हवंय. इलाका के कतको आशा कार्यकर्ता ये बात के गवाही देथें के जवान खिलाड़ी सरलग पुर अऊ भरी बरसात ले जुरे तनाव अऊ चिंता ले जूझत हवंय

शिरोल तालुका के घालवाड़ गांव मं, जिहां कांबले परिवार रहिथे, माइलोगन मन ला सात घंटा बूता के 200 रूपिया, फेर मरद मन ला 250 रूपिया रोजी देय जाथे. 21 बछर के सोनाली कहिथे, “येकर ले परिवार के गुजारा भारी मुस्किल ले होय सकथे, खेल के समान बिसोय अऊ ट्रेनिंग सेती पइसा देय ह, त दूरिहा के बात आय.”

2021 के पुर ह काम्बले के आफत ला अऊ बढ़ा दीस अऊ सोनाली ला गहिर ले मानसिक बिपत मं डार दीस. वो ह सुरता करथे, “2021 मं हमर घर सिरिफ 24 घंटा के भीतरी बूड़ गे. हमन कइसने करके पुर के पानी ले बांच गेन. फेर अब जब घलो मंय पानी ला बढ़त देखथों, त मोर देह पिरोय ला लागथे काबर मोला डर हवय के इहाँ फिर ले पुर आ जाही.”

सोनाली के दाई शुभांगी के कहना हवय के जब जुलाई 2022 मं भारी बरसात सुरु होईस, त लोगन मन ला डर रहिस के कृष्णा नदी मं पुर आ जाही. सोनाली ह अपन रोज के ढाई घंटा के ट्रेनिंग ला छोर दीस अऊ परलय ले निपटे के तियारी सुरु कर दीस. वो ह जल्देच भारी तनाव मसूस करे लगिस, जेकर सेती डॉक्टर तीर जाय ला परिस.

डॉ. प्रसाद कहिथें, “जब पानी बढ़े ला सुरु होथे, त कतको लोगन मन ये दुविधा मं फंस जाथें के अपन घर ले बहिर जांय धन नई. हालत के गम नई पाय अऊ फइसला नई करे सके के हालत ह वो मन ला तनाव डहर ले जाथे.”

फेर सोनाली ह पानी कम होवत बने मसूस करे लगथे, “मुनासिब ढंग ले नई सीखे के मतलब आय मंय दूसर के आगू ठहरे नई सकंव, जऊन ह मोला तनाव देथे.”

कोल्हापुर के गांव मन के कतको आशा कार्यकर्ता ये बात के गवाही देथें के पुर ह इहाँ के जवान खिलाड़ी मन मं चिंता लावत हवय. गलवाड़ के एक झिन एक आशा कार्यकर्ता कल्पना कमलाकर कहिथें, “वो मन असहाय अऊ निरास हवंय, अऊ बरसात के बदलत तरीका के संग ये ह अऊ खराब होवत जावत हवय.”

With the financial losses caused by the floods and her farmer father finding it difficult to find work, Saniya (left) often has no choice but to skip a meal or starve altogether. This has affected her fitness and performance as her body can no longer handle rigorous workouts
PHOTO • Sanket Jain
With the financial losses caused by the floods and her farmer father finding it difficult to find work, Saniya (left) often has no choice but to skip a meal or starve altogether. This has affected her fitness and performance as her body can no longer handle rigorous workouts
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पुर सेती होय नुकसान अऊ ओकर किसान ददा ला बूता खोजे मं दिक्कत होय सेती, सानिया (डेरी) करा अक्सर खाय ला छोड़े धन उपास रहे ला छोड़ कऊनो चारा नई रहय. येकर ले ओकर देह के गठन अऊ प्रदर्शन मं असर परे हवय काबर ओकर देह अब कड़ा कसरत नई करे सकय

ऐश्वर्या, सानिया अऊ सोनाली खेती किसानी वाले परिवार ले हवंय, जेकर मं के किस्मत मं धन दुरभाग मं बरसात ले भारी नाता हवय. ये परिवार मं 2022 के धूपकल्ला मं कुसियार के खेती करे रहिन.

भारत के कतको हिस्सा मं ये बछर बरसात ह ढेरिया गे रहिस. ऐश्वर्या कहिथे, हमर फसल ढेरियाय बरसात मं घलो बांचे रहिस, फेर जुलाई मं सुरु होय बेबखत के पानी ह फसल मन ला बरबाद कर दीस, जेकर ले परिवार ह करजा मं बूड़ गे. [ये ला घलो पढ़व: आफत के बरसात ]

1953 अऊ 2020 के मंझा, भारत के 22 करोड़ लोगन मन के उपर असर करिस, ये ह संयुक्त राज्य के अबादी के करीबन 6.5 गुना आय अऊ 437,150 करोड़ रूपिया के नुकसान करिस. बीते 20 बछर (2000-2019) मं, भारत ह हरेक बछर अऊसतन 17 पुर के घटना ला देखिस, जेकर बाद ये ह चीन के बाद दुनिया के सबले जियादा पुर के असर वाला देश बन गे.

10 बछर ले जियादा बखत ले महाराष्ट्र के कतको हिस्सा मं, खासकरके कोल्हापुर जिला मं, बेबखत बरसात तेजी ले बढ़त हवय. ये बछर अक्टूबर मंइच राज के 22 जिला मं 7.5 लाख हेक्टेयर ऊपर प्राकृतिक आपदा के असर परे रहिस. ये इलाका मं फसल, फल अऊ साग-भाजी के खेती सामिल हवंय. राज के कृषि विभाग के मुताबिक 2022 मं, महाराष्ट्र मं 28 अक्टूबर तक ले 1, 288 मिमी पानी गिरे रहिस – अऊसत बरसात के 120.5 फीसदी. अऊ येकर1,068 मिमी जून ले अक्टूबर के मंझा मं गिरे रहिस.

A villager watches rescue operations in Ghalwad village after the July 2021 floods
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जुलाई 2021 के पुर के बाद गलवाड़ गांव मं बचाव अभियान ला देखत एक ग्रामीन

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान, पुणे के जलवायु वैज्ञानिक अऊ आईपीसीसी रिपोर्ट के सहयोग करेइय्या रॉक्सी कोल कहिथें, “बरसात के बखत, हमन बहुते जियादा भारी बरसात के संगे संग बनेच बखत तक ले सुक्खा घलो देखत हवन. येकरे सेती जब बरसात होथे, थोकन समे के भीतरी बनेच अकन नमी सूखा जाथे.” वो ह बताथे “ये ह घेरी-बेरी बदल फटे अऊ अचानक पुर आय के कारन बनथे. फेर हमन उष्णकटिबंधीय इलाका मं हवन, येकरे सेती मऊसम के घटना मन जियादा बढ़ जाहीं. येकरे बर, हमन ला भारी चेत के रहे ला चाही अऊ जल्दी बूता ला करे ला चाही काबर हमर ऊपर सबले पहिली असर परथे.”

फेर ये ह एक ठन बड़े फेरफार आय जऊन ला बताय के जरूरत हवय: सेहत के भरपूर देखभाल के आंकड़ा के कमी जेन ह ये इलाका मं बढ़त बीमारी मन के संग बदलत मऊसम ला जोरथे. येकरे सेती मऊसम के बिपत के असर परे अनगिनत लोगन मन ला सार्वजनिक नीति बनाय बखत नज़रअंदाज़ कर दे जाथे, जबकि ये नीति मन समाज के सबले कमजोर तबका सेती फायदा पहुंचाय ला देखत बनाय जाथे.

सोनाली कहिथे, “मोर सपना खिलाड़ी बने के हवय, फेर जब हमन गरीब होथन, त हमर करा थोरेच पसंद होथे, अऊ जिनगी हमन ला कऊनो एक ला चुने के इजाजत नई देवय.” जइसने-जइसने दुनिया मं मऊसम के संकट बढ़त जाही, बरसात के तरीका बदलत जाही अऊ सानिया, ऐश्वर्या अऊ सोनाली सेती मिले पसंद भारी कठिन होही.

सानिया कहिथे, “मंय पुर के बखत जनम लेय रहंय. मंय कभू नई सोचे नई रहेंय के मोला अपन जम्मो जिनगी पुर मं गुजारे ला परही.”

ये कहिनी, रिपोर्टर ला स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान के तहत इंटरन्यूज के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क डहर ले समर्थित कड़ी के हिस्सा आय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Sanket Jain

মহারাষ্ট্রের কোলাপুর নিবাসী সংকেত জৈন পেশায় সাংবাদিক; ২০১৯ সালে তিনি পারি ফেলোশিপ পান। ২০২২ সালে তিনি পারি’র সিনিয়র ফেলো নির্বাচিত হয়েছেন।

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Editor : Sangeeta Menon

মুম্বই-নিবাসী সংগীতা মেনন একজন লেখক, সম্পাদক ও জনসংযোগ বিষয়ে পরামর্শদাতা।

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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