भाग्य बताने वाले, संपेरे, पारंपरिक जड़ी-बूटियां बेचने वाले, और तनी हुई रस्सी पर चलने का करतब दिखाने वाले ये लोग उन सैंकड़ों विशेष समुदायों में शामिल हैं, जो जनगणना में हुई चूक के कारण आज भी ग़लत सूची में सूचीबद्ध हैं. इस अन्याय के कारण उन्होंने न केवल अपनी विशिष्ट पहचान खो दी है, बल्कि सरकार द्वारा वंचित समूहों को दिए जाने वाले विशेष अधिकारों और सुविधाओं तक पहुंच से भी वे वंचित हैं
प्रगति के.बी. एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. वह इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से सामाजिक नृविज्ञान में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं.
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Editor
Priti David
प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.
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Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.