निर्माण स्थलों पर काम करने वाले डोला राम जैसे ही राजस्थान में अपने गांव पहुंचे, उसके कुछ दिनों बाद ही उनके बेटे की मृत्यु हो गई – क्योंकि लॉकडाउन की इस अवधि में उसका ठीक से इलाज नहीं हो पाया था। अब, अन्य प्रवासी मजदूरों की तरह, वह भी क़र्ज़ और अनिश्चितता से जूझ रहे हैं
दृष्टि अग्रवाल और प्रीमा धुर्वे एक विशेष गैर-लाभकारी संस्था, आजीविका ब्यूरो के साथ काम करती हैं जो कि ग्रामीण, मौसमी प्रवासी श्रमिकों को सेवा, सहायता और सुरक्षा प्रदान करती है।
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Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।