नामदेव तराले आपन खेत में धीरे से घुसत बाड़न. एह 48 बरिस के किसान का देखत बाड़ें- उनकर हरियर बूंट (बूंट) के पउधा कवनो जंगली जनावर खा गइल बा आउर खेत रउंद के छोड़ देहले बा. फरवरी के जाड़ा के दिन बा, बाकिर भोर बहुते सुहावन बा. आसमान में सूरज देवता तनी मद्धम उगल बाड़ें.
ऊ कहले, “हा एक प्रकारचा दुष्कालच आहे (ई एगो नया तरह के सूखा बा).”
एह बात से तराले के डर आउर निरासा समझल जा सकेला. एगो अइसन किसान, जेकरा लगे पांच एकड़ के जमीन बा, ओकरा आपन तुअर आउर मूंग के तइयार फसल खराब होखे के डर सतावत बा. फसल तीन महीना के कड़ा मिहनत के बाद अब काटे लायक हो गइल बा. आपन 25 से जादे बरिस के खेती में ऊ तरह-तरह के सूखा देख लें- मीटिरियोलॉजिकल, जब पानी बहुत जादे, चाहे बहुत कम पड़ेला; हाइड्रॉलॉजिकल, जब भूजल स्तर खतरनाक स्तर से जादे हो जाएला; चाहे खेती-किसानी से जड़ल, जब माटी में नमी कम होखे से फसल बरबाद हो जाएला.
तराले उत्तेजित होके कहे लगलें कि जइसहीं रउआ ई सोच के खुस होखे लागम कि अबकी फसल खूब नीमन भइल ह, चार गोड़ वाला आफत आ जाई. ई आफत पहिले त खेत के ऊपर मंडराई, फेरु धीरे-धीरे करके फसल के एक एक बूंद चौपट कर दीही.
ऊ खतरा के नाम गिनावे लगलें, “दिन में पानी वाला मुरगी, बंदर, खरगोश; रात में हरिन, नीलगाय, सांभर, सूअर...”
नामदेव हारल आवाज में कहलें, “ आम्हाले पेरता येते साहेब, पण वाचवता येत नाही (बीज बोए त जानिला, आपन फसल कइसे बचावल जाव ना जानीं.) ” ऊ जादे करके कपास, चाहे सोयाबीन जइसन नकदी फसल के अलावा हरियर बूंट, मकई, ज्वार आउर अरहर के खेती करेलें.
महाराष्ट्र के वन-प्रचुर आउर खनिज के धनी चंद्रपुर के धामणी गांव में अकेले तराले परेसान नइखन. एहि तरह के हताशा आउर डर महाराष्ट्र के दोसर इलाका में ताडोबा अंधारी व्याघ्र रिजर्व आउर आस-पास के बहुते गांव के जकड़ले बा.
चपराला गांव (साल 2011 के जनगणना के हिसाब से चिपराला) में तराले के खेत से 25 किमी दूर रहे वाला 40 बरस के गोपाल बोंडे भी ओतने बेचैन बाड़ें. फरवरी 2022 के मध्य में उनकर 10 एकड़ खेत में बरबाद भइल फसल केहू भी देख सकत बा. आधा खेत में हरियर बूंट के पउधा लहलहात रहे. अब सभे धूल चाट रहल बा. अइसन लागत बा केहू बदला लेवे खातिर एकरा रउंद देले होखे. सभ फसल जड़ से उखाड़ के फेंकल बा, फलियन सभ चबावल बा, पूरा खेत उजड़ गइल बा.
बोंडे कहतारे, “रात में बिछौना पर जाइले, त चिंता होखेला कि अगला दिन भोर में हम आपन फसल देख भी पाएम कि ना.” हमनी जब पहिल बेर मिलल रहनी, ओकरा कुछ साल भर के बाद भइल बतकही के ई हिस्सा बा. एह से ऊ जाड़ा आउर बरसात में रात में कमो ना त दू बेर बाइक से आपन खेत के चक्कर लगा आवेलें. बहुते बहुते दिन ले नींद ना पूरा होखे आउर सरदी में घूमे चलते अक्सरहा बेमार पड़ जाएलन. ई सभ सिलसिला गरमी में रुकल रहेला. ओह घरिया खेत में कवनो फसल ना बोअल रहे. बाकिर बाकी समय में उनकरा सभे रात एगो चक्कर जरूर लगावे के पड़ेला. खास करके जब फसल पूरा तरह से तइयार हो जाएला. आउर काटे के बेरा होखेला तब भोर में आपन घर के सामने वाला जमीन में जाड़ा में एगो कुरसी पर बइठल रहेलें.
जंगली जनावर सभ पूरा साल खेत चरे आवेला. इहे चर के ऊ लोग आपन पेट भरेला.: जाड़ा में जब खेत हरियर रहेला तब, आउर बरसात में जब फसल में नया नया कोंपल आइल रहेला तब. गरमी में जनावर सभे खेत के चप्पा चप्पा छान मारेला, पानी भरल खेत के भी ना छोड़े.
एहि से, बोंडे के छुपल जंगली जनावर पर जादे धियान देवे के पड़ेला. काहे कि, “रतिया में जनावर सभ सबले जाते उत्पात मचावेलें. रोज करीब कुछ हजार रुपइया’ के नुकसान होखेला.” जंगली बिल्ली (शेर, बाघ, चीता आदि) सभ घात लगा के बइठल रहेला. ओह लोग से मवेशी सभ के भी खतरा रहेला. पछिला दस बरिस में बाघ-तेंदुआ के हमला में उनकर कमो ना त दु दरजन गाय के जान जा चुकल बा. उनकरा हिसाब से हर बरिस बाघन के हमला में उनकर गांव के औसतन 20 मवेशी मारल जाला. एहू से बदतर हालत ई बा कि जंगली जनावर सभ के हमला में गांव के केतना लोग घायल हो जाला, केतना बेरा मारल भी जाएला.
टीएटीआर ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान, महाराष्ट्र के पुरान आउर बड़ राष्ट्रीय उद्यान आउर वन्यजीव अभ्यारण्य में से बा. टीएटीआर, टीएटीआर आउर एकरा से लगले अंधारी वन्यजीवन अभ्यारण्य के मिले से बनल बा. ई चंद्रपुर जिला के तीन गो तहसीलन के 1,727 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फइलल बा. पूरा इलाका आदमी आउर जनावर के बीच संघर्ष के रूप में पहचानल जाला. मध्य भारत के पहाड़ी इलाका के हिस्सा होखे के कारण मानल जाला कि टीएटीआर बाघ के आबादी बढ़ावे खातिर एगो नीमन जगह बा. इहंवा गिनती के आधार पर 1,161 बाघन के फोटो लेवल जा चुकल बा. एनटीसीए के 2022 के रिपोर्ट के हिसाब से, 2018 में इनकर गिनती 1,033 रहे.
महाराष्ट्र के सीमाई इलाका में रहे वाला, 315 से भी जादे बाघन में से 82 बाघ अकेले ताडोबा में रहेला. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) आपन 2018 के रिपोर्ट में ई गिनती जारी कइलक ह.
विदर्भ तक फइलल एह हिस्सा के करीब दसियों गांव में तराले आउर बोंडे जइसन किसान आपन रोजी-रोटी खातिर खेती के असरे बाड़न. ऊ लोग जंगली जनावर से निपटे खातिर विचित्र विचित्र तरीका अजमावेला. जइसे कि, केहू आपन खेत के तार से घेर के ओह में करंट डाल देवेला, चाहे खेत के नायलोन के सस्ता आउर रंग-बिरंग लुगा सभ से घेर देवेला. केहू जनावर के डरावे, भगावे खातिर पटाखा फोड़ेला, केहू कुकुर के झुंड पाल के रखेला, चाहे केहू जनावर के डेरावे वाला आवाज निकाले वाला नयका चीनी डिवाइस सभ इस्तेमाल करेला.
बाकिर एतना जतन कइला के कवनो फायदा ना भइल.
बोंडे के चपराला आ तराले के धामणी- दुनु गांव टीएटीआर के बफर इलाका (बीच में पड़े वाला हिस्सा) में पड़ेला. ई शुष्क पतझड़ वन से घिरल बा. एकरा भारत के एगो जरूरी आउर सुरक्षित बाघ वन आ पर्यटन स्थल मानल जाला. सुरक्षित वन क्षेत्र से सटल होखे चलते इहंवा रहे वाला लोग आउर किसान के आए दिन जंगली जनावर के हमला के सामना करे पड़ेला. बफर इलाका में लोग के घरबार बा. एहि से जंगल के भीतरी हिस्सा में लोग के गइल-आइल मना बा. राज्य सरकार के वन विभाग एह खातिर कड़ा निगरानी रखेला.
पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ इलाका में चंद्रपुर सहित 11 गो जिला के स्थिति गंभीर बा. विदर्भ में आजो पुरान जंगल बचल बा. बाघ आउर दोसर जंगली जनावर सभ एह जंगल के अभिन्न हिस्सा बाड़ें. ई इलाका किसान के करजा आउर गांव के लोग के आत्महत्या के जादे मामला खातिर भी पहचानल जाला.
अकेले 2022 में चंद्रपुर में बाघ आउर तेंदुअन के हमला में 53 लोग मारल गइल. महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार एह बारे में एगो बयान देले रहस. पछिला दू दशक में राज्य भर में वन्य पशुअन के हमला में कमो ना, त 2,000 लोग मारल गइल बा. एह में से जादे लोग टीएटीआर इलाका से रहे. हमला करे वाला में बाघ, करियर भालू, वनैला सूअर जइसन खूंखार जनावर रहे. एह बच अइसनो भइल कि कम से कम 15 से 20 ‘खतरनाक बाघ’ के बेअसर करे के जरूरत पड़ गइल. एह बाघन में हमला करे के प्रवृति पाइल गइल रहे. एह से साबित होखता कि चंद्रपुर इंसान आउर बाघ के बीच तनाव के एगो मुख्य केंद्र बा. जनावरन के हमला में घायल भइल लोग के गिनती के बारे में कवनो आधिकारिक सबूत ना मिलल हवे.
जंगली जनावर से खाली मरदे ना, मेहरारू लोग के भी खतरा रहेला.
नागपुर के बेल्लारपार गांव के एगो आदिवासी किसान अर्बूंटबाई गायकवाड़ बतइली, “खेत में काम करे घरिया हमार जी बहुते घबराला.” उनकर उमिर इहे कोई 50 बरिस होई. एक बेर ऊ बाघ के आपन खेत में घूमत देख लेले रहस. ऊ कहली, “जादे करके खेत में जब बाघ या तेंदुआ के होखे के अंदेशा होला, त हमनी उहंवा से निकल जाइले.”
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“हमनी आपन खेत में जदि प्लास्टिक उगावे लगीं, त ई लोग (जंगली जनावर) ओकरो ना छोड़ी.”
गोंदिया, बुलढाणा, भंडारा, नागपुर, वर्धा, वाशिम आ यवतमाल में किसान लोग संगे तनिका देर खातिर होखे वाला अइसन गपशप खूब जोश भरे वाला रहल. विदर्भ के यात्रा करे वाला एह रिपोर्टर के ऊ लोग बतइलक कि आजकल जंगली जनावर सभ हरियर कपास के गेंदा के भोज उड़ावत बाड़ें.
नागपुर के बेल्लारपार गांव के 50 बरिस के किसान प्रकाश गायकवाड़ कहलें, “खेत में जब कटाई के बखत आवेला, हमनी के फसल खातिर रात भर जाग के पहरा देवे के पड़ेला. हमनी आपन जान के परवाह भी ना करिले.” ऊ माना समुदाय से हवें. उनकर गांव टीएटीआर के सीमाई इलाका में पड़ेला.
दत्तूजी ताजणे के कहनाम बा, “बेमारो पड़ला पर हमनी के खेत पर रुके के पड़ेला. ना त कटाई खातिर कुछो ना बची. एगो बखत रहे जब हमनी बिना कवनो डर के खेत में ही सुत जात रहनी. बाकिर अब अइसन नइखे. अब त कबो जंगली जनावर सभ के हमला के डर रहेला.” 77 बरिस के दत्तूजी गोपाल बोंडे के गांव चपराला में रहेलें.
पछिला दशक में तराले आउर बोंडे में नहर, कुइंया आउर बोरवेल के मदद से सिंचाई के सुविधा बढ़ल ह. एह सुविधा से कपास आउर सोयाबीन के पारंपरिक खेती के अलावा साल में तीन गो अलग अलग तरह के फसल उगावे में मदद मिलल हवे.
एकरा से आफत भी बहुत भइल बा. हरियर हरियर लहलहात खेत के मतलब हरिन, नीलगाय आउर सांबर खातिर भरपूर चारा आउर भोजन. आउर अइसन शाकाहारी जनावर के जादे आवे के मतलब घात लगइले शिकारी जंगली जनावर के खेत आउर आबादी पर हमला.
तराले के इयाद आवत बा, “बंदर आउर जंगली सूअर एक दिन हमरा बहुते तंग कइलक अइसन लागत रहे कि हमरा चिढ़ावत बा, हमार परीक्षा लेवे के ठनले बा.”
सितंबर 2022 के एगो खूब मेघ वाला दिन में बोंडे हमनी के लेके आपन खेत में घुमावे ले गइलन. उहंवा सोयाबीन, कपास आउर बहुते तरह के दोसर फसल लागल रहे. खेत उनकरा घर से कोई 2 से 3 किमी दूर रहे. इहंवा पैदल आवे में 15 मिनट लागल. उनकर खेत आउर घना शांत जंगल के बीच एगो छोट नदी बहेला.
खेत के बीच टहलत हमनी गील करियर माटी पर खरहा, जंगली सूअर आउर हरिन जइसन जनावर के गोड़ के निशान देखनी. जनावर सभ खेत में बइठ के फसल खइले रहे, सोयाबीन के पउधा उखाड़ देले रहे आउर हरियर पतई सभ के कुचल देले रहे.
बोंडे ठंडा सांस भरलें, “आता का करता, सांगा? (रउए बताई, हमनी का करीं?)”
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बाघ सरंक्षण के लिहाज से ताडोबा के बिसेस महत्व बा. ई केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अहम हिस्सा बा. एकरा बादो इहंवा सिंचाई खातिर नहर आउर नयका खदान अंधाधुंध तरीका से बन रहल बा. बिकास के अइसन काम के कीमत सरंक्षित जंगल के आपन इलाका गंवा के चुकावे के पड़त बा. बड़ संख्या में लोग विस्थापित हो रहल बा. एह सभ कारण से इहंवा के वन पारिस्थितिकी पर बुरा असर पड़ल हवे.
नया नया खदान बने से इलाका के बहुते अतिक्रमण हो रहल बा, जे पहिले बाघ के अधीन होऱत रे. चंद्रपुर के 30 गो सक्रिय प्राइवेट आउर सरकारी खदान में से अकेले पछिला दू दशक में दु दरजन खदान बनावल गइल ह. ई खदान इहंवा के दक्षिणी आउर पश्चिमी इलाका में बा.
पर्यावरण खातिर काम करे वाला बंडू धोत्रे के कहनाम बा, “आजकल बाघ के कोयला खदान सभ ओर आउर चंद्रपुर ताप ऊर्जा घर (सीएसटीपीएस) के अहाता में देखल गइल बा. ई आदमी आउर जनावर के बीच टकराव के नया इलाका बन गइल बा.” बाघ के अनुमान लगावे वाला एनटीसीए 2022 के एगो रिपोर्ट में बतावल गइल बा, मध्य भारत के पहाड़ी इलाका में अंधाधुंध उत्खनन होखे से पर्यावरण के गंभीर नुकसान हो रहल बा.
यवतमाल, नागपुर आउर भंडारा में आपन लगे के वन प्रमंडल सहित अब टीएटीआर मध्य भारत के वन-प्रदेश के एगो बड़ हिस्सा बन गइल बा. साल 2018 के एनटीसीए के एगो रिपोर्ट कहेला, “एह इलाका में इंसान आउर बाघ के बीच लड़ाई घातक रूप ले लेले बा.”
जंगली जनावर से जुड़ल जैव वैज्ञानिक आउर पुणे के भारतीय विज्ञान शिक्षा आउर अनुसंधान संंस्थान (आईआईएईआर) खातिर काम कर चुकल प्रोफेसर डॉ. मिलिंद वाटवे कहलें, “एह समस्या चलते देस भर के सामने आर्थिक नतीजा सामने आवे वाला बा. एकर खराब असर ना सिरिफ किसान, बलुक सरकार के पर्यावरण नीति पर भी पड़ी.”
आरक्षित वन-क्षेत्र आउर वन्य जीव के सुरक्षा खातिर अइसे त पहिले से कानून बा. बाकिर फसल आउर मवेशी के नुकसान होखे से किसान लोग के भी बहुते परेसानी हो रहल बा. वाटवे खोल के समझावत बाड़ें कि जनावर सभ के उत्पाद से फसल के जे नुकसान हो रहल बा, ओकरा से किसान लोग निराश देखाई देत बा. आउर एह निरासा के उल्टा असर संरक्षण खातिर उठाइल गइल कदम पर भी पड़ी. कानून, नुकसान पहुंचावे वाला जनावर के मारे, चाहे काबू में करे से रोकेत बा. एह मामला में कानून केतना कड़ा बा एकर अंदाजा एह बात से लगावल जा सकेला कि ओह जनावर सभ के मारे के इजाजत नइखे, जेकरा में अब प्रजनन के ताकत नइखे.
वाटवे साल 2015 आउर 2018 के बीच टीएटीआर के लगे के पांच गांव में दौरा कइलन. एह दौरान ऊ 75 गो किसान पर व्यापक अध्ययन कइलन. एह अध्ययन के विदर्भ विकास निगम से पइसा के मदद मिलल. एकरा मदद से ऊ किसानन खातिर अइसन व्यवस्था तइयार कइलें, जे से किसान लोग जनावर के हमला से साल भर होखे वाला नुकसान के रिपोर्ट कर सके. उनकर अनुमान के हिसाब से किसान के भइल फसल आउर आर्थिक नुकसान 50 से 100 प्रतिशत के बीच रहे.
मुआवजा मिले के नियम ना होखे, त बहुते किसान लोग सीमित फसल के विकल्प चुनेला. इहे ना, केतना बेरा त ऊ लोग आपन खेत खालिए छोड़ देवेला.
जंगली जनावर के हमला में फसल आउर मवेशी के नुकसान पूरा करे खातिर वन विभाग हर बरिस किसान लोग के मुआवजा के रूप में 80 करोड़ रुपइया देवेला. महाराष्ट्र वन संरक्षण बल के तत्कालीन मुखिया आ प्रमुख वन संरक्षक सुनील लिमये पारी से 2022 में भइल बातचीत में एकर जानकारी देहलें.
विट्ठल बदखल बतइलें, “अबही जे मुआवजा मिलत बा, ऊ नाम के बा.” सत्तर के आसपास के ई किसान कार्यकर्ता भद्रावती तालुका में रहेलें. ऊ एह मुद्दा पर किसान लोग के एकजुट करे के कोसिस करत रहेलें. उनकरा हिसाब से, “किसान लोग एह से भी मुआवजा के दावा ना करे, कि एकर प्रक्रिया बहुते जटिल आउर लंबा बा. इहे ना, केतना चीज तकनीकी रूप से भी उनकर समझ से बाहिर हो जाला.”
कुछे महीना पहिले जनावर सभ के हमला में बोंडे के एगो गाया आउर कुछ मवेशी के नुकसान हो गइल रहे. साल 2022 में ऊ मुआवजा खातिर कोई 25 बार आवेदन कइलें. सभे बेर उनकरा एगो फॉर्म भरे के पड़े आउर स्थानीय वन विभाग आ राजस्व विभाग के करमचारी लोग के सूबूंट देवे के होखे. एकरा बाद स्थानीय बाबू लोग के निहोरा करिके फसल आउर खेतन के पंचानामा करावे के होखे. उनकरा आपन खरचा के कागज संभारे, आउर कार्रवाई पर नजर भी रखे के पड़े. मुआवजा मिले से पहिले एह सभ काम में महीनों लग जाला. ऊ बतइलें, “बाकिर एतना कइला के बादो हमार नुकसान के पूरा भरपाई ना होखी.”
दिसंबर 2022 के एगो ठिठुरत भोर में बोंडे हमनी के संगे लेके एक बार फेरु आपन हरियर बूंट के खेत पहुंचले. खेत के जंगली सूअर बरबाद कर देले रहे. पउधा के कोमल कोमल डाढ़ चबा गइल रहे. अब आगे होखे वाला फसल के लेके बोंडे मने मने बहुत डेराएल बाड़ें.
खुसी के बात बा कि आवे वाला कुछ महीना में ऊ आपन जादे करके फसल के आउर बरबाद होखे से बचावे में सफल रहलें. बाकिर कुछ हिस्सा त हरिन के झुंड साफ कर देले रहे.
जनावर लोग के भी भूख लागेला. ओहि तरहा बोंडे आउर तराले जइसन किसान के परिवार के भी आपन पेट भरे के होखेला. खेत दुनो के हित आउर जरूरत के टकराव के केंद्र बन गइल बा.
अनुवाद: स्वर्ण कांता