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East Singhbhum, Jharkhand

May 02, 2024

तकनीक की कौंध में धुंधलाती झारखंड की पाटकर कला

पाटकर कला चित्रकारी, क़िस्सागोई और संगीत के माध्यम से ग्रामीण जीवन, प्रकृति और पौराणिक कथाओं के बारे में कहानियां सुनाने की कला है. लेकिन झारखंड के अमाडबी गांव में इस प्राचीन कला को जीवित रखने वाले गिनती के कलाकारों का कहना है कि मोबाइल फ़ोन पर आराम से सुलभ म्यूजिक वीडियो के कारण इस कला को गलाकाट प्रतियोगिता से गुज़रना पड़ रहा है

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Author

Ashwini Kumar Shukla

अश्विनी कुमार शुक्ला, झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार हैं, और नई दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (2018-2019) से स्नातक कर चुके हैं. वह साल 2023 के पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

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श्रेया उर्स, बेंगलुरु की एक स्वतंत्र लेखक और संपादक हैं. वह बीते 30 सालों से भी ज़्यादा समय से प्रिंट और टेलीविज़न मीडिया में कार्यरत हैं.

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Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.