खुद-को-फांसी-लगाने-का-कोई-मतलब-नहीं-है

Nashik, Maharashtra

Mar 12, 2019

‘खुद को फांसी लगाने का कोई मतलब नहीं है...’

महाराष्ट्र के अपेक्षाकृत संपन्न किसान, जो अच्छी सब्ज़ियां और फूल उगाने के लिए छायादार जालियों या पॉली-हाउस का इस्तेमाल करते हैं, वे भी कई बार संकट में फंस जाते हैं, और समाज में बदनामी के डर से उसके बारे में बताते नहीं हैं

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Author

Jaideep Hardikar

जयदीप हार्दिकर, नागपुर स्थित पत्रकार-लेखक हैं और पारी की कोर टीम के सदस्य भी हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।