जो-थोड़ा-बहुत-बाक़ी-था-वह-भी-आधार-ने-छीन-लिया

Champawat, Uttarakhand

Jun 13, 2018

‘जो थोड़ा-बहुत बाक़ी था वह भी आधार ने छीन लिया’

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाक़ों में आधार केंद्रों तक जाने में लगने वाला भारी किराया, नामों की वर्तनी की ग़लती, तथा अन्य गड़बड़ियों के कारण चंपावत ज़िले की कई विधवाओं, विकलांगों, और बुज़ुर्गों को महीनों से उनकी पेंशन नहीं मिली है

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Author

Arpita Chakrabarty

अर्पिता चक्रवर्ती, कुमाऊं स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं और साल 2017 की पारी फ़ेलो हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।