बडगाम जिले में सेना के फायरिंग रेंज के कारण कई ग्रामीणवासियों की मौत और साथ ही पर्वतीय चरागाहों में पर्यावरणीय क्षति के बाद, स्थानीय लोगों ने यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ाई लड़ी कि 2014 में सेना के पट्टे को नवीकृत न किया जाए। लेकिन समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं
फ़्रेनी मानेक्शा मुंबई की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह विकास और मानवाधिकारों पर लिखती हैं, और 2017 में अंग्रेज़ी में प्रकाशित पुस्तक ‘बीहोल्ड, आई शाइन: नैरेटिव्स ऑफ कश्मीर्स वूमेन एंड चिल्ड्रन’ की लेखिका हैं।
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Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।