शोभा साहनी ला लागत रहिस के ओला मालूम हे के ओकर बेटा के मऊत काकर सेती होईस, फेर 7 महिना बीते, अब वो हा एकर बर पहिली कस अचिंता नइ ये.

फरवरी महिना के ठाढ़ मंझनिया ब्रह्मसारी गाँव के अपन एक कमरा के घर के परछी मं बइठे 30 बछर के शोभा सुरता करत रहिस के कइसने ओकर 6 बरस के बेटा आयुष हा बीमार परिस. "ओला जर धरे रहिस अऊ वो हा अपन पेट पिराय ला बताय रहिस," वो हा कहिथे.

ये ह 2021 जुलाई महिना के आखिरी रहिस जेन बखत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला के ओकर गाँव पानी बरसे के बाद भर गे रहिस.इहाँ बाढ़ आना सामान्य बात आय." ये ह हर बछर होथे," वो हा कहिस. "पानी निकासी के इहाँ कोनो रद्दा नई ये."

जब बरसात होथे त ब्रह्मसारी गाँव हा पानी मं बूड़ जाथे, अऊ गोबर संग, मनखे के हागे-मूते जम्मो हा पानी मं मिलके सना जाथे-खुल्ला मं बहिर-भांठा के सेती-अऊ गाँव भर मं कचरा बिखरे भर जाथे. “ये पानी मं मरे परे कीरा हे,अऊ मच्छर घलो.ये मटीयाय पानी हमर घर के उहाँ तक आके भर जाथे जिहाँ हमन राँधथन.” शोभा कहिथे. “हमर लईका मन जतको रोके के कोसिस कर लो उही पानी मं खेलत रहिथें. बरसात मं इहाँ के रहैय्या मन भारी बीमार परथें.”

पाछू बछर ओकर बेटा के पारी रहिस. "हमन ओला बरहालगंज अऊ सीकरीगंज के दू ठन निजी अस्पताल मं ले जाके इलाज करायेन फेर कोनो फ़ायदा नई होईस."

ओकर बाद, जर धरे के  करीब हप्ता भर के बाद शोभा हा आयुष ला लेके बेलघाट के सरकारी अस्पताल (सीएचसी) गिस जेन हा ओकर घर ले सिरिफ ढाई कोस (7 किलोमीटर) दुरिहा रहिस. उहाँ ले ओला ब्रह्मसारी ले 17 कोस (50 किलोमीटर) दुरिहा गोरखपुर शहर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी मेडिकल कॉलेज) भेज दे गिस.

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गोरखपुर जिला के ब्रह्मसारी गांव मं शोभा साहनी अपन घर के बहिर बोरिंग चलावत

बीआरडी मेडिकल कॉलेज हा एक ठन सरकारी कॉलेज अऊ अस्पताल आय अऊ ये इलाका के एकेच सबले बड़े अस्पताल आय जे मं सब्बो सुविधा हे. ये अस्पताल मं पूर्वी उत्तर प्रदेश, परोसी रइज बिहार अऊ इहाँ तक के नेपाल के मरीज मन घलो आके इलाज कराथें.ये अस्पताल के दावा आय के ये ह 5 करोड़ के आबादी के इलाज करथे. ये अस्पताल ह हमेशा अब्बड़ मरीज मन ले भरे रथे अऊ इहाँ के स्वास्थ्यकर्मी मन ला जियादा बखत मरीज मन के सेवा करे ला परथे.

गोरखपुर के ये अस्पताल मं आय के बाद ले आयुष ला दौरा परे ला लगिस. शोभा बताथे, " डाक्टर मन हमन ला बताईन के वोला दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) हो गे हे." 5 रोज बीते 4 अगस्त 2021 के ओकर मउत हो गे." ओकर संग अइसने नई होना रहिस. ओ ह मोर बहुत अच्छा बेटा रहिस, रोये ला धरे ले पहिली वो हा अइसने कहिस.

गोरखपुर जिला मं 1978 मं जेन बखत जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) के सबले बड़े प्रकोप होय रहिस तेन बखत ले दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) के मरीज मिलत हवंय. 40 बछर ले जियादा समे होगे जब एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के घेरी-बेरी आय ले ये इलाका के हजारों मनखे के परान चले गिस.

दिमाग के सूजे के बीमारी मन बर कहे जाय एक ठन शब्द एईएस ह भारत के एक ठन गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या आय . फेर जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (जेईवी), हा मच्छर ले जनम लेवेय्या वायरस एईएस के माई रहे हे, रोग विज्ञान मं किसिम किसिम के वायरस के संगे संग बैक्टीरिया, कवक और गैर-संक्रामक एजेंट घलो सामिल हवय.

ये बीमारी ह तेज जर ले शुरू होथे, मानसिक हालत मं बदलाव (भरम,भटकाव, बेहोसी मं बोलना धन कोमा) अऊ दौरा परे हा एकर सुरुवात आय. एईएस कोनो बखत कोनो उमर के मनखे ला असर कर सकत हे, ये हा जियादा करके 15 बछर ले कम उमर के लईका मन ला असर करथे अऊ गंभीर रोग, विकलांगता अऊ मउत के कारन बन सकत हे. बरसात अऊ बरसात के बाद के बखत मं ये बीमारी ह जियादा देखे ला आथे.

अऊ जेन इलाका मन मं साफ-सफाई अऊ साफ पानी के कमी हे, वो इलाका ह ये बीमारी के नेवता देय जगा आय.

ब्रह्मसारी ये सब्बो खाना मन मं सही कर देथे

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बाढ़ के मलबा अऊ कीचड़ के सेती ब्रह्मसारी ला इंसेफेलाइटिस संक्रमण के खतरा बढ़ गे हे

ये तय करे बर के आयुष ला एन्सेफलाइटिस होय रहिस, हमन बीआरडी मेडिकल कॉलेज के देय ओकर फऊती प्रमाण पत्र ला देखाय ला कहेन. शोभा ह कहिथे, "वो ह मोर भांटो करा हवय," ओकर नंबर ले लो अऊ वोला व्हाट्सएप मं भेजे ला कहव."

हमन अइसने करेन अऊ कुछेक मिनट मं फोन बाजिस.ओकर दस्तावेज़ मं कहे गे हे के वोला एक्यूट मेनिन्जाइटिस होय रहिस अऊ दिल के दौरा परे ले ओकर मउत हो गे. शोभा ह अकचका के कहिथे, “फेर डाक्टर मन त मोला बताय रहिन के आयुष के दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) के इलाज चलत हे." "वो मन मोला एक बात बता के फऊती प्रमाण पत्र मं दूसर बात कइसे लिख सकत हें?"

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बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज अगस्त 2017 मं तेन बखत अख़बार मं चर्चा मं अइस, जब ये अस्पताल मं पाइप लाईन मं ऑक्सीजन खतम (10 अगस्त के) होय के दु दिन के भीतर 30 लईका मन के मउत होगे. तेन बखत राज सरकार ह ये बात ले इनकार करे रहिस के ऑक्सीजन के कमी ले ये घटना होय रहिस. एकर बजाय वो हा दिमागी बुखार (इन्सेफेलाइटिस) के संग प्राकृतिक रूप ले होवैय्या मउत ला जिम्मेदार ठहरावत कहिस के 7 ले 9 अगस्त के बीच मं अतकेच लईका मन के मौत होय रहिस.

अस्पताल के उच्च मृत्यु संख्या मं कोनो फेरफार नई रहिस

2012 ले अगस्त 2017 तक ले बीआरडी मेडिकल कॉलेज मं 3,000 ले ज्यादा लईका मन के मउत हो चुके रहिस.ये त्रासदी के पहिले 30 बछर मं ये मन ऊ 50 हजार लईका मन मं सामिल हवंय जेन मन के मउत उहाँ होय रहिस-ये मन मं जियादा करके जेई या एईएस के सेती. 2017 मं होय मउत ह अइसने मुद्दा ला फेर जनम दे दिस जेन हा गोरखपुर ला परेसान करत रहिस, अऊ मरीज मन ले भरे ये अस्पताल जेन हा इलाका के जम्मो एईएस बीमार के इलाज करत रहय.

इहाँ ये बात ला धियान रखे के हे कि ये दुखद घटना उहाँ होईस जेन हा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के जिला आय. जिहां सीएम बने के पहिली वो ह 1998 ले 5 बखत गोरखपुर संसदीय इलाका के प्रतिनिधित्व करे रहिस.

ये रईज के स्वास्थ्य अफसर मन के मुताबिक, मुख्यमंत्री ह 2017 मं होय घटना के बाद ले दिमागी बुखार ला काबू करे बर खुद होके धियान ले हवय. गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आशुतोष दुबे कहिथे, “हम मन संवेदनशील इलाका मं मच्छर नइ पनपे तेकर बर दवाई (कीटनाशक) छिडके हवन. अप्रैल महिना मं (जेई ला काबू करे बर) टीकाकरण अभियान सुरु कर दे हन. एकर पहिली ये हा जून धन जुलाई मं करे जावत रहिस, जेन हा बनेच देरी ले होवत रहिस काबर के ये बखत मं जोर ले बरसात होवत रथे. ”

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गोरखपुर जिला मं उच्च संक्रमण संख्या बर मल , गोबर अऊ कचरा ले होय गंदा होय पानी आय

बीते कुछेक बछर पहिली सीएम योगी आदित्यनाथ के हवाला देवत कहे गे हे के सरकार हा रइज मं एइएस ला काबू कर ले हे. राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम निदेशालय के आंकड़ा ह ये दावा के समर्थन करथे.

उत्तर प्रदेश मं एईएस और जेई मामला मन के संख्या सरलग गिरे ला धरे हे. उत्तर प्रदेश मं 2017 मं 4,742 एईएस मामला दरज करे गे रहिस जे मं 693 मामला जेई के रहिस. जेई ले होय मउत के संख्या 654 ले 693 के मंझा मं रहिस.

2020 मं रइज मं एईएस के 1,646 मामला अऊ 83 मउत दरज करे गे रहिस. 2021 मं सुधार आइस,जे मं 1,657 मामला मं ले 58 मउत दरज करे गे, अऊ जेई ले सिरिफ 4 मउत होइस.

2017 ले 2021 तक ले एईएस अऊ जेई से होय मउत मं कमी 91 अऊ 95 फीसदी हवय.

हाल ही मं होय विधानसभा चुनाव मं अपन जीत के महिना भर गुजरे के पहिली आदित्यनाथ ह 2 अप्रैल, 2022 मं कहे रहिस हे, के ओकर राज सरकार ह "इन्सेफेलाइटिस उन्मूलन" मं सफल रहे हे.

फेर, आयुष के मामला सहीं, फऊती प्रमाण पत्र मन मं दरज अऊ के कारन मं फेरफार, संख्या के गलत सूचना देय के आरो देवत हे.

ब्रह्मसारी जेन हा बेलघाट ब्लॉक मं आथे तिहां के सीएचसी के प्रभारी अधिकारी डॉ सुरेंद्र कुमार कहिथे दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) ले आयुष के मउत नई हो सकय. "मंय ओकर मामला ला जानत हवंव जेकर बारे मं आप मन चरचा करथो," वो हा कहिथे." ये हा एईएस मउत नई रहिस. अगर मोर इलाका ले अइसने कोनो मरीज भर्ती होतिस त मोला मेडिकल कालेज खबर करतिस.”

फरवरी मं जब पारी हा बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ले मिलिस त वो ह बेलघाट सीएचसी प्रभारी के बात के खंडन करिस.वो हा कहिथे, "तकनीकी रूप ले मेनिन्जाइटिस घलो एईएस मं आथे.रोगी के भर्ती होय मं वो ला एईएस नंबर देय जाथे।"

जब हमन ओ ला आयुष के फऊती प्रमाण पत्र देखायेन, जे मं कहे गे रहिस के ओला मेनिन्जाइटिस रहिस.“ ये मं कोनो एईएस नम्बर नई ये. एक होना रहिस,” गणेश कुमार अपन मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जारी दस्तावेज ला देख भरमात कथे.

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हमर लईका मन जतको रोके के कोसिस कर लो उही पानी मं खेलत रहिथें

डॉ कफील खान कहिथे, एईएस रोगी के पहचान कोनो मुस्किल नहीं ये. वो हा समझावत कहिथे, “एईएस ह एक अस्थायी निदान आय. अगर मरीज ला 15 दिन ले कम जर धरे हे अऊ कोनो बदलाव (जइसे दौरा) दिखते, त वोला एईएस नंबर दे जाय सकता हे. कोनो जाँच करना नई ये. अइसने तरीका ले हमन अगस्त 2017 के घटना बखत तक ले करे हन.”

जेन 10 अगस्त 2017 के दिन 23 झिन लइका मन के मउत होइस तेन दिन खान ह बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ड्यूटी मं रहिस. ये घटना के बाद ओकर उपर अपन काम मं लापरवाही के आरोप लगिस अऊ वोला यूपी सरकार ह निलम्बित कर दिस. एकर बाद दीगर आरोप मन के संग इलाज मं लापरवाही बर गिरफ्तार कर ले गिस अऊ अप्रैल 2018 मं जमानत मं छुटे तक ले वो हा 7 महिना जेल मं रहिस.

ओकर मानना आय के ये घटना होय के बाद ओला बलि के बकरा बन दे गिस. "मोला मोर नऊकरी ले बेदखल करे जात हे काबर के अस्पताल ह आंकड़ा मं हेरफेर करत हवय, वो हा कहिथे. "यूपी सरकार हा नवंबर 2021 ले बीआरडी में बाल रोग व्याख्याता के रूप मं ओकर सेवा ला खतम कर दिस. वो हा इलाहाबाद के हाईकोर्ट मं येला चुनोती दे हे.

खान ह कहिथे, अपन हिसाब ले संख्या दिखाय बर एईएस मामला मन ला तेज बुखार बीमारी (एएफआई) के रूप मं सूचीबद्ध करे जात हे. फेर एएफआई हा दिमाग ले जुरे नई ये, ये हा सिरिफ तेज जर आय.”

जिला के सीएमओ आशुतोष दुबे कोनो तरह के गलत जानकारी देय ले इनकार करिस. वो हा कहिस, "कुछेक एएफआई मामला मन एईएस मामला हो सकत हे. एकरे सेती मामला के जाँच करे जाथे अऊ ओकर मुताबिक समूह बनाय जाथे.फेर सब्बो एएफआई मामला एईएस मामला नो हे."

एक्यूट फिब्राइल बीमारी ह इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम में बदल सकत हे , अऊ दूनो बीमारी के रोगविज्ञान मं कुछु समानता हो सकत हे, जेन मं स्क्रब टाइफस नांव के एक ठन जीवाणु के संक्रमण सामिल हवे. ये संक्रमण ला हाल ही मं गोरखपुर इलाका मं एईएस प्रकोप के एक ठन प्रमुख कारण के रूप मं पहिचाने गे हे - 2015 अऊ 2016 के अध्ययन मं एईएस के 60 फीसदी ले जियादा मामला मन बर स्क्रब टाइफस के जिम्मेदार होय के आंकलन करे गे हवय.

ये ह हाल ही मं 2019 में रहिस जेन मं बीआरडी मेडिकल कॉलेज हा एक अलग श्रेणी के बीमारी के रुप मं एक्यूट फिब्राइल इलनेस के खोजबीन शुरू करिस. फेर न तो दुबे अऊ न तो गणेश कुमार एकर संख्या बावत जानकारी देवत रहिन.

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शोभा ला बताय गे रहिस के ओकर बेटा आयुष के इंसेफेलाइटिस के इलाज चलत हवय, फेर ओकर फऊती प्रमाण पत्र मं दिगर बीमारी मन के जिकर करे गे हे

एईएस ह तेज जर ले शुरू होथे, दिमागी हालत मं बदलाव अऊ दौरा परे हा एकर सुरुवात आय. एईएस कोनो बखत कोनो उमर के मनखे ला असर कर सकत हे, ये हा जियादा करके 15 बछर ले कम उमर के लईका मन ला असर करथे

फेर पारी ऊ बछर मेडिकल कॉलेज में इलाज करे गे मन के सूचि ला हासिल कर ले रहिस. एईएस अऊ जेई जइसने बरसात के महिना मं एकर संख्या हा सबले जियादा रहिस. (डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया अइसन संक्रमन आय जेन हा वो ला एएफआई कोती ले जाथे) 2019 मं बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कुल जमा 1,711 एएफआई मामला मन मं 240 अगस्त महिना मं, 683 सितंबर मं अऊ 476 अक्टूबर मं दरज करे गे रहिस. फेर बछर के पहिली 6 महिना मं कोनो मामला दरज नई करे गे रहिस.

ये आंकड़ा मन के कुछु हिस्सा ला सबले पहली 2019 के आखिरी मं पत्रकार मनोज सिंह ह अपन वेबसाइट गोरखपुर न्यूज़लाइन मं परकासित करे रहिस. वो हा लंबा बखत ले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस मामला मन के खबर राखत हे, ते ह कहिथे, “अगर अस्पताल हा कुछु ला छिपे नई ये त फेर वो मन वो आंकड़ा ला काबर जारी नई करत हवंय जिसने पहिली करत रहिन?” वो ह 2019 के जेई मामला ला देखाईस जेन ला एएफआई मरीज के संग सूचि मं रखे गे 1,711 मरीज मं  288 रहिस.

फेर ऊ बछर जम्मो यूपी मं जेई के 235 मामला दरज करे गे रहिस.

सिंह ह कथे, “हो सकत हे (बीआरडी के) 288 मन मं कुछेक यूपी के रहैय्या नई होहिं, काबर के ये मेडिकल कॉलेज मं पश्चिमी बिहार अऊ नेपाल के मरीज मन घलो आथें, “फेर जियादा करके रइज (यूपी) के आय एकर सेती ये आंकड़ा ले शक पइदा होथे.”

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गणेश कुमार कहिथे, "बिहार अऊ नेपाल के सही-सही संख्या बताना मुसकिल आय फेर जियादा करके वो मन 10 फीसदी ले जियादा नई रहंय.”

एकर ले एईएस मामला मन के गलत जानकारी अऊ कम गिनती के चिंता ह बढ़ जाथे.

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शोभा अपन सबले छोटे बेटा कुणाल के संग. वो ह डेरावत हे के बरसात मं ओकर लइका मन ला दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) के खतरा हो सकत हे

एईएस मामला ला एएफआई माने के नतीजा दुरिहा तक ले परही. कफील खान कहिथे," एईएस अऊ एएफआई के इलाज मं सेबल बड़े अंतर मैनिटोल नांव के दवाई आय जेन हा दिमाग के सुजन ला रोकथे, जेन बखत ये दवाई के उपयोग करे जाथे, तेन बखत ये मामला ला एईएस के रूप मं बाँट के रखे जाय. एईएस मरीज ला एएफआई मामला के रूप मं इलाज करे के मतलब मैनिटोल के उपयोग नई करे जाय सके. अऊ फेर एकर उपयोग नई करे गिस, त लइका (एईएस के संग) जिन्दा रहत घलो अपन बाकी जिनगी बर असकत हो जाही ”

एन्सेफलाइटिस मरीज के परिवार ह बगैर एईएस नंबर के सरकारी मुआवजा ले बर आवेदन नई कर सकय. ये बीमारी ले फऊत मरीज के परिवार वाले मन रइज सरकार ले 50 हजार रूपया पाय के हकदार आंय. अऊ जेन हा बांच गे तेन ला एक लाख रुपिया, एन्सेफलाइटिस मरीज ला लंबा बखत ले कतको किसिम के ले लरत इलाज के जरूरत रथे.

एईएस ह जियादा करके गरीब अऊ कमजोर तबका उपर हमला करथे, जेन मन ला मुआवजा के सबले जियादा जरूरत रथे.

ये मन मं शोभा घलो सामिल हवय.

आयुष ला बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले ले पहिली वो हा दूनो निजी अस्पताल मं होय इलाज मं 1 लाख रुपिया खर्च करे रहिस. यूपी मं अन्य पिछड़ा वर्ग मं सामिल निषाद समाज के शोभा बताथे, "हमन अपन रिश्तेदार मन करा ले उधार मं लेय रहेन." ओकर घरवाला रवि के अपन गाँव ले 25 कोस दुरिहा आजमगढ़ जिला के मुबारकपुर क़स्बा मं कपड़ा के एक छोट अकन दुकान हे. एकर ले वो हा महिना के 4 हजार रुपिया कमा लेथे.

फेर आयुष ला एईएस नंबर दे गे रतिस त शोभा ह कम से कम अपन भांटो ला चुकता करे सके रतिस. “मोर भांटो ह अपन पढ़े बर 50,000 रुपिया बचाय रहिस. हमन ला ओला घलो खर्चा करे ला परिस.”

ये परिवार करा एक एकड़ ले घलो कमती जमीन हवय जे मं ओमन अपन के खाय बर गहूँ कमाथें. ब्रह्मसारी मं अपन घर के बहिर मं बोरिंग मारत शोभा ह बताथे, "हमन बछर भर मं एके फसल कमाय सकथन काबर के बरसात मं हमर जमीन मं पानी भर जाथे."

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करमबीर बेलदार बेलघाट ग्राम पंचायत में अपन घर के बहिर मं. ओकर 5 बछर के भतीजी रिया पाछू बछर इंसेफेलाइटिस जइसे लक्षण ले मर गिस. 'फऊती प्रमाण पत्र मं इंसेफेलाइटिस के बारे मं कुछू नइ लिखे जा सकय फेर बछर के बछर लइका मन मरत हवयं'

गाँव ले लगालगी 2 कोस दुरिहा बेलघाट ग्राम पंचइत के 26 बछर के करमबीर बेलदार ला सुरता हवय के वो हा अपन भतीजी के इलाज बर बीआरडी कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर मन ले पूछत रहय फेर कोनो जवाब नई दिस-ओकर मरे के बाद घलो.

अगस्त 2021 मं ओकर 5 बछर के भतीजी रिया ला जर धरे रहिस अऊ वोला दऊरा परे ला लगिस. वो हा बताथे, "लच्छन एईएस के जइसने रहिस, ये बखत ह बरसात के रहिस अऊ हमर घर के आसपास गंदा पानी भर गे रहिस, हम मन ओला तुरते सीएचसी ले गे रहेन, जिहाँ ले बीआरडी भेज दे गे रहिस."

रिया ला अस्पताल के बदनाम बच्चा वार्ड मं भरती कराय गे रहिस. बेलदार कहिथे," हम मन डाक्टर मन ले पुछेव रहें के वोला का होईस हे, हमला कभूच बताय नई गिस. जब हम मन सवाल करन त हम मन ला ओ मन वार्ड ले बहिर कर देंव. अस्पताल के एक झिन कर्मचारी मोला कथे, का तंय ओकर इलाज करबे.”

अस्पताल मं भर्ती होय के एक दिन बाद रिया ह मर गे. ओकर फऊत प्रमाण पत्र मं मउत के कारन मं 'सेप्टिक शॉक क्रश फेल्वर' के हवाला दे गे हे। बेलदार कहिथे, "मंय ये नइ जानंव के एकर मतलब का होथे. ये ला कऊन सेती छुपाय जावत हे? फऊत प्रमाण पत्र मं भले इंसेफेलाइटिस के कुछु जिकर करे नई गे हे, फेर हर बछर लइका मन मरत हवंय.

शोभा येहीच ले डेरावत हवय.

आयुष त चले गे, फेर अपन नानचिक दु ठन बेटा 5 बछर के राजवीर अऊ 3 बछर के कुणाल के संशो लगे हे. बनेच अकन काहीं कुछु अब तक ले बदले नई ये. ए बछर के बरसात मं घलो ओकर गाँव पानी मं बुड़ाय सकत हे-पानी गंदा हो जाही,अऊ ओला बोरिंग ले निकले गंदा पानी बहुरे ला परही. आयुष के जिनगी लेवेइय्या हालात ओकर नान-नान भाई-बहिनी मन बर खतरा बने हवय अऊ शोभा एकर नतीजा ला कोनो दूसर ले जियादा जानथे.

पार्थ एम.एन. ह ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ले एक स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान ले के सार्वजनिक स्वास्थ्य अऊ नागरिक स्वतंत्रता के रपट लिखे हवय. ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ह ये रिपोर्ताज मं कोनो किसिम के काटछांट नइ करे हे.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Reporter : Parth M.N.

২০১৭ সালের পারি ফেলো পার্থ এম. এন. বর্তমানে স্বতন্ত্র সাংবাদিক হিসেবে ভারতের বিভিন্ন অনলাইন সংবাদ পোর্টালের জন্য প্রতিবেদন লেখেন। ক্রিকেট এবং ভ্রমণ - এই দুটো তাঁর খুব পছন্দের বিষয়।

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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