पुरखन के किस्सा, देवी-देवता के महिमा, धरती-आसमान, बदलत मौसम, फसल के सुख. भारत में होखे वाला परब-त्योहार में रउआ ई सब कुछ मिल जाई. लोग के आपस में जोड़के, ई जात-पात आ मरद-मेहरारू के भेद भुला देवेला, धरम के देवाल गिरा देवेला. रीत-रिवाज आ परंपरा के त बना के रखबे करेला, बाकिर रोज-रोज के एके तरह के दिनचर्या आ काम-धंधा से पाकल देह-मन के हरियरो कर देवेला. ई सब अलग-अलग जाति समाज से आवे आउर आपन काम-काज आ कला से गीत-संगीत, नाच-पूजा आ भोज-भात के शोभा बढ़ावे वाला कारीगर लोग के बिना पूरा ना हो सके. पारी के दस्तावेज अपना में एह तरह के नाना प्रकार के परब-त्योहार आ ओकर रौनक बढ़ावे वाला के कहानी समेटले बा