आख़िरकार 8,000 मवेशियों के साथ-साथ चिमनाबाई को भी चारा मिल गया
लक्ष्मी कालेल अपने परिवार को गांव में ही छोड़ अपनी दो भैंसों, एक गाय और एक बैल के साथ सतारा ज़िले के मवेशी शिविर में चली गईं हैं, और भयानक सूखे से निपटने की कोशिश कर रहे लोगों के साथ मिलकर ऐसे हालात का सामना कर रही हैं
मेधा काले पुणे में रहती हैं और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर काम करती रही हैं. वह पारी के लिए मराठी एडिटर के तौर पर काम कर रही हैं.
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Translator
Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।
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Photographs
Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
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Editor
Sharmila Joshi
शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.